RE: mastram kahani राधा का राज
" प्लीज़…प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ो देखो राज मैं फिर कभी आ जाउन्गि. अभी नही." कहते हुए उसके कमरे से भाग कर निकलने की आवाज़ आई. मैं झट से किचन मे चली गयी. रचना आकर मेरी बगल मे खड़ी हुई. उसकी साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी.
"क्या हुआ क्यों भाग रही थी?" मैने पूछा तो उसको मेरे अस्तित्व की याद आई.
"नही नही बस कुछ नही….बच्चा उठ गया है उसे दूध पिलाना है मैं चलती हूँ." कह कर वो बिना मेरे जवाब का इंतेज़ार किए वहाँ से निकल गयी.
अगली शाम हम तीनो खाना खाने के बाद एक ही सोफे पर बैठ कर फिल्म देख रहे थे. आज मेरे कहने के बावजूद रचना ने सारी पहन रखी थी. हां अंदर ब्रा ज़रूरी नही था. कमरे की लाइट ऑफ थी सिर्फ़ टीवी की रोशनी कमरे मे कुछ उजाला कर रही थी. मैं राज शर्मा की एक ओर बैठी थी और रचना दूसरी ओर. फिल्म काफ़ी रोमॅंटिक थी उसमे लव सीन्स काफ़ी थे जिसे देखते देखते मैं गर्म होने लगी. मैं सरक कर राज शर्मा से सॅट गयी. राज शर्मा ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. मैं अपना हाथ राज शर्मा की जाँघ पर रख कर उसे पायजामे के उपर से सहलाने लगी. बगल मे रचना बैठी थी उसकी मैने कोई परवाह नही की. धीरे धीरे मेरा हाथ उसके लंड को पायजामे के उपर से सहलाने लगा. उसका लंड खड़ा हो गया था. मैं उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर सहला रही थी. राज शर्मा ने अपना चेहरा मेरी ओर करके मेरे होंठों को चूमा. अचानक मेरी नज़र रचना पर पड़ी तो मैने पाया कि वो भी राज शर्मा से सटी हुई है और राज शर्मा का दूसरा हाथ रचना के कंधे पर है. वो अपनी उंगलियों से रचना का गाल गला सहला रहा था. रचना का सिर राज शर्मा के कंधे पर टिका हुआ था. उत्तेजना से उसकी आँखें बंद थी. कुछ देर बाद राज शर्मा की उंगलियाँ नीचे सरक्ति हुई उसके ब्लाउस के अंदर घुस गयी. उसके हाथ अब रचना की चूचियों को सहला रहे थे. रचना अपने निचले होंठ को दाँतों मे दबा कर सिसकारियाँ निकलने से रोक रही थी. मगर अचानक ना चाहते हुए भी मुँह से सिसकारी निकल ही गयी. सिसकारी के साथ ही उसकी आँखें खुली और मुझसे आँखें मिलते ही वो हड़बड़ा कर राज शर्मा से अलग हो गयी.
"मैं मैं चलती हूँ मुझे नींद आ रही है." उसने झट अपने कपड़ों को ठीक करते हुए कहा और भागती हुई अपने कमरे मे चली गयी.
अगली शाम को हम तीनो बैठे ताश खेल रहे थे. बच्चा बेडरूम मे सो रहा था. अचानक उसकी रोने की आवाज़ आई.
" मैं अभी आती हूँ. बच्चा उठ गया है उसके दूध पीने का टाइम हो रहा है." कह कर रचना अपने हाथ के पत्ते टेबल पर रख कर उठने को हुई तो मैने उसको रोक दिया.
"तू बैठी रह राज शर्मा ले आएगा बच्चे को. इतना मज़ा आ रहा है और तू भागना चाहती है." मैने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया.
"लेकिन……."
"अरे बैठ ना तेरा चान्स है अपना पत्ता डाल राज प्लीज़ बच्चे को ले आओ ना बेडरूम से."
राज शर्मा उठ कर बेड रूम मे चला गया और बच्चा लाकर रचना की गोद मे दे दिया. बच्चे को देते वक़्त उसने अपनी हथेली के पिच्छले हिस्से से रचना के स्तनो को सहला दिया. उसकी इस हरकत से रचना के गाल लाल हो गये. मैने ऐसी आक्टिंग की मानो मुझे कुछ पता ही नही चला हो.
रचना बच्चे को आँचल मे छिपा कर दूध पिलाने लगी. मैने देखा राज शर्मा रचना के सामने बैठा कनखियों से रचना को निहार रहा था. हम वापस खेलने लगे. राज शर्मा ने ग़लत कार्ड फेंका. मैं तो इसी मौके का इंतेज़ार कर रही थी.
"राज शर्मा या तो ठीक से खेलो या रचना की सारी के अंदर घुस जाओ." मैने गुस्से से कहा.
"नही नही….वो…वू" राज मेरे हमले से हड़बड़ा गया.
"रचना राज को एक बार दिखा ही दे अपने योवन. इसका दिमाग़ तो अपनी जगह पर वापस आए. एक काम कर तू अपने कंधे से सारी हटा दे और देखने दे इसे जी भर के. देख देख कैसे लार टपक रही है इसकी…." मैं हँसने लगी. दोनो भी एक दूसरे से नज़रे मिलकर मुस्कुरा दिए. रचना ने अपनी सारी के आँचल को हटाने की कोई हरकत नही की तो मैं उठी और उसके पास जाकर अपने हाथों से उसकी सारी का आँचल उसके कंधे से हटा दिया. उसक एक स्तन बच्चे के मुँह मे था और दूसरा ब्लाउस मे. राज शर्मा की आँखे इस दृश्य को देख कर फटी रह गयी. रचना के ब्लाउस के नीचे के दो बटन्स लगे हुए थे. ब्लाउस के बारीक कपड़े के पीछे से दूसरे स्तन का आभास सॉफ दिख रहा था. रचना ने अपना सिर शर्म से नीचे झुका लिया. उसके गाल गुलाबी होने लगे.
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