Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:01 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया: समीर पागलो जैसी बाते मत करो….अभी तुम्हारी उम्र नही ये सब सोचने की….चलो मान लो कि अगर मैं मान भी लूँ तो तुम बताओ जब तुम्हारे अब्बू दूसरी शादी कर लेंगे…..तो तुम क्या करोगे….तुम उन्हे रोक सकते हो दूसरी शादी करने से…..

मैं: शायद नही….

नाज़िया: तो फिर क्या करोगे….क्योंकि मैं इतनी गिरी हुई और मजबूर नही हूँ कि तुम्हारे अब्बू मेरे होते हुए दूसरी शादी कर लें और मैं यहीं इस घर में बैठी रहूं… तुम क्या चाहते हो तुम्हारे अब्बू की दूसरी शादी के बाद मैं यही रहूं….

मैं: नही….ये फैंसला तुम्हारा है….

नाज़िया: तो फिर क्या तुम अपने अब्बू को छोड़ कर मेरे साथ रहोगे….दुनिया क्या कहेगी…तुम्हें अच्छा लगेगा कि तुम मेरे ऊपेर बोझ बनो और दुनिया तुम्हे ताने दे….

मैं: नही…..फिर तुम ही बताओ मैं क्या करूँ…..

नाज़िया: समीर अपनी स्टडी पर ध्यान दो…और जल्द से जल्द सेट्ल हो जाओ…फिर बाद मे देखेंगे….ताकि अगर कल को तुम्हे अपने अब्बू से अलग भी होना पड़े तो तुम्हे किसी के ऊपेर बोझ ना बनना पड़े….और मुझे भी सोचने का वक़्त दो…. अब तुम अपने रूम मे जाकर सो जाओ….. 

नाज़िया ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे से हटा दिया….नाज़िया की बातों को सुन कर मैं सुन्न हो चुका था….आख़िर मेरा वजूद ही क्या था…अगर नाज़िया और अब्बू का डाइवोर्स हो जाता तो मजबूरन मुझे अब्बू के साथ रहना पड़ता….और अगर नाज़िया के साथ रहता तो दुनिया वाले नाज़िया और मुझे जीने नही देते…मैं वहाँ से उठ कर अपने रूम में आ गया….और फिर बेड पर रज़ाई लेकर लेट गया…और सोचने लगा कि अब क्या करूँ…..और अपनी मुसीबतों से पार पाने का एक ही रास्ता नज़र आ रहा था कि, मुझे अब जल्द से जल्द इनडिपेंडेंट बनना है….यही सब सोचते-2 पता नही चला कब नींद आ गयी….

अगले दिन जब आँख खुली तो, देखा कि नाज़िया बॅंक जाने के लिए तैयार थी….”समीर नाश्ता बना दिया है खा लेना….मैं बॅंक जा रही हूँ….” नाज़िया ने अपना पर्स उठाया और बाहर चली गयी…

.”दोस्तो दो दिन इस तरह गुजर गये….नाज़िया से मेरी नॉर्मली बात होती पर उससे ज़यादा कुछ ना हुआ….तीसरे दिन दोपहर का वक़्त था….और दो दिन बाद फिर से कॉलेज शुरू होना था…मैं घर पर बैठा अकेला बोर हो रहा था….मैं सबा के घर भी जाकर आ चुका था….सबा दो दिनो से किसी रिश्तेदार के घर गयी हुई थी.. सुमेरा चाची और रीदा के घर भी जाना मुनकीन नही था….क्योंकि रीदा का शोहार गल्फ से एक महीने की छुट्टी पर वापिस आया हुआ था…और इस वक़्त सुमेरा चाची के घर पर ही था….

जब घर पर बैठे-2 बोर हो गया तो, सोचा क्यों ना सिटी जाकर किसी दोस्त से मिल लूँ.. मैने अब्बू की बाइक बाहर निकाली और घर को लॉक लगा कर सिटी की तरफ चल पड़ा… घर से निकलने से पहले ही मैने अपने एक दोस्त को कॉल करके बस स्टॅंड पर बुला लिया था….दोस्त को बस स्टॅंड से पिक किया और हम दोनो एक रेस्टोरेंट में पहुँच गये… वहाँ हमने खाने के लिए ऑर्डर किया और इधर उधर की बातें करने लगे….तभी मेरी नज़र सबीना पर पड़ी….वो दूसरी रो के टेबल पर किसी औरत के साथ बैठी हुई थी…. उसे देख कर नज़ाने क्यों मेरा खून खोलने लगा….मैं सोचने लगा कि, अगर सबीना अब्बू की जिंदगी में ना होती तो, आज ना तो नाज़िया दुखी होती और ना ही मैं….मुझे सबीना पर बहुत गुस्सा आ रहा था….वो तो मेरे अब्बू को भी धोखा दे रही थी….पर मैने दिल ही दिल मे सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए…

इसको इसके किए की सज़ा तो देनी ही है…तभी वो लेडी जो उसके साथ बैठी थी वो सबीना से बोली….”यार कोई चक्कर चला ना…मेरे बेटे ने इस साल 12थ कर ली है… और तुम तो जानती ही हो कि, हमारे पास इतने पैसे नही है कि, उसे मजीद पढ़ा सके…यार तुम्हारी तो ऊपेर तक बड़ी पहुँच है….मेरे बेटे को किसी गवर्नमेंट जॉब पर लगा दे…”

सबीना: घबरा ना यार….तुम फिकर मत करो…..मार्च मैं हमारी बॅंक नये पोस्ट निकालने वाली है….तुम्हारे बेटे की सेट्टिंग करवा दूँगी….वैसे भी एक आध को तो जॉब दिलवा ही सकती हूँ….

सबीन हवा में बातें नही कर रही थी….यहाँ तक मैं उसे जानता था…उसका काफ़ी रसूख् था….उसके वालिद की भी काफ़ी चलती थी…..सबीना की बात सुन कर मुझे आइडिया आया और मैने मन ही मन सोचा कि, ये साली ही अब मेरी मुसीबतों का हल करेगी… अब किसी तरह इसे अपने काबू में करना होगा….थोड़ी देर बाद वेटर हमारा ऑर्डर ले आया….हमने जल्दी -2 खाना खाया…और फिर मैने अपने दोस्त को उसके घर छोड़ा और सबीना के घर की तरफ चल पड़ा….मैने डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद अहमद ने गेट खोला….और मुझे देख मुस्कराते हुए बोला….”और जी ख़ान साहब कैसे हो…?”

मैं: मैं ठीक हूँ….आज़म कहाँ है….?

अहमद: वो तो जी घूमने गये है अपने मामू के घर…..

मैं: और तुम्हारी मालकिन…..

अहमद: वो तो जी बॅंक में है…

मैं: ओह्ह अच्छा…यार वो क्या मैं आपनी गर्लफ्रेंड को आज वहाँ कोठी पर लेकर जा सकता हूँ…

अहमद: नही नही साह जी….आज तो वो मालकिन के होने वाले शोहार आने वाले है.. आज नही….फिर किसी दिन का प्रोग्राम रख लो….मैं भी वही जाने वाला था….

मैं: अच्छा वैसे कितने बजे आना है उनको….

अहमद: मालकिन और वो अंकल तो शाम को 6 बजे पहुँचेंगे ….

मैं: चल ठीक है फिर मैं चलता हूँ…

अहमद: रूको शाह जी…..वैसे आज क्या प्रोग्राम है….

मैं: बोलो अहमद….

अहमद: वही मिलते है अपने पुराने अड्डे पर….

मैं: कितने बजे मिलोगे…..

अहमद: 6 बजे मालकिन और अंकल आ जाएँगे….उसके बाद 6:30 बजे मिलते है…हम अपना प्रोग्राम बना लेंगे और तब तक वो दोनो अपना एंजाय कर लेंगे….

मैं: ठीक है…..तो 6: 30 बजे मिलते है…

अहमद: ठीक है शाह जी….
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