RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं उस दिन फॅक्टरी से जल्दी घर आ गया. मम्मी पापा की कार, पोर्च के नीचे खड़ी थी, मैने अपनी कार उनकी कार के पीछे खड़ी कर दी. “चलो अच्छा है, कम से कम पता तो चल गया कि मम्मी पापा आ गये हैं,” मैने सोचा, और मेन डोर की तरफ चल दिया. मेन डोर एक दम, अचानक से खुल गया. जैसे ही मैने डोर खुला, पापा हाथ में सूटकेस पकड़े हुए, बाहर निकलते हुए दिखाई दिए, मैने उनके पीछे आती मम्मी से पूछा, “पापा कहाँ जा रहे हैं?”
मैने जान बूझकर पापा से नही पूछा था, क्योंकि हमारे घर में ये मान्यता है कि यदि कोई घर से बाहर जा रहा हो, तो उसको टोकते नही हैं. सवाल तो मैने मम्मी से पूछा था, लेकिन जवाब पापा ने दिया, तुम्हारी नयी फॅक्टरी के लिए जो मशीन जर्मनी से इम्पोर्ट करनी थी, उसकी इम्पोर्ट लाइसेन्स इश्यू हो गया है. लेकिन एक बार मैं जर्मनी में खुद जाकर मशीन को और सेल्लर को देखकर और मिलकर तसल्ली कर लेना चाहता हूँ, इसीलिए फ्रॅंकफर्ट जा रहा हूँ. 10 दिनों में लौट आउन्गा. “मेरे पीछे से इस घर में तुम ही अकेले मर्द होगे, तो अपनी मम्मी और मुन्नी बुआ का ध्यान रखना,” पापा ने मुस्कुराते हुए कहा.
“ओके पापा, आप चिंता ना करें, हॅव आ सेफ जर्नी,” मैने मन ही मन खुश होते हुए कहा.
पापा की हाइट मुझ से ज़्यादा थी, उन्होने जाने से पहले प्यार में, मेरे सिर पर मेरे बालों को तितर बितर करते हुए, हाथ फिरा दिया, मानो कह रहे हो, तुम अब बड़े हो गये हो, मुझे चिंता करने की कोई ज़रूरत नही.
पापा के कार गेट से बाहर निकालने के बाद, जब मैं गेट को बंद कर के लौटा, तो देखा मम्मी और बुआ, ड्रॉयिंग हॉल में बैठ कर बातें कर रही थी. जैसे ही मैं दाखिल हुआ, वो दोनो चुप हो गयी. ये बात मुझे अच्छी नही लगी, इसका मतलब वो दोनो मेरे बारे में बातें कर रही थी, और चाहती थी, कि मैं उन बातों को ना सुनूँ. मैने एक झलक में दोनो की तरफ देखा, और फिर ध्यान से बुआ को देखा, लेकिन उनके एक्सप्रेशन बिल्कुल नॉर्मल थे.
"आओ राज, बैठो, कैसा रहा आज का दिन?" मम्मी ने पूछा. मैने गौर किया, कि सवाल पूछते समय, मम्मी के गाल थोड़े लाल हो गये थे. फिर मुझे होश आया, कि मुझे सवाल का जवाब देना है. लेकिन एक बार फिर, मम्मी ने बुआ की तरफ देखते हुए बस हल्का सा मुस्कुरा दिया, उस प्यार भरे अंदाज में जैसा वो हमेशा करती थी.
"सब ठीक रहा मम्मी. मैं उपर वाले बाथरूम में." मैने बुआ की तरफ देखते हुए कहा, वो थोड़ा परेशान सी लगी, लेकिन इसकी कोई वजह नही थी. मुझे उनका ऐसे देखना, ठीक उसी तरह लगा, जैसे उन्होने सुबह, मेरे से उनको मम्मी समझने की ग़लती करने के बाद, मुझे बुआ ने देखा था.
"जाओ नहा लो, हम यहाँ पर बैठ कर बातें कर रहे हैं," बुआ ने ज़ोर देते हुए बोला, और बस एक वाक्य में ही बहुत कुछ बोल गयी.
" राज, मैं पास की ग्रोसरी शॉप से कुछ सामान लेने जा रही हूँ, तुमको खाने के लिए कुछ मंगाना तो नही है?" मम्मी ने पूछा.
"नही मम्मी, मुझे कुछ नही मंगाना है, आज सुबह वैसे ही कुछ ज़्यादा खा लिया था,” मैने बोलते हुए बुआ की तरफ देखा. बुआ ने गुस्से में मेरी तरफ देखा, और ऐसा लगा जैसे वो कह रही हो, कि अगर मैने कुछ ना बोला होता तो बेहतर होता. तभी उसी वक़्त मुझे पछतावा भी हुआ, कि शायद मैने अपना गुस्सा और झुंझलाहट बुआ पर बेकार में उतार दी थी, लेकिन इस बात की संभावना बिल्कुल नही थी कि जो कुछ मैं इशारों में बोल गया था, वो मम्मी के समझ में आया हो.
"ओह...इस से पहले की मैं भूल जाऊं, ये लो अपने एअर रिंग्स वापस ले लो,” मम्मी ने बुआ के वो एअर रिंग्स उतारते हुए हंसते हुए कहा, “और थॅंक यू मुझे एक रात उधार देने के लिए.”
मैं घूमकर, सीढ़ियों की तरफ चल दिया, और एक बार में दो-दो सीढ़ियों पर छलाँग लगाते हुए अपने रूम में पहुच गया. और फिर अपने सारे पहने हुए कपड़ों को उतार के, उछालकर एक कोने में फेक दिया. बस अंडरवेर पहने हुए, मैं तौलिया उठाकर, बातरूम में घुस गया. फिर इंग्लीश स्टाइल की टाय्लेट सीट पर बैठकर, लंड को सहलाते हुए, उसे खड़ा करके, मूठ मारने की तय्यारी करने लगा...
जब मैं नहाकर बाहर निकला तो मैं बिल्कुल फ्रेश फील कर रहा था. सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए जब मैं अपने रूम में घुसा तो बेड पर मुन्नी बुआ नीचे पैर लटका कर बैठी हुई थी, और शायद मेरा इंतेजार कर रही थी. बुआ को अकेले वहाँ मैने बैठा देखा, मैने वो टवल भी हाथ से छोड़ कर, उसे नीचे सरक कर, गिर जाने दिया. मैने जान बूझकर, बुआ से पूछा, “मम्मी कहाँ है?”
"पास से ही शॉपिंग करने गयी है. लेकिन पहले तुम ये बताओ, कि वो सब तुम क्या बोल रहे थे?” मुन्नी बुआ ने अपनी पहली उंगली मेरी तरफ करते हुए पूछा. मैने शरम से अपने ग़लती स्वीकार करते हुए, अपना सिर नीचे झुका लिया.
"आइ'म सॉरी. लेकिन शायद मुझे पसंद नही आयी कि कोई पीठ पीछे मेरे बारे में बातें करे," मैने सीधा सपाट उत्तर दिया.
"तुम पता नही क्या ऊट पटांग सोच रहे हो, कि ना जाने हम दोनो तुम्हारे बारे में क्या क्या बातें कर रहे थे? कि कैसे मैने कल तुम्हारे लंड को चूसा? या कैसे कल तुमने पहली बार मेरी चुदाई की? क्या तुम ये सोच के परेशान हो?" बुआ ने ऊँची आवाज़ में पूछा.
"नही... बुआ ऐसा कुछ नही... मैं ऐसा कुछ नही सोच रहा. मैं इतना बेवकूफ़ भी नही हूँ!" मैं ये बोलते हुए अपने मन ही मन रीयलाइज़ भी कर रहा था, कि शायद मैं थोड़ा बेवकूफ़ सही में हूँ. बस मुझे इसी बात की चिंता थी, कि जो कुछ मैने मुन्नी बुआ के साथ शेयर किया है, वो मम्मी को उसमे से कितना बता रही हैं.
" राज तुम एक बात सुनो, और समझ लो, कि तुम्हारी मम्मी, किसी भी और माँ की तरह, तुम्हारे बारे में चिंता करती हैं. वो तुमको प्यार करती हैं... ये तुमको भी पता है. और तुम को ये भी पता है कि वो तुम्हारे लिए हमेशा भला ही चाहती है.
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