RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
मेरा एक हाथ पीछे से बाजी की गर्दन मे डला हुआ था और दूसरे हाथ से मैंने बाजी के बाल दुपट्टे के ऊपर से ही पकड़ लिए थे। अब बाजी पे मेरी पकड़ बहुत टाइट थी। । । मैंने अब अपने होंठ बाजी के होंठों पे रखे और बाजी होंठों को चूमना शुरू कर दिया। । बाजी ने हर तरह से कोशिश की कि वह मुझसे अपने आप को छुड़ा लें पर वह नाकाम रहीं। पर फिर भी उन्होंने अपनी यह असफल कोशिश जारी रखी मैं पागलों की तरह बाजी के होठों को चूम रहा था और अब तो अपनी ज़ुबान भी मैंने बाजी होंठों के बीच में डालनी शुरू कर दी थी। पूरी जीब बाजी के होंठों के बीच से गुज़ारता हुआ बाजी के मुंह में डालता। । और मैने अपनी जीब को बाजी की जीब पे फेरता और फिर ऐसे ही करता हुआ वापस अपनी जीब बाजी के मुंह से बाहर निकाल लेता और फिर इसी प्रक्रिया के साथ ही फिर अंदर डाल देता । । ।
मेरा पूरा बदन इस प्रक्रिया में जैसे मस्ती के समुंदर में गोते खा रहा था। । । । काफी देर ऐसा करने के बाद अब मैं फिर बाजी होंठ चूमने चूसने लगा। पर इसके साथ ही कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरा रोम रोम झूम उठा। । ।
बाजी ने अचानक मेरे होंठों को अपने सुंदर गुलाबी होठों से पकड़ लिया। और मेरे होठों को चूम लिया। । मेरे सपनों की देवी, मेरा जीवन, मेरा पहला प्यार और उसका मुझे पहला चुंबन। । । उस समय मौत भी आ जाती तो कोई ग़म नहीं था। । । । बाजी के ऐसे करने से मेरी भावनाओं की गर्मी को जो ठंडक मिली इस से मेरे प्यार की तीव्रता जैसे कई गुना और बढ़ गई और मैं बाजी के होंठों को प्यार और चाहत से चूमने और चूसने लगा। । । बाजी भी अब मेरे होंठों पे पलट कर मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थीं पर उसके साथ ही बाजी मुझे अपने हाथों से पीछे भी करने की कोशिश कर रही थीं। जिससे यह लग रहा था कि जो हम दोनों बहन भाई के बीच हो रहा है बाजी नहीं चाहती थी कि यह हो। । । मैंने फिर भी अपने हाथों और होठों की पकड़ को ढीला नहीं छोड़ा
ऐसे ही हम दोनों बहन भाई पता नहीं कितनी देर एक दूसरे को चूमते रहे और एक दूसरे की सांसों की गर्मी को एक दूसरे में उतारते रहे। । । ।
किस करते करते मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों से उठाए और बाजी के गालों को चूमने लगा। । बाजी का सफेद चेहरा इस प्रक्रिया से गीला हो चुका था। । । बाजी के होठों से होंठ उठाने की देर थी कि बाजी ने हल्की से चीख के साथ कहा सलमान पीछे हटो, ऐसा मत करो मेरे साथ, पर सलमान होश-ओ-हवा में कहां था जो अपनी बाजी की आवाज सुन पाता। । मैंने बाजी की नाक माथा कान को चूमा और फिर अपने एक हाथ जो बाजी की गर्दन के आसपास था उसे वहां से उठाया और बाजी के शोल्डर पे रख दिया। और अपने होंठ बाजी की गर्दन पे जमा दिए। उस दिन मुझे पता चला कि गर्दन लड़की का कितना संवेदनशील बिंदु है। । जैसे ही मैंने अपनी बाजी की सुंदर नरम नाजुक और सफेद गर्दन पे अपने होंठ जमाए। । । बाजी के मुँह से एक सिसकी निकली। । । और बाजी के मुंह से बेइख्तियार निकला सलमान नहीं। । । । । । । ।
बाजी की ये सिसकी एक और ही तरह का जादू गई मेरे पर । । और मैं पागल वार अपनी बाजी की गर्दन को किस करने लगा। । । और बाजी पता नहीं किस जहां में खोई हुई बस यही कहती रही: सलमान नहीं सलमान नहीं सलमान क्या है यह सलमान
सारी दुनिया सोई हुई थी और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे में खोेये हुए थे। । । मैं अब बाजी की सुंदर गर्दन को अपने होठों से चूम रहा था और अपनी जीभ भी उस पर फेर रहा था। में बाजी की पूरी गर्दन पे जीब फिरता रहा ऊपर से नीचे तक, फिर नीचे से ऊपर तक। । । और साथ ही जिस हिस्से पे ज़ुबान फेरता उस हिस्से को चूमता भी। मेरी इस प्रक्रिया से बाजी की हालत बुरी से बुरी होती जा रही थी और बाजी की सिसकियों में भी वृद्धि होती जा रही थी और बाजी ने आँखें बंद कर ली थीं। पर अब भी बाजी के नरम नाजुक हाथ मेरे सीने से टकरा रहे थे। इन नरम नाजुक खाथों से बाजी मुझे पीछे करने की कोशिश भी साथसाथ कर रही थीं। । । । । । । ।
बाजी की गर्दन को ऐसे ही चूमते चाटते में अब बाजी के शोल्डर पे पड़े अपने हाथ से बाजी केशोल्डर दबाने लगा। । मेरा प्यार मेरी सपनों की वहशहज़ादी मेरे सामने मेरे अधिकार में थी, भला यह कैसे हो सकता था कि मैं उसके शरीर की इंच इंच को जी भर के प्यार न करता। । । अगर मैं ऐसा नही करता तो प्यार में बेमानी हो जाती । । । मैं तो ऐसा दीवाना था जो शायद यही एक प्यार का उद्देश्य इस दुनिया में ले के आया था। ।
मस्ती और खुमार की स्थिति और जुनून की हालत में डूबे हुए, मेरा हाथ बाजी के शोल्डर को दबा रहा था वह अब धीरे धीरे नीचे की ओर आया और मैंने अपने उस हाथ से बाजी का नरम, मोटा और सख़्त खड़ा मम्मा शर्ट के ऊपर से ही पकड़ लिया और आराम से प्यार से दबाने लगा। । । मेरी बाजी का मम्मा आज मेरे हाथ में था, वह मम्मा जिसे मैंने आज तक छुप छुप कर देखा था, वह मम्मा जिसे आज तक तस्वीर में ही देख कर मैंने मुठ मारी थी, वह मम्मा जिसे छूना एक सपने जैसा लगता था, जी हाँ वही मम्मा आज मेरे हाथ की गिरफ़्त में था और उस मम्मे को मैं दबा रहा था। । । । उसी दिन के अंदर मजे की एक नई दुनिया से परिचित हो चुका था।
में बाजी की गर्दन को वैसे ही चूम चाट रहा था और साथ ही बाजी का मम्मा भी दबा रहा था। । । बाजी किसी और ही दुनिया मेंखोई हुई थी कि अचानक उनके शरीर को एक झटका लगा और साथ ही बाजी ने मेरा हाथ अपने बालों से हटाया और फिर दूसरा हाथ अपने मम्मे से हटाया, फिर दोनों हाथो से मुझे पूरी ताकत के साथ पीछे की ओर धक्का दिया और कहा कि सलमान ये क्या बदतमीज़ी है? ऐसा मत करो। । । पीछे हो। यह सब पाप है, यह गलत है सलमान पीछे हो जाओ। । । बाजी ऐसे ही कितना कुछ बोल गई। और बाजी के धक्के कारण लड़खड़ाते हुए कॉफी कदम पीछे हो गया। । । । । बाजी के चेहरे पे सख्त नाराजगी थी। । । । और बाजी को खो देने के डर से सिर झुकाए कमरे से बाहर चला गया। वैसे भी हम दोनों के बीच एक अंजाना सा छुपे प्यार का सिलसिला चल रहा था, जिसे अब कुछ कह कर खराब नहीं करना चाहता था। । । ।
मैं अपने रूम में आकर बेड पे गिर गया और आज के उस हसीन समय की यादों में खो गया। । । और उन यादों से अपनी आत्मा को सारॉबार करने लगा। । । यह जो कुछ भी हो रहा था सपने जैसा लगता था। । । । बाजी का यूं मुझे किस करना, मेरा बाजी के शरीर को छूना बाजी के अपने होंठों की गर्मी खुद मुझे देना। ।
उस बेरहम को मुझ पे थोड़ा रहम आ चुका था। पर बाजी जिस तरह की लड़की थी उनके लिए इतना सब कुछ कर लेना भी बहुत ज़्यादा था। एक ऐसी लड़की जो हया और सम्मान को अपना सिंगार समझती थी। । आज उसने अपनी इज़्ज़त और हया को अपने छोटेभाई के प्यार और दीवानगी पे लूटाया था।
सुबह जब मैं उठा तो वही रात वाली स्थिति मुझ पे अभी भी वैसे ही छाई हुई थी। । । मैं अब दीवानगी की उस हालत में पहुंच चुका था कि मुझे अब जिंदगी ही एक सपने जैसी लगना शुरू हो गई थी। । । शायद प्यार इतनी मुश्किल के बाद पाने के कारण ये हाल था मेरा। । ।
पर अभी मेरे प्रिय ने मुझे वह विकल्प नहीं दिया था, जो मैं उस से चाहता था। । । मैं चाहता था कि वह भी मुझे ऐसे ही दीवानों की तरह प्यार करे जैसे मैं करता हूँ।
मैं उठा तैयार हुआ और नीचे आ गया। । । नीचे सब उपस्थित थे और अम्मी नाश्ता लगा रही थी। । । नाश्ते के दौरान बाजी ने मुझे बिल्कुल नहीं देखा। । बाजी को हिम्मत करके मैंने कहा कि बाजी ब्रैड देना इधर बाजी ने बिना कोई उत्तर दिए चुपचाप ब्रैड ऐसे पास की कि उनके चेहरे और एक्सपरेशनज़ से मुझे अंदाजा हो गया कि वह मुझसे सख्त नाराज हैं। । अजीब ही प्रेम कहानी थी मेरी। एक पल ऐसा लगता था कि महबूब पे मेरा बस मेरा ही अधिकार है और दूसरे पल ऐसा लगता था कि मेरे महबूब ने तो आज तक मुझे बिल्कुल चाहा ही नहीं। । । । । नाश्ते के बाद मुझे अम्मी ने कहा: बेटा शाम को बाजार चलना है, कुछ खरीदारी करनी है। । । मैं ओके कह के अपने रूम में आ गया। । । दिन गुजरा और शाम आई। । । मैं अम्मी और बाजी को लेकर बाजार में चला गया। । बाजी के चेहरे पे अब भी वही नाराजगी थी। जिसे केवल मैं देख सकता था। । । हम दोनों बहन भाई की तो कोई और ही दुनिया है, इस दुनिया की भाषा को सिर्फ हम दोनों ही समझ सकते थे। । । इस लोगों से भरी दुनिया वाले तो हमें बहन भाई ही समझते . बाजी की यह नाराजगी मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। । । मेरा मन कर रहा था कि बाजी को गले लगा लूँ और उन्हें रो रो के मना लूँ। । । पर मजबूर मरता क्या न करता। । । चुप ही रहा । ।
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