RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सिडियोसे से आती कदमो की आहट तेज़ और तेज़ होती जाती है. आवाज़ उसके कमरे के बाहर आकर थम जाती है. राहुल अपने धडकते दिल को थाम लेता है. उसकी ऑंखे अपने सामने टेबल पर रखी किताब पर थी मगर उसका पूरा ध्यान दरवाजे की और था. दो पलों के इंतज़ार के बाद बिलकुल धीमे से हंडेल घुमता है और सलोनी कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर देखति है. राहुल अपनी आंखों के कोने से अपनी मम्मी को पजामा-शर्ट में दरवाजे की चोकट पर खड़े देखता है. राहुल का दिल और भी ज़ोरों से धड़कने लगता है. सलोनी एक पल के लिए वहीँ खड़ी कमरे का जायजा लेती है. उसका पूरा चेहरा खिला हुआ था, होंठो पर जैसे शरारती सी मुस्कान चिपक कर रह गयी थी.
राहुल अपनी नोटबुक में कुछ लिखने का नाटक कर रहा था मगर उसके हाथ बुरी तरह से कांप रहे थे. सलोनी उसकी कुरसी के पीछे से चलति बेड के पास जाती है और उसे सँवारने लगती है. उसके बाद वो अटैच्ड बाथरूम में जाकर सफायी करती है. इसके बाद वो फिरसे कमरे में आती है और फर्श पर झाड़ू लगाती है. राहुल का पूरा ध्यान किताब में था मगर कमरे में हल्की सी सरसराहट भी उससे बचकर नहीं जा सकती थी. सलोनी पूरे रूम की सफायी करने के बाद राहुल के टेबल के पास जाकर खड़ी हो गयी. राहुल अपने मुंह पर हाथ रखे अपनी साँसों को कण्ट्रोल करने की पूरी कोशिह कर रहा था. उसे डर था उसकी बेकाबू गहरी साँसों का शोर उसकी एक्ससाइटमेंट का राज़ उसकी सलोनी के सामने न खोल दे. पहले तोह राहुल नहीं हिला मगर जब सलोनी बद्स्तूर वहीँ खड़ी रही तोह उसे उठना ही पडा. वो उठ कर बेड पर बैठ जाता है. सलोनी टेबल और फिर कुरसी साफ़ करती और फिर राहुल की बुक्स और लैपटॉप को वापस व्यबश्थित करके वहां से हट जाती है. राहुल वापस अपनी कुरसी पर बैठ जाता है. सलोनी बाथरूम से राहुल के धोने वाले कपडे लेकर वापस कमरे में आती है और दरवाजे की और बढ़ती है. वो दरवाजा खोलकर चोकट पर घुमकर राहुल को देखति है, वो सर झुकाए बैठा था. सलोनी का ध्यान उसकी कम्कम्पाती हुयी तांग पर जाता है जिसे वो अपने हाथ से दबाकर उसका कम्पन रोकने की कोशिश कर रहा था. सलोनी के होंठो पर मुस्कान आ जाती है और वो धीरे से मुड कर कमरे से बाहर चलि जाती है और अपने पीछे दरवाजा बंद कर देती है.
राहुल कुछ समय कुरसी पर बैठा रहता है जब तक के सलोनी के कदमो की आहट वापस सीढ़ियों से उतरने के समय तक आती रहती है. वो सर घुमा कर दरवाजे की और देखता है और फिर उठ कर कमरे में घुमने लगता है. वो कब से इंतज़ार कर रहा था के वो आये. और वो आई और आकर चलि गयी? क्या बस एहि करना था उसे? क्या वो बस एहि करने आई थी. सफाई करने के लिए? और उसका क्या? उसके बेटे का क्या? उसे मालूम नहीं के में कब से उसका वेट कर रहा था? अब क्या वो चाहती है के में उससे माफ़ी मांगू? गलती वो करे और माफ़ी में मांगू? राहुल के दिमाग में सवालो की जंग छिड़ी हुयी थी.
आब माँ-बेटे के झगडे में सुलह दोनों पक्ष चाहते थे मगर सुलह के लिए पहल कोई भी नहीं कर रहा था. सलोनी अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं कर रही थी और राहुल चाहते हुए भी करना नहीं चाहता था. उसकी मर्दानगी उसे झुकने से मना कर रही थी लेकिन इस तरह मम्मी से दूर भी नहीं रहा जाता था. वो करे तोह काया करे. 'सारा क़सूर उसकी मम्मी का ही है' राहुल एहि सोच रहा था. 'पहले ग़लती करो बाद में अकड दिखाओ राहुल मन ही मन अपनी मम्मी पर खीज उठा था. 'ठीक है अगर वो नहीं चाहती तोह फिर में भी उससे कोई बात नहीं कुरूँगा. वो खुद मिन्नतें करेगी फिर भी नहि बुलाऊंगा.
राहुल को गुस्सा आ रहा था. सलोनी को गए अभी मुश्किल से पांच मिनट ही हुए थे मगर उसकी बैचेनी देख कर ऐसा लगता था जैसे उसे अपनी मम्मी से बिछुड़े सालों हो गए हो. एक तरफ वो अपनी मम्मी से गुस्सा था और दूसरी तरफ वो उससे मिलने के लिए तड़फता था. एक तरफ वो उसे उसकी ग़लती की सजा देना चाहता था दूसरी तरफ वो उसके प्यार के लिए उसके साथ के लिए तडफ रहा था.
सलोनी को गए कोई पन्द्रह मिनट बीते होंगे की फिर से सीढियाँ चढ़ने की आहट सुनायी देणे लगी. राहुल का दिल धड़क उठता है. क्या वो फिरसे उसके कमरे में आ रही थी. कदमो की आहट सीढ़ियों से उसके कमरे की तरफ आने लगी. राहुल का पूरा चेहरा खील उठा. वो भाग कर अपनी कुरसी पर बैठ गया और अपने सामने किताब खोल ली. उसके अंदर ख़ुशी की लहर दौड गयी और वो पूरी तरह से भूल गया था की अभी कुछ पल पहले अपनी मम्मी पर किस तरह गुस्सा कर रहा था.सच कहा है किसीने सेक्स में आदमी दिमाग से नही अपने लंड से सोचता है.
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