RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन को तो पहले ही पता था कि उसकी बहन ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई है और अब जब उसने अपनी चूचियों उसकी पीठ से लगाईं.. तो उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बहन की दोनों चूचियाँ बिल्कुल ही नंगी होकर उसकी पीठ पर लगी हुई हैं।
डॉली ने अपना एक हाथ आगे किया और उसे चेतन की जाँघों पर रख दिया और फिर हम चल पड़े।
सड़क पर थोड़ा-थोड़ा अँधेरा हो रहा था.. कुछ ही देर में डॉली का हाथ फिसलता हो अपने भैया के लौड़े पर आ गया। उसने अपने भाई के लंड पर अपना हाथ रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसको सहलाने लगी। पीछे से वो अपने होंठों को चेतन की गर्दन पर टच कर रही थी। कभी-कभी मौका देख कर उसे चूम भी लेती थी। डॉली के चेतन की गर्दन पर चूमने की हल्की सी आवाज़ मेरे कान में भी आई।
‘ना कर.. तेरी भाभी पीछे ही बैठी है..’
तभी मैंने भी सहारा लेने के लिए अपना हाथ आगे किया और चेतन की जांघ पर रख दिया।
एक लम्हे के लिए तो चेतन जैसे घबरा ही गया.. लेकिन फिर खुद को सम्भाल लिया। इसी तरह से मैं और डॉली चेतन को तंग करते हुए सिनेमा पहुँच गए।
रात का लास्ट शो था.. 10 बज चुके हुए थे और हर तरफ अँधेरा हो रहा था। शो शुरू हो चुका हुआ था.. इसलिए ज्यादा रश नज़र नहीं आ रहा था। चेतन ने गैलरी की तीन टिकट ली और हम ऊपर गैलरी में आ गए। वहाँ गैलरी में भी बहुत कम लोग ही बैठे हुए थे.. बल्कि सिर्फ़ दो कपल्स थे.. वो भी सबसे अलग-अलग होकर दूर-दूर बैठे हुए थे। हमने भी एक कॉर्नर में अपनी जगह बना ली। हॉल में बहुत ही ज्यादा अँधेरा था। चेतन को दरम्यान में बैठा कर मैं और डॉली उसके दोनों तरफ बैठ गईं।
चेतन थोड़ा घबराया हुआ था.. कुछ ही देर गुज़री कि मैंने अपना सिर चेतन के कन्धों पर रख दिया और अपना एक हाथ चेतन की बाज़ू पर रख कर आहिस्ता आहिस्ता उसकी बाज़ू को सहलाने लगी। चेतन भी मेरी तरफ तवज्जो दे रहा था, उसने अपना एक बाज़ू मेरी गर्दन के पीछे से डाला और मेरी दूसरी तरफ के कन्धों पर रख दिया और धीरे-धीरे मेरी बाज़ू को सहलाने लगा।
मैंने अब अपना हाथ चेतन की जांघ पर रख दिया और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी जाँघों को सहलाने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड की तरफ बढ़ रहा था। दूसरी तरफ से डॉली ने अपना सिर अपने भाई के कंधे पर रखा हुआ था।
जैसे ही मेरा हाथ चेतन के लंड की तरफ बढ़ा.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बहुत ही आहिस्ता से मेरे कान में बोला- क्या कर रही हो.. डॉली बिल्कुल साथ में बैठी है.. उसने देख लिया.. तो बहुत बुरा लगेगा।
लेकिन मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके लण्ड के उभार पर रखा और उसे मुठ्ठी में लेकर हौले-हौले दबाते हुए बोली- बहुत अँधेरा है.. वो नहीं देख पाएगी।
यह कहते हुए मैंने उसके लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मेरे हाथ के छूने से उसका लण्ड उसकी पैन्ट के अन्दर अकड़ने लगा।
मैंने उसके चेहरे को अपनी तरफ मोड़ा और फिर अपने होंठ चेतन के होंठों पर रख दिए और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूमने लगी। चेतन ने अपनी होंठ पीछे हटाने चाहे.. तो मैंने फ़ौरन ही उसके दोनों होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया और अपनी ज़ुबान भी उसके मुँह के अन्दर डाल दी।
चेतन भी मस्त होता जा रहा था और उसकी मस्ती का अंदाज़ा मुझे उसकी पैन्ट के अन्दर उसके अकड़ते हुए लंड से हो रहा था।
मैंने अपना हाथ हटाया और चेतन के सीने पर रख कर उसे सहलाने लगी। उतनी देर में डॉली ने अपना हाथ चेतन के लंड पर रखा और उसे दबाने लगी।
दो दो खूबसूरत और जवान लड़कियों के साथ मस्ती करते हुए चेतन की तो हालत ही पतली हो रही थी।
चेतन ने अपने हाथ से डॉली का हाथ पकड़ कर अपने लंड से हटाना चाहा.. तो डॉली उसके कान में बोली- भैया क्या बात है.. अपनी बीवी को तो मज़ा दे रहे हो.. लेकिन अपनी बहन को महरूम रख रहे हो?
जैसे ही मैं अपना हाथ नीचे दोबारा उसके लण्ड पर लेकर गई.. तो फ़ौरन ही डॉली ने अपना हाथ हटा लिया।
मैंने दोबारा से चेतन के लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसे दबाने के बाद उसकी पैन्ट की ज़िप खोलने लगी।
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