non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 01:08 PM,
#77
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
चम्पा- हाँ... तो एक दिन, दिन में मैं दमऊ भाई के कमरे में कुछ करने जा रही थी तो देखा की कमरे का दरवाजा बंद है और अंदर से फुसफुसाहट की आवाजें आ रही थी। अंदर मैंने देखा की.... ...”

सासूमाँ- अंदर तूने देखा की तुम्हारी माँ बिस्तर पे नंगी टाँगें फैलाए लेटी है और तेरे दमऊ भैया दनादन अपना लण्ड उनकी झांटों भरी बुर में पेले जा रहे हैं... पेले जा रह हैं...”

दीदी- “अरे नहीं अम्मा... मेरी अम्मा नहीं चुदवा रही थी... बल्कि मैंने देखा की......"

सासूमाँ- “तूने देखा की पड़ोसवाली आंटी की बुर में तेरे भैया लण्ड पेल रहे है... या फिर आंटी तेरे भैया का लण्ड चूस रही है... या फिर तेरे दमऊ भैया आंटी की बुर चाट रहे हैं... अरे बोल ना बेटी? और अपनी उंगली मेरी बुर में चलाती रह..."

दीदी- अरे अम्मा... आप बात के बीच में ही अपनी बुर की झांट टिका देती हैं।

सासूमाँ- हीहीही... अरे बहूरानी, देख ले मेरी बुर एकदम सफाचट है, और इस बुर का दीवाना तेरा वो दमऊ भैया भी है। साला मस्ता चूसता है।

चम्पा- हाँ भाभी, मस्त चाटता है।

दीदी- जानती हूँ मैं कि मेरा भाई बुर चटाई का मास्टर है मास्टर। सारे मुहल्ले की क्या अंटी... क्या लड़कियां... क्या भाभियां, नंबर से हमारे घर में आती हैं, बुर चटवाने को।

सासूमाँ- “अच्छा... दमऊ ने तो कभी ये नहीं कहा...”

दीदी- वो क्या बताएगा की बुर चुसाई के पैसे के दम पर वो ऐश कर रहा है।

सासूमाँ- क्या बुर चुसाई का पैसा भी लेता है, दमऊ? हमसे तो कभी नहीं लिया आज तक उसने।

दीदी- अरे आपसे पैसे कैसे ले सकता है सासूमाँ? आप तो घरवाले हो गये।

सासूमाँ- हाँ.. तो तूने अंदर क्या देखा?

दीदी- “हाँ... तो मैंने जब अंदर देखा तो क्या देखा? मेरे पाँव के नीचे से धरती जैसे हिलने लगी। मेरे पाँव काँपने लगे। मैंने फिर से हिम्मत की और देखा तो अंदर दमऊ भैया और रामू भैया दोनों.......”

सासूमाँ- क्या वो दोनों एक-दूसरे की गाण्ड मार रहे थे?

दीदी- छीः मम्मीजी, आप भी ना... सबको अपने बेट जैसा गान्डू समझा रखा है क्या?

सासूमाँ- अरे बेटी मैं तो तेरी कहानी के बीच में तड़का लगा रही हैं, क्यों मजा नहीं आ रहा है क्या बेटी?
दीदी- मजा आ रहा है मम्मीजी... इसीलिए तो मैं भी मजे ले-लेकर आपको कहानी सुना रही हूँ।

सासूमाँ- तो बता ना मेरी बहूरानी कि अंदर रामू और दमऊ दोनों क्या रहे थे? तुमरी अम्मा चोद को रहे थे या तुमरी छोटी बहना की बुर में लण्ड पेल रहे थे?

दीदी- छी... छी... छी... क्या बात कर रहे हो सासूमाँ? सबको अपने जैसे ही चुदक्कड़ समझ लिया है क्या आपने? मेरी अम्मा एकदम धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं।

सासूमाँ- धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं। तो क्या तुमरे अब्बू के लण्ड की पहले पूजाकरती हैं, फिर अपनी बुर में पेलवाती हैं। सोरी... सारी... पहले आपके बाबूजी के लिंग को पावन जल से स्नान करवाती हैं। चावल चंदन फूल से पूजाकरती हैं। फिर अपने योनीद्वार में प्रवेश करवाती हैं। और अंत में लण्डनाथ की आरती के साथ संभोग क्रिया समाप्त करवाती हैं। और अंत में वीर्य से निकले महाप्रसाद का सेवन करती हैं।

दीदी- “वाह... वाह... मम्मीजी, क्या बात कही आपने? तालियां...”

सब मिलकर ताली बजाती हैं।

दीदी- हाँ... खैर मेरी मम्मी ऐसे तो नहीं करती। पर वो सिर्फ और सिर्फ मेरे बाबूजी के लण्ड से ही चुदवाती हैं। और... मेरी छोटी बहन कालेज में पढ़ती है, डाक्टर बनेगी। ये साल उसका आखिरी साल है।

सासूमाँ- तो अंदर दमऊ और रामू क्या कर रहे थे? मेरी अम्मा।

दीदी- अरे अम्माजी... आप मुझे मेरी अम्मा कहती है ना तो मुझे बहुत मजा आता है। हाँ तो अंदर रामू भैया और दमऊ भैया एक किताब देख रहे थे और अपने-अपने लण्ड के ऊपर अपना-अपना हाथ चला रहे थे।


सासूमाँ- लो, कर लो बात... खोदा पहाड़ और निकली चुहिया। कहाँ तो हम उनके लण्ड से तुमरी अम्मा... सारे पड़ोस की आंटियों को चुदवा रहे थे, और कहाँ तुम उनके मूठ मारने की दास्तान सुनाने लगी।

दीदी- अरे सासूमाँ... ये उनके मूठ मारने की दास्तान नहीं, बल्कि मेरे हैरान होने की दास्तान है। वैसे तो मैंने दमऊ भैया के लण्ड को पहले भी बहुत बार देख रखा है, मूठ मरते हुए। पर रामू भैया का लण्ड? है मम्मीजी... मैंने पहली बार इतना बड़ा लण्ड देखा था, सावन का महीना, इतना बड़ा लण्ड... सच कहती हूँ मम्मीजी मेरी तो चूत ने तुरंत पानी ही छोड़ दिया।

सासूमाँ- अच्छा तो तूने क्या किया? तुरंत कमरे में प्रवेश किया और रामू को पलंग के ऊपर पटकते हुए उसके लण्ड के ऊपर सवार हो गई और दमऊ के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

दीदी- नहीं अम्माजी... पर आप रुक क्यों जाती हैं? देखिए ना... उस दिन की घटना याद आते ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगती है। आप उंगली घुसा के आगे-पीछे करते रहिए। मैं चम्पा की बुर में उंगली कर रही हूँ और चम्पा रानी आपके बुर में अपनी उंगली चला रही हैं। इसमें भी कुछ अलग मजा आ रहा है। है ना मम्मीजी?

सासूमाँ- हाँ... बेटी हाँ... इसमें भी मजा आ रहा है। फिर आगे क्या हुआ सो बता?

दीदी- तो मैं जब रामू भैया का बीकराल लण्ड को देखी तो मेरी तो आँखें फटी की फटी ही रह गई। और मैं उसे एकटक देखने लगी। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की लण्ड इतना बड़ा भी हो सकता है?
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