Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
03-20-2019, 12:10 PM,
#3
RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
विशाल ने घर पहुंचते ही नहा लिया और अपना सामान खोलने लगा जबकि उसकी माँ ने उसके लिए हल्का फुल्का खाना बनाया क्योंकि विशाल ने खुद कहा था के वो जलद से जलद सोना चाहता है, उसकी ऑंखे नींद और थकन से बोझिल हो रही थी। ऊपर की मंजिल पर उसका कमरा तैयार था। खाना खाकर उसने अपने माँ बाप को वो ढेरों तोहफे दिए जिन्हें वो कब्ब से खरीद रहा था। वो तोहफे बेहद्द महंगे थे जिन्हे उसका बाप शायद अफ़्फोर्ड नहीं कर सकता था। उसके माँ बाप बेहद्द खुश थे। अखिरकार उसका बाप अंजलि को लेकर कमरे से बहार आ जाता है ताकि वो सो सके क्योंके अंजलि के वहां रहते शायद ही वो सो पाता। 

विशाल ने अकेला रह जाने पर एक गहरी सांस ली और मुसकरा पडा। अपनो के साथ उनके प्यार की गर्माहट में वो कितना सुखद महसूस कर रहा था। उसके मन को कितनी शान्ति थी, और उसके अंदर एक रोमांचकता से भरपूर ख़ुशी थी। विशाल ने ऑंखे बंद कर ली और जल्द ही लम्बे सफर की थकन और नींद ने उसे अपने आग़ोश में ले लिया। 


रात के लगभग आठ बज रहे थे जब अंजलि ने विशाल को जगाया। विशाल अभी भी सोने के मूड में था। मगर अंजलि ने उसे उठने के लिए मजबूर कर दिया। विशाल जब नाहा धोकर निचे पहुंचा तोह उसके माँ बाप उसका ही इंतज़ार कर रहे द। खाने के टेबल से स्वाधिष्ट खाने की प्यारी खुसबू आ रही थी। उसकी माँ ने उसके पसंद के खाने की सारी डीशेस से पूरा टेबल भर दिया था। विशाल मुसकरा उठा उसे बेहद्द तेज़ भूख लगी हुयी थी। एक बार जब वो सुरु हुआ तोह उसने इतना खाया जितना वो आम तौर पर दो वक़त के खाने में भी नहीं खाता था। अपनी माँ के हाथों के खाने के सामने उन फाइव स्टार होटल्स का खाना भी कुछ नहीं था जिनमे उसने नजाने कितनी बार खाया था। आज उसे महसूस हो रहा था के उसने पिछले चार साल में कितना कुछ मिस किया था। और साथ ही उसे खुद पर शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी के इतना प्यार करने वाली माँ से वो अभी और समय दूर रेहना चाहता था। 

खाने के बाद वो अपने पीता से बाते करने लगता है। वो अपनी कंपनी और नौकरी के बारे में बता रहा था। और उसकी बातें सुन कर उसके बाप को उस पर फखर होता जा रहा था। उसका बेटा अब बड़ा आदमी बन चुका था। जितना वो एक साल में भी नहीं कमा सकता था, विशाल उससे ज्यादा एक महीने में कमा सकता था।

कफी देर बाद विशाल जब अपने कमरे में गया तोह उसने अपना बैग खोले और अपना सामान सेट करने लगा उसने अभी तक्क अपना बैग भी नहीं खोला था। आधे घंटे बाद जब वो फ्री हुआ तोह उसकी माँ उसके लिए दूध लेकर आ गायी। विशाल मुसकरा पडा पुराणी यादें ताज़ा हो गायी। विशाल बेड पर बैठा बैठा दूध पि रहा था जबके अंजलि रूम में घूम रही थी और फिर वो बेड पर उसके पास बैठ गयी। वो उसे बड़े धयान से देख रही थी। 

ऐसे क्या देख रही हो माँ? विशाल मुस्कराते हुए पूछता है।

"देख रही हुन मेरा बेटा कितना जवान कितना बड़ा हो गया है".अंजलि का चेहरा खिला हुआ था। वो विशाल के गाल पर हाथ फेर रही थी।

"मगर फिर भी तुमने एक ही नज़र में पहचान लिया"। मा का स्पर्श कितना प्यारा कितना गर्माहट भरा था।

"हुन तोह क्या में अपने बच्चे को नहीं पहचानती"।

"मगर माँ में तुम्हे नहीं पहचान सका मेरा मतलब मैंने तुम्हे पहचान तोह लिया था मगर एक पल के लिए मुझे यकीन ही नहीं हुआ तुम कितनी बदल गयी हो "। विशाल अपनी माँ के बदन पर निगाह दौडता बोल।

"मतलब।मुझमेंकेसा क्या फरक आ गया है"।अंजलि मुसकरा उठि थी। वो जन्ति थी के उसमे क्या फरक आ चुक्का था क्योंके उसे यह बोलने वाला विशाल अकेला सख़्श नहीं था बल्कि वो कई लोगों के मुंह से यह सुन चुकी थी।

"मतलबतुम कितनी पतली हो गयी हो माँ यकीन नहीं होता सच मै और तुम कितनी सुन्दर दिख रही हो"। विशाल अपनी माँ के चेहरे को हैरत से देखता केहता है।

"मतलब पहले में बदसूरत थी". अंजलि हँसते हुए केहती है।

"नहीं माँ तुम जानती ही मेरा वो मतलब नहीं था मगर अब इतना वजन कम् करने के बाद तो तुम एकदम जवान लग रही हो जैसे के तुम सिर्फ तीस की हो सच मैं" अंजलि हंस पड़ती है। 

"बस घर पर कुछ करने के लिए नहीं था इसीलिए थोड़ा बहुत एक्सरसाइज करनी सुरु कर दि एक बार सुरुआत करने के बाद तोह बास मुझे इतना अच्चा लाग्ने लगा के में ज्यादा से ज्यादा वजन कम् करने की कोशिश करने लगी मगर वो सभ छोड़ो मुझे यह बतायो के तुम्हारी दोस्ती किसी लड़की से भी हुयी क्या मैने तोह जैसा अमेरिका के बारे में सुना था मुझे डर लगता था कहीं कोई गोरी मेम तुम्हे हमसे छीन ही न ले".

"अरे माँ वहां मुझे कोई भी गोरी ऐसी नहीं मिली जो तुम जैसी सुन्दर हो अगर तुम जैसी मिल जाती तोह में सचमुच शायद वापस नहीं आता". विशाल हँसते हुए मज़ाक़ करता है।

"बेशरम"अंजलि बेटे के बाजु पर चापट मारती है। 

दोनो माँ बेटा इसी तेरह बाते करते रेह्ते है। कब्ब रात के गयारह बाज्ज जाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता। अखिरकार अंजलि अपने बेटे का माथा चूम कर उसे गुड नाईट केहती है और वहां से रुख्सत होती है।

विशाल को लगा था के सायद दोपहर को सोने के बाद उसे इतनी जल्दी नींद नहीं आएगी। मगर खाने और सफर की अधूरी थकन ने उसे कुछ ही पलों में गहरी नींद में पहुंचा दिया।
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