RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
मैंने अपने लिंग पर हल्का सा दबाव बढ़ाया, अब मेरे लिंग का शिश्नमुंड पूरा प्रिया की योनि के अंदर था.
‘आ… ई…ई…ई… ई…ई…ईईईई!!!’ प्रिया के मुंह से आनन्द स्वरूप निकल रही सीत्कारों में पीड़ा का जरा सा समावेश हो गया. मुझे इस का पहले से ही अंदाज़ा था, मैंने फ़ौरन अपने लिंग पर दबाब डालना बंद कर दिया और यहीं से शिश्नमुंड वापिस खींच कर हौले से प्रिया की योनि में वापिस यही तक दोबारा ले जा कर फिर वापिस खींच लिया.
ऐसा मैंने तीन चार बार किया, प्रिया पर इसकी तत्काल प्रतिक्रिया हुई, पांचवी बार जैसे ही मैंने अपना लिंग प्रिया की योनि से बाहर निकाला, प्रिया ने मेरी पीठ पर अपनी टांगों की कैंची तत्काल पूरी ताक़त से अपनी ओर खींची, परिणाम स्वरूप मैं भी प्रिया की ओर जोर से खिंचा और मेरा लिंग भी प्रिया की योनि में ढाई से तीन इंच और गहरा चला गया.
‘सी…ई…ई…ई… आह…!’ प्रिया के मुख से आनन्द और पीड़ा भरी मिली-जुली सिस्कारी निकल गई..
प्रिया की योनि एकदम कसी हुई और अंदर से जैसे धधक रही थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लिंग जैसे किसी नर्म गर्म संडासी में फंसा हुआ हो. ऐसा लगता था कि योनि की उष्मा शनैः शनैः मेरे लिंग को पिंघला कर ही मानेगी तो विरोध स्वरूप मेरा लिंग भी बृहत्तर से बृहत्तर आकार लेने लगा.
योनि और लिंग के स्राव मिल कर खूब चिकनाहट पैदा कर रहे थे और योनि में लिंग का आवागमन थोड़ा सा सुगम होता जा रहा था लेकिन अभी मैं अपने लिंग को प्रिया की योनि के और ज्यादा अंदर प्रवेश करवाने से परहेज़ कर रहा था, आराम-आराम से अपने लिंग को प्रिया की योनि से बाहर खींच कर, फिर जहां था वहीं तक दोबारा ठेल रहा था.
अब प्रिया भी इस रिदम का लुत्फ़ अपने नितम्ब उठा-उठा कर ले रही थी, ऐसे करते करते दस मिनट हो चुके थे और प्रिया आँखें बंद कर के अभिसार का सम्पूर्ण आनन्द ले रही थी, लेकिन अभी कहानी आधी ही हुई थी, समय आ गया था कि इस अभिसार को सम्पूर्णता की ओर अग्रसर किया जाए.
प्रेमपूर्वक किये जा रहे अभिसार का सबसे मुश्किल क्षण आने को था, यह वो क्षण होता है जब एक पुरुष, पूर्ण-पुरुष की उपाधि पाता है और एक स्त्री, सुहागिन की पदवी पाती है. इसी क्षण से आगे चल कर स्त्री, एक जननी बनती है, एक माँ बनती है और एक नई सृष्टि रचती है.
इस पल में पुरुष अपनी प्रेयसी के साथ प्यार के साथ साथ थोड़ी सी क्रूरता से पेश आता है, वही क्रूरता दिखाने का पल आ पहुंचा था. मैंने प्रिया के बाएं उरोज़ के निप्पल को मुंह में लिया और उसे चुभलाने लगा, प्रिया के गर्म शरीर का उत्ताप फिर से बढ़ने लगा और उन्माद में प्रिया बिस्तर पर जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.
मैंने प्रिया का सर अपने दोनों हाथों से दाएं-बाएं से दबा कर, प्रिया के उरोज़ के निप्पल से मुंह उठाया और प्रिया के दोनों होठों को अपने होठों में दबा लिया और लगा चूसने!
अगले ही पल मैंने अपना लिंग प्रिया की योनि से बाहर निकाल कर पूरी शक्ति से वापिस प्रिया की योनि में उतार दिया. अगर मैंने प्रिया के दोनों होंठ अपने होंठों से बंद नहीं कर दिए होते तो यकीनन प्रिया की चीख सड़क के परले सिरे तक सुनाई दी होती.
तत्काल प्रिया के दोनों हाथों ने दीवान की चादर पकड़ कर गुच्छा-मुच्छा कर डाली और अपने पैरों से मुझे पर धकेलने की असफल कोशिश करने लगी. प्रिया की आँखों से आंसुओं की धारें फ़ूट पड़ी पर अब तो जो होना था सो हो चुका था.अब प्रिया कुंवारी नहीं रही थी.
मैं प्रिया के ऊपर औंधा पड़ा धीरे धीरे प्रिया के सर को सहला रहा था, उसके आंसू अपने होंठों से बीन रहा था.धीरे-धीरे प्रिया का रोना कम होता गया और मैंने हौले हौले अपनी क़मर को हरकत देना प्रारंभ किया, चार-छह धक्कों के बाद, अचानक प्रिया के शरीर में वही जानी पहचानी कम्पन की लहर उठी.
दो पल बाद ही प्रिया का शरीर इस रिदम का जवाब देने लगा. लिंग को प्रिया की योनि से बाहर खींचने की क्रिया के साथ साथ ही प्रिया अपने नितम्ब नीचे को खींच लेती और जैसे ही लिंग योनि में दोबारा प्रवेश पाने को होता तो प्रिया शक्ति के साथ अपने नितंब ऊपर को करती, परिणाम स्वरूप एक ठप्प की आवाज के साथ मेरा लिंग प्रिया की योनि के अंतिम छोर तक जाता.
प्रिया के मुख से ‘आह…आई… ओह… मर गई… हा… उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय… सी… ई…ई’ की आधी-अधूरी सी मज़े वाली सिसकारियां अविरल निकल रही थी और मैं बेसाख्ता प्रिया को यहाँ-वहाँ चूम रहा था, चाट रहा था माथे पर, आँखों पर, गालों पर, नाक पर, गर्दन पर, गर्दन के नीचे, कंधो पर, उरोजों पर, निप्पलों पर, उरोजों के बीच की जगह पर!
हमारा अभिसार अपनी अधिकतम गति पर था, अचानक प्रिया का शरीर अकड़ने लगा, प्रिया ने अपने दांत मेरे बाएं कंधे पर गड़ा दिए, मेरी पीठ पर प्रिया के तीखे नाख़ून पच्चीकारी करने की कोशिश करने लगे.
ये लक्षण मेरे जाने पहचाने थे, मैं तत्काल अपनी कोहनियों के बल
हुआ और प्रिया के दोनों हाथ अपने हाथों में जकड़ कर बिस्तर पर लगा दिए और अपनी कमर तीव्रतम गति से चलाने लगा, साथ साथ मैं कभी प्रिया के होठों पर चुम्बन जड़ रहा था, कभी उसके निप्पलों पर, कभी उसकी आँखों पर!
अचानक प्रिया का सारा शरीर कांपने लगा और प्रिया की योनि में जैसे विस्फोट हुआ और प्रिया की योनि से जैसे स्राव का झरना फूट पड़ा. प्रिया जिंदगी में पहली बार सम्भोगरत हो कर स्खलित हो रही थी और प्रिया की योनि की मांसपेशियों ने संकुचित होकर मेरे लिंग को जैसे निचोड़ना शुरू कर दिया.
प्रतिक्रिया स्वरूप मेरा लिंग और ज्यादा फूलना शुरू हो गया, इसका नतीजा यह निकला कि मेरे लिंग के लिए संकरी योनि में रास्ता और भी ज्यादा संकरा हो गया और मेरे लिंग पर प्रिया की योनि की अंदरूनी दीवारों की रगड़ पहले से भी ज्यादा लगने लगी.
करीब एक मिनिट बाद ही जैसे ही मैंने पूरी शक्ति से अपना लिंग प्रिया की योनि में अंदर तक डाला मेरे अंडकोषों में एक जबरदस्त तनाव पैदा हुआ और मेरे लिंग ने पूरी ताक़त से वीर्य की पिचकारी प्रिया की योनि के आखिरी सिरे पर मारी फिर एक और.. एक और… एक और… एक और… मेरे गर्म वीर्य की बौछार!अपनी योनि में महसूस कर के अब तक निढाल और करीब-करीब बेहोश पड़ी प्रिया जैसे चौंक कर उठी और उसने मुझसे अपने हाथ छुड़ा कर जोर से मुझे आलिंगन में ले लिया और मुझे यहाँ-वहाँ चूमने लगी.
एक भँवरे ने एक कली को फूल बना दिया था, एक लड़की, एक औरत बन चुकी थी,
एक सफल अभिसार का समापन हो चुका था.
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