RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
विशाल जाग चुका था मगर अब भी कच्ची नींद में था जब अंजलि उसके कमरे में आयी। वो बेड पर विशाल के सिरहाने बैठकर उसके चेहरे पर हाथ फेरने लगी और उसे प्यार से बुलाने लागी। विशाल ने ऑंखे खोली मगर फिर तरुंत बंद करदि। वो सोना नहीं चाहता था मगर माँ का प्यार भरा स्पर्श उसे इतना सुखद लग रहा था के वो यूँ ही उसे महसूस करते रहना चाहता था। उस समय विशाल अपनी माँ की तरफ करवट लेकर लेता हुआ था और उसने अपनी टाँगे मोडी हुयी थी।
आंजलि लगातार बेटे के गालों को सेहलती अपना हाथ फेरती रहती है। विशाल ऑंखे बंद किये लेटा रहता है। दस् मिनट बाद अंजलि झुक कर विशाल के गाल को चूमती है और उसे धीरे से उठने को केहती है। विशाल ऑंखे खोल देता है। वो करवट बदल कर सिधा होता है और एक ही झटके में अपने ऊपर से चादर हटा देता है।
कुछ ही पल मे अंजलि की ऑंखे फैल जाती है। उसका मुंह खुल जाता है। उसकी सांस रुक जाती है। विशाल का ध्यान अपनी माँ के चेहरे की और था। जब्ब वो अपनी माँ के चेहरे के भाव एक सेकंड में यूँ बदलते देखता है तो हैरान हो जाता है। वो वहीँ रुक जाता है और उसे समज नहीं आता के क्या हो गया है। वो अपनी माँ की नज़र का पीछा करता अपने बदन पर देखता है। उसके होश उड़ जाते है। वो पूरा नंगा था। और उसकी खुली टैंगो के बिच उसका लम्बा मोटा लुंड हर सुबह की तरह पूरी तराह आकड़ा हुआ सिधा खडा था। विशाल अपनी माँ को देखता है जो उसके लंड को देख रही थी। अचानक विशाल को होश आता है और वो झटके से चादर खींच खुद को ढकता है और दूसरी तरफ को करवट ले लेता है।
"गुड मॉर्निंग मा आय ऍम सो सॉरी माँ मुझे उफ्फ याद ही नहीं रहा में वहां ऐसे ही सोता था उउफ्फ्फ माफ़ करदो माँ".विशाल शर्मिंदगी से अंजलि की तरफ पीठ किये खुद को कोस रहा था के वो कैसे भूल गया के वो घर पर है न के अमेरिका के अपने फ्लैट में।
आंजली स्तब्ध सी खड़ी थी। जब्ब विशाल माफ़ी मांगता है तोह वो भी होश में आती है। वो एक पल को समझने की कोशिश करती है के क्या हुआ है मगर अगले ही पल वो हंस पड़ती है। वो इतना खुल कर ऊँचा हँसति है के विशाल की शर्मिंदगी और भी बढ़ जाती है।
विशाल को शायद इतना नहीं मालूम था के उसने अपनी माँ की तरफ से करवट तोह ले ली थी और अपने जिसम का आग्र भाग चादर से ढँक लिया था मगर उसकी पीठ पर चादर उसके नीचले कुल्हे को नहीं ढँक सकी थी। अंजलि उसे देखति है तो और भी ज़ोरों से हंस पड़ती है।
"ऊऊफफफ माँ हँसो मत जाओ यहाँसे से प्लीज जाओ भी". विशाल अपनी माँ की मिन्नत करता है। अंजलि की खिलखिलाती हँसी उसकी शर्मिंदगी को और बढा रही थी।
ताभी अंजलि को नजाने क्या सूझता है, के वो शरारत के मूड में आकर बेड पर हाथ रखकर झुकति है और ज़ोर से विशाल के नग्न कुल्हे पर चपट मारती है।
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