RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
कुछ पल यूँ ही मम्मे को घुरने के पश्चात अंत-तह विशाल अपनी नज़र किसी तरह उनसे हटाकर अपनी माँ के पेट् पर डालता है जिसका हिस्सा खुले हुए गाउन से नज़र आ रहा था. विशाल आगे को झुकता हुआ गाउन को निचे से भी खोलना शुरू कर देता है. अंजलि का सपाट दूधिया पेट् बल्ब की रौशनी से नहा उठता है. गाउन को अंजलि की कच्छी तक खोल कर विशाल एक क्षण के लिए रुक जाता है. अब अगर वो थोड़ा सा भी गाउन को खोलता तो उसकी माँ के जिस्म का वो हिस्सा उसकी नज़र के सामने होता जिस पर एक बेटे की नज़र पढना वर्जित होता है. मगर यहाँ खुद माँ चाहती थी के उसका बेटा उस वर्जित स्थान को देखे बल्कि माँ तडफ रही हैबेटे को दिखाने के लिये. विशाल का हाथ गाउन को खोलने के लिए हरकत में आता है. इस समय दोनों माँ बेटे के जिस्म काम के आवेश से कांप रहे थे. आगे जो होने वाला था उसकी कल्पना मात्र से दोनों के दिल दुगनी रफ़्तार से दौडने लगे थे.
आखिरकर जिस पल का दोनों को बेसब्री से इंतज़ार था वो पल आ चुका था. वो वर्जित स्थान बेपरदा होने लगा था. दोनों की साँसे रुकि हुयी थी. गाउन के पल्लू ख़ुलते जा रहे थे. और काली कच्छी में ढंका वो बेशकीमती स्थान दिखाई देणे लगा था. विशाल माँ की टांगो पर झुकते हुए गाउन को खोलता चला जाता है और तभी रुकता है जब गाउन घुटनो तक खुल जाता है. अंजलि सर से लेकर घुटनो तक्क अब सिर्फ लायके की ब्रा कच्छी पहने बेटे के सामने अधनंगी अवस्था में थी. विशाल का चेहरा माँ की चुत से अब कुछ इंच की दूरी पर था.
मा की चुत पर नज़र गड़ाये विशाल उसे घूरे जा रहा था. लायके के महीन कपडे से बनी उस कच्छी को देखकर कहना मुहाल था के ढकने के लिए बनी थी या दिखाने के लिये. अंजलि की चुत से वो कुछ इस तेरह चिपकी हुयी थी के पूरी चुत उभरि हुयी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी. और ऊपर से क़यामत यह के चुत से निकले रस ने उसे होंठो के ऊपर से बुरी तरह भिगोया हुआ था. अंजलि की उभरि हुयी चुत, उसके वो फूले मोठे होंठ और दोनों होंठो के बिच की लाइन जिसमे कच्छी का कपडा हल्का सा धँसा हुआ था सब कुछ साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था. वो नज़ारा देख विशाल की नसों में दौडता खून जैसे लावा बन चुका था. चुत से उठती महक उसे पागल बना रही थी. वो अपने खुसक होंठो पर बार बार जीभ फेर रहा था. चुत के होंठो के बिच की लाइन जिसमे कच्छी का कपडा धँसा हुआ था, विशाल का दिल कर रहा था के वो उस लाइन में अपनी जीव्हा घुसेड कर अपनी माँ के उस अमृत को चाट ले. चुत के ऊपर बेटे की गरम साँसे महसूस कर अंजलि का पूरा बदन कसमसा रहा था. उसके पूरे जिस्म में तनाव छाता जा रहा था.
विशाल बड़ी ही कोमलता से माँ की कोमल जांघो को सहलता है और धीरे से अपना चेहरा झुककर चुत की खुसबू सूंघता है और फिर अपना चेहरा घुमाकर अपने जलते हुए होंठ माँ के पेट् से सता देता है.
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