RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
रात के खाने के बाद, रूम में अपने बेड की टेक से पीठ लगा कर बैठ गया, पैर सीधे किए और कहीं अतीत की यादों में खोता चला गया। । । मेरी इन यादों में, जिन्हें अतीत बन जाने के बाद, आज तक सही से मैंने टटोला नहीं था, खोला नहीं था, शायद एक अजीब डर के कारण, उस डर की वजह से जो इंसान को किसी आग की नदी के किनारे खड़े हुए महसूस हो सकता है कि एक कदम बाद या तो जल के भस्म। । । ।
हाँ, यह उसी दिन की बात थी, जब मैं कॉलेज में साना के साथ मौजूद था और मुझे दीदी का मेसेज आया था कि "" तुम ठीक हो ना? ""। । । । । ।
मेरे बस में नहीं था, वरना समय को एक ही सेकंड में आगे कर देता और रात हो जाती और मैं अपनी आत्मा के मालिक के पास जा पहुँचता पर मनुष्य के हिस्से में बेबसी के सिवाय आया ही क्या है। । .एक एक पल जैसे बीतने से पहले अपनी अहमियत याद दिलाए जा रहा था। । । ऐसी हालत पहले तो कभी नहीं थी मेरी, फिर आज क्यों? हां शायद इसलिए कि ऐसी करामात भी तो प्यार ने मुझे पहले कभी नहीं दिखाई थी।
पल गिनते गिनते गुज़र ही गए, रात हो ही गई और वह समय आ ही गया। मैंने बाजी के रूम के डोर पे नोक किया, एक पल भी नहीं बीता कि दरवाजा खुल गया, शायद आज जो आग इधर लगी थी और ऐसी ही आग उधर भी लगी थी। । दरवाजा खुलने के बाद, जहां था वही पे जाम होकर तो रह गया, सांसें रुक ही सी तो गईं आंखें झपकाना एक पाप सा लगने लगा तब, काले रंग का सूट सलवार पहने वह हूर अपनी पूरी ग्लो से प्रकट हो रही थी । ।
"" क्या है? "" वह मुझसे मुखातिब हुई। ।
मैं वैसे ही उसकी सुन्दरता में डूबे हुए बोला "" जी कुछ नहीं ""
मैं जैसे अपने आप में रहा ही नहीं, उसके हुस्न के जादू की पकड़ में आ गया था। पहले से ही ऐसी बेचैनी का समुंदर अपने अंदर लिए, तड़पता हुआ तो आया था उसके पास, ऊपर से जो सितम मुझ बेचारे दीवाने पे जो किया उसके हुष्ण ने तो सह न पाया यह सब। । मैं ऐसे ही उसके हुस्न मे खोया हुआ आगे बढ़ा और हूर को अपनी बाँहों में ले लिया। । ।
बाजी भी शायद इन्ही पलों के इंतजार में थी, उन्होने भी मुझे अपने से लगा लिया और मेरी कमर पे प्यार से हाथ फेरने लगी। । । जाने कितना ही समय बीत गया और हम दोनों एक दूसरे से यूं ही लगे अपनी आत्माओं की प्यास बुझाते रहे। । । सच ही है कि आत्मा का ऋण जीने नहीं देता, जीने तब देता है जब उतार दो, हाँ हम दोनों ऋण चकाने के लिए ही तो थे। । । ।
"" तुम ठीक हो ना? "" बाजी का सुबह वाला सवाल आवाज बन मेरे कानों से टकरा गया और न चाहते हुए भी होश की दुनिया में वापस आ गया
"जी अब ठीक हूँ" यह कहते हुए मेरे होंठों पे एक मुस्कान सी आ गई।
"डोर बंद कर लूं?"
"जी"
हम दोनों न चाहते हुए भी एक दूसरे से अलग हुए और बाजी दरवाजा बंद करने लगी। जाने प्रेमियों में धैर्य की कमी क्यों होती है, वह एक पल की दूरी बर्दाश्त नहीं कर सकते। ऐसा ही मेरे साथ हुआ और बाजी जो डोर बंद करके मुड़ने ही वाली थी, मैंने उन्हें पीछे से ही हग कर लिया। । मेरे हाथ उनके बाजुओं के नीचे से गुजरते हुए, उनके पेट से ज़रा ऊपर थे। । ।
कितनी ही देर मैं यूं ही बाजी को हग किए रहा। फिर मैं अपनाएक हाथ उनके पेट उठाया और उनके गाल पे रखा और उन के चेहरे को पीछे की ओर धीरे से किया, ताकि पीछे की ओर हम दोनों के होंठ एक दूसरे से टकरा सकें। होंठ जब एक दूसरे से टकराए तो अजब ही मस्तियों में मस्त हम मस्ताने, होंठ की छेड़छाड़ से एक प्यारे से युद्ध में डूबते चले गए। इस जंग ने आज शुरू होते ही जैसे घोषणा सी कर दी थी कि उसे बहुत लंबे समय तक जारी रहना है। । टाइम के साथ इस युद्ध में जैसे तीव्रता सी आरम्भ हो गई, हाँ शायद आज समय का तकाजा ही था। । ।
बाजी के नरम गुलाबी होठों को पीछे से खड़े खड़े ही चूमते हुए, अब मैं अपने पेट के जरा ऊपर ही मौजूद अपने हाथ उनके पेट पे फेरने लगा। बंद होते, खुलते, चपकते, लपटते होठों के साथ, अब हम दोनों एक दूसरे के साथ अपनी जीभ भी टकरा रहे थे। इस प्यार भरी लड़ाई को लड़ते लड़ते मेरे कदम पीछे की ओर होना शुरू हुए, और फिर मेरे साथ बाजी के कदम भी पीछे को होना शुरू हुए, हां मगर वह जंग, वह नही रुकी वह अपनी तीव्रता से जारी ही रही। कदम पीछे की ओर होते चले गए और मैं बेड तक जा पहुंचा और फिर बाजी को अपने साथ लेते हुए आराम से बेड पे बैठ गया। । ।
अब बाजी मेरी गोद में बैठी हुई थी। होंठ और जीभ वैसे ही आपस में व्यस्त रहे। अब मेरा हाथ जो उनके पेट पे था, वह ऊपर आया और सूट के ऊपर से उनके दोनों बूब्स को आराम से दबाने लगा .बूब्स को मेरी पकड़ में जाते देख बाजी के मुंह से "" "आह आह मम मम हम आह सस्स "" आवाज निकली।।
कितने पल ऐसे ही बीत गए खबर नहीं कि फिर मेरा हाथ नीचे खिसकता चला गया और मैंने बाजी की कमीज के अंदर हाथ डाल दिया, हाथ आगे बढ़ते बढ़ते उनके ब्रा से अंदर चला गया और मैंने उनके बूब को सहजता से थाम लिया। बाजी मेरी गोद में बैठे हुए मचलकर रह गई। मेरा उनके ब्रा में मौजूद हाथ दोनों बूब्स को बारी बारी थाम रहा था, धीरे से दबा रहा था, सहला रहा था कि मैं ने शर्ट के अंदर ही उनके मम्मे ब्रा से बाहर निकाल दिया।
जुनून वक्त के साथ शायद बढ़ता ही चला जा रहा था। बाजी ने अपनाएक हाथ वैसे ही बैठे बैठे पीछे किया और मेरे सिर पे रख कर मेरे बालों को आराम से पकड़ लिया। हर बीतता पल अपने अंदर मस्ती और वासना की एक नई दुनिया ले केआता। मेरे होंठ बाजी के होंठों से अलग हुए और अपने दोनों हाथ उनके पेट पे रखे और उन्हें अपने साथ लिए बेड के ऊपर खिसक गया। वह अपनी कमर के बल बेड पलटी हुई थीं, यानी कि उनका मुंह दूसरी तरफ था और मैं उनके पीछे उनके साथ चिपका हुआ लेटा था। इस दौरान उनकी शर्ट उनकी कमर से काफी ऊपर कोसरक चुकी थी।
मेरा हाथ उनकी कमर के नीचे से होता हुआ उसके पेट पे था, जबकि दूसरा उनकी कमर के ऊपर से होता हुआ उनके पेट पे था। । मेरे दोनों हाथ अब की बारएक साथ ऊपर को बढ़े और मैं उनके दोनों बूब्स को एक साथ शर्ट के अंदर ही अपने हाथों में पकड़ा और दबाने लगा। बाजी और मैं एक साथ ही मजे से चिल्ला उठे "" "आह आह मम हमम्म्म्म ममममम धीरे आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह"
"" मैं बाजी के मोटे तने हुए मम्मे दबाए जा रहा था, और अपने दोनों हाथों के दोनों अंगूठे और उंगलियों से उनके दोनों निपल्स को रगड़े जा रहा था, और नीचे से अब यह हाल हो चुका था कि मेरा लंड बहुत ही कड़ा हो के बाजी की सलवार के ऊपर से ही उसकी मोटी बाहर निकली हुई गान्ड की गहरी लाइन में फँसा हुआ था। बाजी ने जो सलवार पहन रखी थी उसका कपड़ा बहुत बारीक था, जिस वजह से ऐसा फील हो रहा था कि उनकी गाण्ड और मेरे लंड के बीच कोई बाधा नहीं है। मजे की अथाह गहराई में डूबता ही चला जा रहा था कितनी ही देर बीत गई मैं यों ही बाजी के मम्मे दबाता रहा और अपना लंड उनकी गाण्ड में फँसा कर लेटा रहा।
फिर एक विचार के मन में आते ही मैंने अपने दोनों हाथ बाजी केबूब्स से हटाए और पीछे हो गया मैं पीछे होकर थोड़ी नीचे सरका और दोनों हाथ बाजी की सलवार पे रख दिए। मेरे हाथों को अपनी सलवार पे महसूस करते ही बाजी ने अपनाएक हाथ पीछे किया और मेरे हाथ को पकड़ के दबाया और ऐसा करने से मना किया। मैंने आगे हो के बाजी के इस हाथ को चूमा और उसे प्यार सेएक साइड पे किया और फिर उनकी सलवार को पकड़ के नीचे करने लगा कि बाजी ने फिर से मेरे हाथ को पकड़ लिया "" नहीं करो ना
"पर मैं रुकता कैसे, आज मैं अपनी उस इच्छा को पूरा करना चाहता था, उस इच्छा को जहां से यह सारा सिलसिला शुरू हुआ था। अपनी जिस इच्छा की पूर्ति का मैंने बहुत समय इंतजार किया था।। मैंने बाजी का हाथ फिर से चूमा और साइड पे करते हुए "थोड़ी देर देखूंगा"
"" मान लो ना मेरी बात "" बाजी ने मस्ती भरी आँखों से मुझे देखते हुए काह।।।
"थोड़ी देर बस"
"सलमान जो गुनाह मुझसे हुए वही बहुत है ये क्या कर रहे हो , यह मत करो, मान जाओ ना"" बाजी ने मुझे मनाते हुए कहा
अपनी इच्छा की पूर्ति को इतने पास देख मैं जैसे उनकी कही बात को अनसुनी कर बैठा। "बस थोड़ी देर"
बाजी ने अपना चेहरा आगे की ओर कर लिया। मैं फिर से उनकी सलवार नीचे करने लगा कि उन्होने फिर से मेरे हाथ को थाम लिया और दबाया, पर इस बार मैं रुका नहीं।
मैं बाजी की सलवार नीचे करता चला गया, यहां तक कि उनकी मोटी बाहर निकली गाण्ड पूरी नंगी हो गई। आह मैं जैसे उनकी गाण्ड की सुंदरता में खो सा गया .एक तो उनकी गाण्ड थी ही इतनी सुंदर, ऊपर से काली सूट, सलवार के बीच में नंगी, आह मैं तो जैसे अपने होश ही खो बैठा। तब मैंने यह जाना कि गाण्ड का दीवाना में ऐवें ही नही हो गया था। ये गाण्ड थी ही इसके लायक उसे घंटों बैठे बैठे देखा जाए, और उसे प्यार किया जाए
"ऐसे मत देखो ना" बाजी ने शरमाते हुए कहा
बाजी की आवाज मुझे जैसे होश में ले आई। मैंने बाजी को देखा तो वह मेरी ओर ही अपनी आँखों में नशा और चेहरे पे हल्की सी परेशानी लिए देख रही थीं, ऐसे जैसे कि उन्हें मेरी ये दीवानगी समझ न आ रही हो। मुझसे नज़रें टकराते ही वह मुझे और नही देख पाई, और फिर उन्होंने अपना चेहरा आगे कर लिया, और अपना हाथ फिर से सलवार पे रख के उसे ऊपर की ओर करने लगी कि मैं उन्हें हाथ से पकड़ लिया, और अपने मुंह को आगे करते हुए बाजी की गाण्ड की एक साइड को चूम लिया आह आह फिर दूसरी साइड को चूम लिया आह फिर चूमने का जो सिलसिला शुरू हुआ कि बस में चूमता ही चला गया।
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