RE: bahan ki chudai बहन का दर्द
लेकिन मैं तो समय हूँ......
मैं कुछ कर तो नहीं सकता.... लेकिन इस कहानी के सूत्र धार के रूप मे....
ये बता दूं.... ये प्रतिग्या अडिग और अमर रहने वाली है.... क्यों कि आज जो भी तारीख हो..... वो आज तक अमल है..... चलो मैं आपको अभी की तारीख बता ता हूँ.... रात के 12.01 मिनिट हो चुका है दिन बदल गया है.... 14थ फेब्रुवरी शुरू हो चुकी है....यानी कि वॅलिंटाइन डे...... उस समय शायद.वॅलिंटाइन का डे किसी को मालूम भी नहीं था... गाओं देहात मे....
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बारिश पूरे जोरों पर थी..... झूला हवा के बहाव से तेज़-तेज़ चल रहा था...... पूरा गाओं नींद के आगोश मे था..... कड़कती बिजली.... और मूसलाधार बारिश..... बार-बार रति की नथ का मोती चमका देते थे....जो बार-बार बिरजू को और उत्तेजित कर रहा था.... उसने एक बार फिर रति को अपने आगोश मे ले लिया.....
रति की आखों से तो गंगा जमना बहने लगी......उसे तो ये गुमान ही नहीं था कि उसका भाई उस-से इतना प्यार करता है..... उसके पास बिरजू के एक भी सवाल का जबाब नहीं था.... वो बस मंत्र मुग्ध सी बिरजू को सुन रही थी.........
बिरजू ने रति को अपने से बिल्कुल सटा लिया.... बारिश तो जैसे.... और तेज़ पर तेज़ होती जा रही...... बारिश की वजह से बिरजू को रति के आसू नहीं दिख रहे थे.... लेकिन जब उसने उसे अपने से चिपकाया तो उसे उसकी सिसकियाँ सुनाई... दी...
अरे पगली.. रोती क्यों जा रहीं है.......
वो फिर तो दहाड़ मार-मार कर रोने लगी..... भैया आप मुझे इतना प्यार करते हो.....
हां रति......
मुझे कहीं छोड़ तो नही जाओगे.....
कैसी बात करती है रति....मैं प्यार कर रहा हूँ कोई मज़ाक नहीं....
रति की चूत पनिया.... गयी फिर एक बार ..... उसका मन अंदर से एक दम से डोल गया..... आख़िर लंड का स्वाद है ही ऐसा..... तभी तो जमाने की लौंडिया.....इस अनोखे खिलोने की दीवानी हैं....
उधर बिरजू अपना हाथ रति के पेट , पीठ पर फिरा रहा था.....
बड़ा ही मन मोहक समा सा बँध गया था..... अब लब कुछ नहीं बोल रहे थे.... बस बरबस..... किसी अंजान चाहत... या अंजानी ताक़त से अपने आप काम बन रहा था.....
फिर उसने अपना हाथ का डाइरेक्षन घुमाया और उसे...कमर के पास लाता हुआ धीरे से..... रति के पेटिकोट के नाडे मे डाल दिया.... और उसका हाथ रति की गदराई गान्ड के उपरी हिस्से मे पहुँच गया......
और उसका मन खुशी से झूम उठा.... क्योंकि....? रति ने पेंटी भी नहीं.... पहनी हुई थी......अब तो उसका लंड सारे तट बंधन तोड़ कर आगे बढ़ना चाहता था......
उसने धीरे से ना जाने कब रति को पता भी नहीं चला अपनी धोती निकाल दी और लंड को खुली हवा मे छोड़ दिया..... लंड तो जैसे मौका ही ढूंड रहा था.... उसने अपना फन फफकार दिया.... और रतिया की जांघों के इर्द गिर्द..... सर्गोसियाँ करने लगा.....और अपना माल ढूँढने लगा....
रति तो जैसे पिघल सी ही गयी.... इस रोमांच से कि आज भैया... उसकी चूत का उद्घाटन करेंगें..... लेकिन दूसरे ही पल... उसे अपने रिश्ते का ख़याल फिर आया.... और थोड़ी दुखी भी हो गयी....पर फिर उसने सोचना बंद कर दिया... और मन से बोली... जो होगा देखा जाएगा.....
और उधर बिरजू थोड़ा कुछ ज़्यादा ही बोल्ड हो गया...... उसने रति का शॉल कुछ ज़्यादा ही उपर उठा दिया.... और लौंडिया की दोनो.... जबरात चूचियाँ....उसके हाथ मे आ गयी......
हाई... भैया ये क्या कर रहे हो..... लेकिन बिरजू ने उसकी एक ना सुनी...... और अपना काम जारी रखा.... और उसने बारी-बारी से उसकी मद मस्त चूचकों का जबरदस्त मर्दन करना जारी रखा....
क्या कर रहे हो भाई.... मुझे शरम आ रही है.....लेकिन उसका अंग- अंग मुस्कुरा रहा था......
बिरजू को ना जाने क्या सूझी.... और वो गाना गाने लगा.....
मेरे सपनो की रानी कब आएगी तू...$$$$$$$$$
बड़ा ही ख़ुसनूमा समा बँध चुका था...... इस गाने के दरमियाँ... बिरजू ने रति के सारे शरीर पर दम से हाथ फेरता रहा.... लौन्डिया भी मस्ती से गन-गना चुकी थी... और दो बार झड चुकी थी.....
बिरजू का खुन्टे जैसा लंड...... रति की चूत के मुहाने पर टिका हुआ था..... रति की चूत के पानी से वो भी पूरा तर हो चुका था.....
दोनो की नज़र..... फिर आकाश की तरफ उठी.... जहाँ चाँद धीर नीचे की ओर जा रहा था,,,,, और प्रेमी जोड़ा एक दूसरे में समाने के लिए तैयार था...... और बारिश अपने पूरे शाबाब पर थी...
रति मन्त्र मुग्ध हो कर बिरजू का गाना सुन रही थी..........गाना पूरा होने पर....बिरजू ने उसे चूमते हुए पूंच्छा कैसा लगा....बहुत सुंदर भाई आप सच में बहुत सुर में गाते हैं.....
ये सुन कर बिरजू ने एक बार फिर उसके गुलाबी गालों को चूम लिया.... गाल चूमने के कारण उसका लंड रति की चूत के और करीब आ गया......लौंडिया सिहर गयी..... फिर तो बिरजू ने उसके होंठो को अपने होंठो से सटा कर के बड़ा ही पॅशनेट स्मूचिंग किस किया
रति अब पूरी तरह से पिघल चुकी थी.......
बिरजू ने एक हाथ... रति के पेटिकोट के नाडे मे फसाया.... और उसकी गदराई गान्ड को थोड़ा उठा... के... पेटीकोत को नीचे खिसका दिया....... और फिर पैरों से... पेटीकोत को नीचे खिसका दिया.......
रति चाँदनी रात मे... खुले आकाश के नीचे बिल्कुल मदरजात नग्न अवस्था मे पड़ी थी.......
शरम से उसने अपनी आखें बंद कर ली और अपनी चुचियों को अपने हाथ से ढक लिया......
बिरजू तो जैसे... आज ही सारा रस पीना चाहता था......
भाई प्लीज़ अब आपने बहुत कर लिया.... बस अब इससे आगे नहीं......
बिरजू..... रति बहुत मज़ा आ रहा है... प्लीज़ अब मत रोक....
भैया मैं अपने पूरे फर्टाइल पीरियड मे हूँ.... और आपके इस मद मस्त लंड से पहली रात मे..... ही प्रेगञेन्ट हो जाऊंगी...... सो प्लीज़ लीव फॉर टुडे ओन्ली......
नहीं.... मेरी रानी... मैं पटना जा कर अपोलो हॉस्पिटा मे तेरा अबॉर्षन करवा दूँगा.... पर आज मेरे को मत रोक......
बड़ा ही पॅशनेट सेक्सी प्यार चल रहा था.... दोनों भाई बेहन का......
अब स्थिति ये आ गयी थी दोनो का भी अब अपने ऊपर बस नहीं था.....
बिरजू ने अपना लंड पकड़ा.... जो 2 घंटे की तपिश से किसी भी समय उफान से फटने वाला था......
और उसे रति की गुलाबी झान्टो से भरी चूत के मुहाने पर टिकाया......
लौंडिया.... सिहर गयी.... और समझ भी गयी क़ी अब उसे चुदना ही पड़ेगा.... अपने भाई के मज़बूत.... मदमस्त रसीले लंड से....
बिरजू ने एक बार लंड से अंगड़ाई ली और लंड... सीधा... रति की चूत पर टिका के... हल्का सा झटकककााअ माररराआ.... लंड चूत के माँस को चीरता हुआ.... अंदर सरक गया....
रति.... 9 इंच के लंड की आहट से ही नर्वस हो गयी.... भैया... संभाल के... आपका बहुत बड़ा लंड है...
जैसे तूने बड़े- बड़े लंड देखे है .....उसने अगला झटका थोड़ा ज़ोर से दिया.... और लंड सीधा... रति की चूत के गहराई मे घुस गया..... लौंडिया सिहर उठी.....और आहा...... आहा... करने लगी......
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