RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
ऑफीस मे 4/5 ही दिन और नताली को इतना बरा प्रॉजेक्ट मिल गया. सब लोग बहुत खुश थे, सिवाय एक के वो था अर्जुन. उससे ज़रा भी पसंद नही आया कि किसी नये को ये प्रॉजेक्ट मिले... जब कि अर्जुन को ये उम्मीद थी कि मनु उसे ही ये प्रॉजेक्ट हॅंडेल करने के लिए सामने से ऑफर करेगा.....
"कोई बात नही मनु सर, जैसे आप की कंपनी डूबी थी ठीक वैसे ही आप का ये प्रॉजेक्ट भी डूब जाएगा. सो सॉरी बॉस, अब तो दो साल बाद ही इस प्रॉजेक्ट के मिलने के चान्सस बन पाएँगे... फिलहाल तो मैं ही सेंध लगाउन्गा".
जहाँ अर्जुन की ख़टकती आँख नताली के इस प्रॉजेक्ट फेल्यूर पर लगी थी, वहीं स्नेहा मनु को इशारों मे अकेले आने के लिए कहने लगी..... मनु मीटिंग को उसी वक़्त ख़तम कर के सीधा अपने कॅबिन मे पहुँचा.....
मनु.... हाँ स्नेहा कोई खास बात...
स्नेहा, मनु का कॉलर पकड़ कर अपनी ओर खींच ली, और अपने होंठ से मनु के चेहरे को स्पर्श करती हुई कहने लगी.... "क्यों जी, जब मैं सिर्फ़ पीए थी तब तो बहुत रोमॅन्स करते थे, और जब से शादी की अफीशियल अनाउन्स्मेंट हुई है मेरी ओर देखते भी नही.
मनु.... ओह्ह्ह्ह, तो ऐसी बात है... मतलब शादी हो रही है इसलिए तुम्हे मुझ पर हक़ जताना है...
स्नेहा, मनु का मूड देख कर, उस से अलग हो गयी, और एक कदम पीछे हट कर कहने लगी.... "सॉरी मनु"
मनु, अब स्नेहा के गले मे हाथ डाल कर कहने लगा..... "अच्छा जी, जब तक मैं आप का बॉस था, मेरी हर सीरीयस बात को भी मज़ाक बना दिया करती थी, और हक़ से अपनी बात मनवाती थी. जब से शादी की अफीशियल अनाउन्स्मेंट हुई है तो अब मेरा मज़ाक भी सीरीयस लगने लगा".
दोनो ही इस बात पर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे.... मनु, स्नेहा की आखों मे देखकर कहने लगा.... "एक बात सच-सच कहता हूँ स्नेहा... मेरे दिल मे ना तुम्हारे लिए कोई प्यार नही, लेकिन हाँ तुम्हारा होना अच्छा लगता है".
स्नेहा.... ये तो मुझे पता है, कोई नयी बात तो बताओ मनु...
मनु.... नयी बात ये है की आज मेरा मूड हो रहा है.... चलो आज मज़े किए जाए...
स्नेहा.... नोप, बिल्कुल नही मनु... अब जो भी मज़े होंगे वो शादी के बाद... तब तक कंट्रोल करो बेबी.
मनु.... ये भी कोई बात हुई... आज तो मूड नॉटी हुआ जा रहा है... और तुम मना कर रही हो.
स्नेहा... जी नही, कुछ नॉटी और होट नही होने वाला, सो कंट्रोल युवर एमोशन्स... मेरे इनोसेंट हब्बी..... अभी तुम यहाँ का काम देखो, और मैं कुछ दिन की छुट्टी पर जाना चाहती हूँ...
मनु.... छुट्टी किस लिए स्नेहा...
स्नेहा.... मैं चाहती हूँ घर जा कर ही सब को शादी की बात बताऊं....
मनु.... ह्म ठीक है चली जाना...
स्नेहा.... नही, अभी ही जा रही हूँ... मैने सारा काम कर दिया है... अपायंट्मेंट्स और मीटिंग की पूरी डीटेल रिसेप्षनिस्ट के पास है, बाकी फोन तो है ही....
मनु.... ह्म ! ठीक है... सुनो मेरी कार लेती जाओ.... और किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो कॉल करना ...
स्नेहा.... अच्छा जी समझ गयी... अब जाने भी तो दो...
मनु.... हाँ बाबा जाओ ना....
स्नेहा.... क्या, ऐसे कैसे चली जाऊं .... एक किस तो दे दो... हद है सब कुछ मुझे ही सामने से कहना पड़ रहा है... तुम तो ज़रा भी रोमॅंटिक नही मनु...
मनु, स्नेहा के कमर मे हाथ डाल कर उससे अपनी तरफ खींचा और उसके होंठ से होंठ लगा कर एक जोरदार किस किया.... "सॉरी जी मैं रोमॅंटिक तो नही हूँ, पर आप मुझे सिखाएँगी तो ज़रूर सीख जाउन्गा".
स्नेहा खिल कर मुस्कुराती, मनु से कहने लगी .... "ब्यएबयए स्वीटहार्ट, अपना ख्याल रखना ".
स्नेहा ऐसे प्यार से मुस्कुराइ की मनु का चेहरा भी खिल गया... ऐसा लग रहा था जैसे आज पहली बार मनु ने स्नेहा के अंदर झाँक कर देखा हो.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|