Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 10:48 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
एक झटके में उन्होने अपनी गर्दन उठा ली, और मुझ घूर कर देखा. फिर उनका चेहरा लाल हो गया. मुझे ये सब देखकर इस बात का संतुष्टि मिली, की ऐसा ही नही है जिसको ऐसे शरमनाक विचार आ रहे हैं. “हो सकता है,” वो बोले.

"आप फ्लर्ट करना बिल्कुल नही जानते भैया," मैने चिढ़ाते हुए कहा.

"तुमको कैसे मालूम कि मैं फ्लर्ट करने की कोशिश कर रहा था?" उन्होने पूछा.

मैने उनकी कमर के नीचे उनके लंड वाले हिस्से को देखा, और फिर उनके चेहरे की तरफ. उनका लंड खड़ा हुआ था. “सब को पता चल रहा है, कुछ छुपा हुआ नही है,” मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. 

भैया ने अपने खड़े हुए लंड से बने पॅंट के उभार को देखा, और फिर हँसने लगे. “ठीक है, मैं फ्लर्ट कर रहा था. और हां, मैं आशा कर रहा था, कि तुम आज रात फिर से मुझे अपने साथ सोने दोगि.”

शब्दों के हल्के से उलट फेर का मुझ पर गजब का असर हुआ. “पास सोने” से शब्द बदलकर “साथ सोने” के हो चुके थे. बातों का अर्थ बदल चुका था. ये सब सोच कर ही मैं गरम होने लगी. 

"ठीक है, अगर तुम मेरे बेड पर सोते हो तो मुझे कोई परेशानी नही है. लेकिन पार्टी से थोड़ा जल्दी आने की कोशिश करना." मैने नाश्ते की प्लेट्स को उठाकर, बाद में धोने के लिए किचन की सिंक में रख दिया.

"थॅंक्स," वो पीछे से बोले. मैने घूम कर उनकी तरफ देखा. सब कुछ थोड़ा ख़तरनाक होता जेया रहा था. हमारी बातें, एक दूसरे को छूना, किस करना. मेरी शरीर में गर्मी बढ़ती जा रही थी. 

धीरज भैया ने जैसे ही मेरे कंधे पर हाथ रखा, मैं चौंक गई. मेरे शरीर में गजब की लहर सी दौड़ गयी, और मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी. मुझे एहसास हुआ कि मेरे दिल की धड़कन भी तेज हो चुकी हैं. भैया अपना हाथ नीचे मेरी बाँह तक फिराते हुए ले आए. मैं काँप उठी. उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया, और मुझे गुदगुदी होने लगी. मैं उनकी उंगलियों को मेरी उंगलियों के उपर फिसलते हुए महसूस करने लगी. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं धीरे धीरे छोटी छोटी साँस ले रही थी, जिस से की कहीं मैं ज़ोर से हाँफने ना लगूँ. 

मेरे पूरे बदन मेी न आग लगी हुई थी. पूरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी, ख़ासकर उस जगह, जहाँ वो मुझे छूते थे. मैने उनके दूसरे हाथ को अपनी गर्दन के पीछे महसूस किया. मैं काँप उठी. उन्होने मेरी गर्दन के पीछे से सारे बालों को दूसरी तरफ कर दिया, और जैसे ही वो मेरे करीब आने लगे, मैं उनकी गरम गरम साँसों को महसूस करने लगी. मैं बेतहाशा काँप रही थी. और फिर वो अपने होंठों से मेरी गर्दन के पिछले हिस्से को चूमने लगे. 

मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी. मैने सिंक को सहारे के लिए पकड़ लिया. मेरे सारे शरीर में अजीब सी लहर सी दौड़ रही थी. मैं कराह रही थी, और ऐसा करने से रोकने में मैं असमर्थ थी. मैं भैया के मूँह को गर्दन से कान तक, हल्के से, प्यार से चूमता हुआ महसूस कर रही थी. उन्होने मेरे कान के नीचे की मेरी स्किन को अपने मूँह में भर के चूसना शुरू कर दिया, और मुझे ऐसा लगा मानो मैं अभी झड जाउन्गि. आज से पहले किसी ने मुझे वहाँ पर किस नही किया था. मैने एक ज़ोर की साँस ली.

धीरज भैया ने अपने होंठ दूर कर लिए, और मैं बिन पानी मछली की तरह मचल उठी. फिर भैया मेरे कान में फुसफुसाए, "मैं तुम्हारे साथ प्यार करना चाहता हूँ."

मुझे अपने आप को समझाने की कोई ज़रूरत नही थी, कि मुझे ऐसा करना चाहिए या नही. मेरे अंदर विरोध करने की शक्ति ख़तम हो चुकी थी. भैया की उंगलियाँ अब भी मेरी उंगलियों को छू रही थी, मैने उनका हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर ले आई. मैने उनके हाथ को अपनी चूंचियों के उपर दबाया. जैसे ही उनके हाथ ने मेरी निपल को टी-शर्ट के उपर से ही छुआ, मैं काँप उठी. मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी. 

धीरज भैया ने फिर से मेरी गर्दन को चूमा, और मुझे तो मानो जन्नत ही मिल गयी हो. फिर वो मुझे मेरे बेडरूम की तरफ खींच कर ले जाने लगे. मैं उनका विरोध करने के लिए बहुत ज़्यादा कमजोर थी, इसलिए जैसा वो चाह रहे थे, मैने उनको वैसा ही करने दिया, और उनके साथ बेड तक जा पहुँची. उन्होने एक झटके में मुझे उठाया, और मुझे बेड पर लिटा दिया. मैं उनको अपने गले से टी-शर्ट उतारते हुए देखती रही. भैया का गठीला शरीर मेरे सामने था, ये सब मुझे और ज़्यादा कामुक बना रहा था. मैं चाहती थी कि वो अपने शरीर को मेरे बदन के उपर ले आयें. मैं उनकी गठीली बाहों को मुझे जकड़ते हुए महसूस करना चाहती थी. 

"मैं भी आप के साथ प्यार करना चाहती हूँ, भैया,"मैं धीरे से फुसफुसाई.


"मैं भी आप के साथ प्यार करना चाहती हूँ, भैया," मैं धीरे से फुसफुसाई.

वो मुस्कुराए और बेड पर मेरे उपर लेट गये. मैने अभी भी कपड़े पहन रखे थे, लेकिन भैया के शरीर से निकल रही गर्माहट मेरी स्किन महसूस कर रही थी. मैं अपने सगे बड़े भाई के साथ प्यार करने का विचार दिमाग़ में आते ही कराह उठी. मैं अपने हाथ भैया की बाहों पर उपर से नीचे तक फिराकार सहलाने लगी, और उनकी मसल्स को फील करने लगी. भैया की बाहों पर हल्के हल्के बालों के रोयें थे, और उनके बाइसेप्स बिल्कुल चिकने थे. मैने उनके उपर अपनी उंगलियाँ फिराने लगी, और उनको नापने लगी. भैया के बाइसेप्स बहुत कठोर और गठीले थे, लेकिन उनके उपर उनकी स्किन बहुत सॉफ्ट थी. वो हार्ड और सॉफ्ट का चक्कर मुझे मन्त्र मुग्ध कर रहा था. और मैं बेहद गरम होती जा रही थी. 

"मुझे प्यार करो भैया," मैं एक बार फिर से कहा, और उनके चेहरे की तरफ देखा.
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