RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
सानिया इस बार खड़ी हो गई ताकि सब साफ़ देख सके। रागिनी ने सानिया को खड़ा देख बोला-"आईए न दीदी आप भी। अंकल बहुत अच्छे हैं।" आगे कुछ कहने से पहले हीं मैंने लन्ड को बुर के बाहर भीतर करके लौण्डिया की चुदाई शुरु कर दी। सानिया का चेहरा चुदाई देख एक दम लाल हो गया था, पर वो सिर्फ़ खड़े-खड़े देख रही थी। रागिनी को पहली बार मेरे जैसे मर्द से वास्ता पड़ा था जो लड़की को खुब मजे ले कर चोदता है और लड़की को भी साथ में मजे देता है। मेरी आदत थी कि मैं रन्डी भी चोदता तो प्रेमिका बना कर। जब भी किसी को चोदा तो उसको अपने लिए भगवान का उपहार माना और उसके शरीर को पुरे मन से भोगा। मैंने रागिनी से कहा-"मजा आया रागिनी?" उसकी आँख बंद थी, होठ से कांपती आवाज आई-"हाँ अंकल बहुत। आप बहुत अच्छे हैं। आअह अंकल अब थोड़ा जोर से धक्का लगा कर चोदिए न, जैसा धक्का लन्ड पेलते समय दिए थे।" असल में अभी ख्ब प्यार से धीरे धीरे लन्ड अंदर-बाहर करके उसको चोद रहा था। पुरा पैसा वसूल हो इसके लिए जरुरी था कि उसकी बुर कम से कम आध घंटा मेरे लन्ड से चुदे। उसके जोर का धक्का लगाने की फ़र्माईश पर मैंने ८-१० सौलिड धक्के लगाए और धक्के पर रागिनी के मुँह से आह की आवाज आई। मैंने रागिनी से कहा-"आँख खोल और देख न कौन चोद रहा है तुझे। मुझसे आँख मिला, कुछ बात कर ना। रन्डी हो तो थोड़ा रन्डीपना दिखा।" उसे मेरी बात से ठेस पहुँची शायद, पर वो आँख खोल कर बोली-"हाँ साले बेटीचोद, लुटो मजा मेरे चूत का साले। मेरे बाप की उमर के हो और साले मुझे चोद रहे हो।" मुझे उसकी गालियों से जोश आ गया-"चुप साली फाड़ दुँगा तेरी चूत आज। साली कुतिया। मुझे बेटी-चोद बोलती है। बाप से चुदा-चुदा के जवान हुई हो साली और मुझे बोल रही है बेटी चोद...ले साली चुद, और चुद, और चुद, रन्डी साली।’ और मैंने कई जोरदार धक्के लगा दिए। ८-१० मिनट चोदने के बाद मैं थोड़ा थक गया तो लन्ड बाहर निकाल लिया और बोला-"अब बेटा तुम मेरे उपर बैठ कर चोदो, मुझे थोड़ा आराम से लेटने दो, फ़िर मैं चोदुँगा"। उसने कहा-"ठीक हैं अंकल" और मेरे उपर चढ़ कर बैठ गई। सानिया बार-बार अपने पैर सिकोड़ रही थी, उसकी चूत भी गीली थी, पर उसमें गजब का धैर्य था। खड़े-खड़े ही वो हुम दोनों की चुदाई देख रही थी चुप चाप। रागिनी के मुँह से हुम्म्म हुम्म्म की अवाज निकल रही थी पर वो मेरे लन्ड पर उछल उछल कर खुद ही अपनी बुर चुदा रही थी। मैं ऐसी मस्त लौन्डिया को पा कर धन्य हो गया। कुछ देर बाद मैंने कहा-"चल साली, अब घोड़ी बन। घुड़सवारी करने का मन है।" वो बोली-"जरुर अंकल, आपके लिए तो आप जो बोलो करुँगी। आपने मुझे सच्ची मजा दिया है और मुझे पहली बार रन्डीपन का मजा मिल रहा है।" और वो बड़े प्यार मेरे उपर से उठी और फिर बेड से उतर कर जमीन पर हाथ-घुटनों के सहारे झुक गई। वो अब सानिया के बिल्कुल पास झुकी हुई थी। उसकी खुली हुई बुर अपने भीतर की गुलाबी कली के दर्शन करा रही थी। मैं भी बेड से उतर कर पास आ गया और सानिया से पूछा-"मस्ती तो आ रही होगी, कम से कम अपनी ऊँगली से ही कर लो मेरी बच्ची", मैंने प्यार से उसके गाल सहला दिए। फिर रागिनी पर सवार हो गया। मेरा लन्ड अब मजे से उसकी गीली चूत के भीतर की दुनिया का मजा ले रहा था। करीब ४० मिनट हो गया था, हम दोनों को खेलते हुए। रागिनी को एक और और्गैज्म हो चुका था। मेरा भी अब झड़ने वाला था तो मंने उससे पूछा-"कहाँ निकालूँ रागिनी?" वो तपाक से बोली-"मेरे मुँह में, मेरे मुँह में अंकल। आपका एक बुँद भी बेकार नहीं करुँगी।" मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल और उसके मुँह की तरफ़ आया। उसने अपना मुँह खोला और मैं उसके मुँह को अब चोदने लगा। १०-१२ धक्के के बाद मेरे लन्ड से पिचकारी निकलने लगी, जिसे रागिनी अपना होठ बन्द करके पुरा का पुरा माल मुँह में ली और फ़िर मैंने लन्ड बाहर खींच लिया तब उसने मुँह खोल कर मेरे माल को अपने मुँह में दिखाया और फिर मुँह बन्द करके निगल गई। मैंने उसको जमीन से उठाया और फ़िर अपने गले लगा लिया और कहा-"तुम बहुत अच्छी हो रागिनी, मैंने जो गालियाँ तुम्हें दी, उसके लिए माफ़ करना। चोदते समय ये सब तो होता ही हैं।" वो भावुक हो गई, उसकी आँखों में आँसू तैर गए। भरी आवाज में बोली-"नहीं सर, आप बहुत अच्छे हैं। मैं रन्डी हूँ, पर आपने इतना इज्ज्त दिया, वर्ना बाकी लोग तो मेरे बदन से सिर्फ़ पैसा वसूल करते हैं। थैंक्यू सर।" उसकी यह बात दिल से निकली थी, मैंने उसकी पीठ थपथपायी-"सर नहीं अंकल। अब मैं तुम्हारा अंकल हीं हूँ। जब भी परेशानी में रहो, मुझे बताना। मैं पुरी मदद करुँगा।" एक-एक बूँद आँसू उसकी गालों पर बह गए। उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़क लिया।
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