Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
03-06-2019, 10:39 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
शाम को जगदीश राय 3 बजे घर पहुँच गया। दरवाज़ा निशा ने खोल दिया। निशा बिना कुछ कहे अंदर को जाने लगी।

जगदीश राय: आशा आ गयी…?

निशा : हाँ आ गई।

जगदीश राय: उसे भी बुलाओ और तुम भी आओ। मुझे कुछ बात करनी है…

निशा: पापा…।इसकी…कोई…

जगदीश राय (भारी आवाज़ में) : जो बोलै है …वह करो…

थोड़ी देर बाद आशा और निशा दोनों ड्राइंग रूम में पापा के सामने खड़े थे।

जगदीश राय: बैठो…पिछले कई दिनों…इस घर में…जो कुछ भी चल रहा था … वह क्यों हुआ …कैसे हुआ…मैं नहीं जानता…

जगदीश राय: और जो भी हुआ है…इसमें सब गलती मेरी है…तुम्हारी कुछ नहीं…

जगदीश राय: इस लिए…आज के बाद…सब कुछ बंद…।तुम दोनों बहने हो…और तुम्हे ज़िन्दगी भर हर वक़्त प्यार से रहना है…

निशा: पर पापा…

जगदीश राय: बीच में मत टोको…।।आज से…जैसे हम थे…।।तुम्हारी मम्मी के वक़्त वैसे ही रहेंगे…समझी…।अब तुम दोनों गले मिलो और यह सब भूल जाओ।

आशा और निशा दोनों अपने पापा के तरफ घूरते रहे और फिर दोनों मुस्कुरा दी।

निशा: पापा…हमने तो कब की सूलह कर दी…और गले भी मिल लिए…और क्या आप के कहने से क्या सब कुछ पहले जैसा हो जायेगा…

जगदीश राय: कोशिश तो कर सकती है।

निशा: नहीं पापा…जो भी हुआ है…सही या गलत मैं नहीं जानती…लेकिन…हालात के अनुसार हुआ है…आप और मैं या आप और आशा दोनों हालात के चँगुल मैं फस गये। अब इससे पीछे जाना मुमकिन नही।

जगदीश राय: तुम बोलना क्या चाहती हो।

निशा: यहि की गलती मेरी है…मुझे आप दोनों के प्यार और खेल को देखकर ग़ुस्सा नहीं करना चाहिए था। आशा का भी आप पर उतना ही हक़ है जितना मेरा। और वैसे भी मैं तो सिर्फ आपको खुश देखना चाहती थी। और वही ख़ुशी आपको आशा दे उसमे कोई बुराई नही।

जगदीश राय का मुह खुला ही रह गया। 

जगदीश राय:क्या…तुम…

निशा: हाँ पापा…आजसे आप की मर्ज़ी…माँ की कमी पूरी करने के लिए आपकी दोनों बेटियां तैयार है।।क्योंकि आप हमारे प्यारे पापा है…

जगदीश राय को यकीन नहीं हो रहा था की क्या सुन रहा है।

निशा: तो ठीक है…क्या अब मैं आपके लिए चाय बना लाऊँ…की किसी को और कुछ बातें करनी है।

आशा जो अब तक चुप थी, बोल पडी।

आशा (शरारती ढंग से): क्या चाय से पहले…मैं और पापा एक राउंड खेल खेलकर आये…?

निशा: चुपकर…बेशरम…

आशा: नही दीदी।…।तीन दिन हो चुके अब…।अब सहा नहीं जाता।।।

निशा: मारूंगी अभी मैं तुझे…जा ऊपर होमवर्क कम्पलीट कर…।पापा इससे तो आप पूरा हफ्ता अपने कमरे से बाहर रखना…

आशा: पापा…आप दीदी की बात मत सुनना।

जगदीश राय को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह क्या बोले।

जगदीश राय: तुम दोनों मेरी प्यारी बेटी हो।

आशा ने निशा को ठेंगा दिखाकर , ऊपर कमरे की तरफ भाग गयी। निशा भी हँस दी।

और 3 दिनों के बाद आज जगदीश राय बेहद खुश था। वह सोफ़े पर बैठा और पेपर उठा कर पढने लगा।

पर दिमाग पर यह सवाल था की आज किसकी बारी होनी चाहिये। 
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ - by sexstories - 03-06-2019, 10:39 PM

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