Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
अभी उन दो लोगो को गये कुछ वक़्त ही बीता था कि फिर से बेल बजती है...सुनेल दरवाजा खोलता है और एकदम बिजली सी चमकती है...दो लोग एक साथ सुनेल पे वार करते हैं...एक लोहे की रोड सुनेल के सर पे पड़ती है और उसी वक़्त एक चाकू उसके पेट में घोंप दिया जाया है......

सुनेल की दर्द भरी चीखे गूँजती है और वो लहरा के गिर जाता है......

जब तक उसकी चीख सुन सवी और मिनी बाहर आती...हमलावर नो दो ग्यारह हो चुके थे...सुनेल दरवाजे पे गिरा बेहोश था...और उसके जिस्म के चारों तरफ खून फैल रहा था...उसकी ये हालत देख मिनी चीख मार बेहोश हो जाती है...सवी जो फटी आँखों से सब देख रही थी...मिनी के गिरते ही उसे होश आता है...चिल्ला के पड़ोसियों को बुलाती है और मिनी को उनके हवाले कर बिजली की तेज़ी से एक पड़ोसी को साथ ले पास के हॉस्पिटल की तरफ रवाना हो जाती है...

सवी को हॉस्पिटल वाले जानते थे तो देरी ना करते हुए सुनेल को सीधा ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है ...

सवी हारी सी पिटी सी वहीं बाहर बैठी उपरवाले से दुआ माँग रही थी..

4 घंटे तक ऑपरेशन चला........

ऑपरेशन सफल हुआ था..पर सब कुछ ..इस बात पे निर्भर था कि सुनेल को कब होश आता है.......

रात भर सवी वहीं उसके सिरहाने आइसीयू में बैठी रही.

आइसीयू में बैठी सवी को ये नही पता चला कि पड़ोसी मिनी को भी हॉस्पिटल ले आए हैं...और वो एक दूसरे आइसीयू में अड्मिट हो चुकी है...एक पड़ोसी रात भर वहीं रुका रहा....

सुबह हो गयी....सुनेल को होश नही आया ....वो कोमा में चला गया था.....

मिनी को इतना गहरा सदमा पहुँचा था कि सुबह तक वो भी होश में नही आई थी...

सुनेल के कोमा में जाने की बात सुन..सवी ..बिल्कुल टूट गयी थी और इस वक़्त उसे ज़रूरत थी सुनील की...जो मिल्लों दूर था....

थकी हारी निराश जब सवी आइसीयू से बाहर निकली तो उसकी मुलाकात पड़ोसी से हुई...मिनी की हालत का पता चलते ही वो और भी टूट गयी और वहीं ज़मीन पे गिर बिलख बिलख के रोने लगी...

उसके पड़ोसी और डॉक्टर्स ने बड़ी मुश्किल से उसे संभाला और उसे नींद का इंजेक्षन लगा एक रूम में अड्मिट कर दिया.

मिनी को पहले होश आता है...वो उस सदमे से बाहर निकल चुकी थी...डॉक्तॉस से सुनेल के बारे में पूछती है ....और जब उसे पता चलता है कि वो कोमा में चला गया है...अपने हाथों में लगी मेंहदी को देख .....क्यूँ की इतनी जल्दी माँ....इस मेंहदी की कसम ...इसका रंग फीका नही पड़ने दूँगी ...जब तक मेरा सुनेल वापस नही आता सही सलामत.....

खुद को संभालती है...अब एक बहू ने अपना फ़र्ज़ निभाना था...अपने दर्द को अपने अंदर रख..उसे अपनी सास को संभालना था और अपने पति को उकसाना था कि वो लॉट आए.....लेकिन ...लेकिन ये हुआ क्यूँ...वो डर गयी...घबरा गयी....सुनेल की यादश्त एक आक्सिडेंट की वजह से गयी थी...और कल उसपर ये जानलेवा हमला...यानी कोई तो दुश्मन है सुनेल का...पर कॉन....

सुनील से कुछ कह नही सकती थी...क्यूंकी सवी उसे बता चुकी थी अपनी कसम के बारे में...

अब सहारे के दो रास्ते थे उसके पास ....अपने घरवालों को फोन कर बुलाती....या फिर.....विजय अंकल....

घरवालों का कोई ज़ोर नही था मुंबई में...विजय अंकल एक बिज़्नेस टिकून थे...उसे यही रास्ता सही नज़र आया...किसी भी तरहा ...विजय अंकल से बात करना और उनकी मदद लेना...लेकिन उन तक पहुँचू कैसे...

सोचते सोचते ..उसे ख़याल आया कि एक बार राजेश ने अपना नंबर दिया था...

राजेश तो हनिमून पे है...उफ्फ क्या करूँ......लेकिन जब सुनेल के उपर मंडराते ख़तरे के बारे में सोचा तो राजेश को फोन कर दिया...

राजेश ने उस से बहुत पूछा क्या प्राब्लम है इतनी घबराई हुई क्यूँ है...मिनी कुछ ना बोली...बस विजय का नंबर ले लिया कि बहुत ज़रूरी बात करनी है...

हैरान परेशान राजेश नंबर एसएमएस कर देता है....

और मिनी विजय को फोन कर देती है..

आधे घंटे में विजय और आरती दोनो वहाँ हॉस्पिटल में थे...

आरती सवी के पास जा कर बैठ जाती है और उसके होश में आने का इंतेज़ार करती है...

विजय सुनेल की कंडीशन के बारे में पता करता है और फिर मिनी के पास बैठ उस से सारी कहानी सुनता है...

विजय एक दम हरकत में आ जाता है...

आधे घंटे के अंदर ही सुनेल के लिए पोलीस प्रोटेक्षन आ जाती है

विजय अपने दोस्त डीटेक्टिव को भी बुला लेता है...और उसे उस अटॅकर को खोजने और ख़तम करने में लगा देता है...

सवी को होश आता है और अपने पास आरती को देख हैरान हो जाती है...

आरती उसे कुछ भी बोलने से मना करती है और बस आराम करने को कहती है....सवी नही मानती और उठ के कमरे से बाहर आ...मिनी को ढूंडती है...और उस कमरे में चली जाती है...

विजय फोन पे किसी से बात कर रहा था...

सवी की नज़रें मिनी से मिलती हैं...सवी की आँखों में गुस्सा था..उसे विजय की माजूदगी पसंद नही थी...अपनी लड़ाई..अपनी प्रॉब्लम्स वो खुद अकेले सॉल्व करना चाहती थी


विजय फोन पे बात करता हुआ ...सवी के चेहरे को पढ़ लेता है...जब तक विजय का फोन ख़तम होता....आरती भी वहाँ पहुँच जाती है...

विजय....सवी ..ये गुस्सा दिखाने का समय नही है.....उसके लिए तुम्हें अब बहुत मोके मिलेंगे...क्या चाहती हो..बेचारी बहू अकेली...सारी मुसीबतें झेले...बस अब मुँह मत खोलना...मुझ से जो नाराज़ गी है...दिल खोलके बाद में जितनी मर्ज़ी गालियाँ देलेना.........आरती अभी इसी वक़्त इन दोनो को घर ले जाओ..मैं यहाँ सब संभाल लूँगा...

मिनी की हालत देख सवी चुप कर गयी और आरती के साथ दोनो माँ और बहू चले गये..

विजय फिर फोन पे लग गया...जाने किन किन लोगों से बात कर रहा था...

आरती और बाकी अभी हॉस्पिटल की पार्किंग तक पहुँचे थे...

सवी....आरती जी...आप लोगो के साथ का बहुत शुक्रिया ...अब हम अपने घर जाएँगे...सुनेल अभी कोमा में है...जब उसे होश आएगा...तब मुझे खबर मिल जाएगी...बहुत बहुत शुक्रिया आपका .......आरती कुछ बोल ही ना पाई और सवी टॅक्सी ले मिनी को साथ ले अपने घर चली गयी..


भारी कदमो से ...आरती वापस विजय के पास चली गयी ..जो उसे यूँ आया देख हैरान नही हुआ...जानता था...सवी कुछ ऐसा ही करेगी..

जब से कवि उसकी बहू बन के आई थी..तब से विजय को यूँ लगता था..जैसे उसे सब कुछ मिल गया हो..एक भरा पूरा परिवार ..जिसकी कमी उसे हमेशा खलती रही...सुनील में उसे वो बेटा दिखता था..जो शायद उसका होता..अगर आरती किसी बच्चे को दुबारा जनम दे पाती ....राजेश को उसने दिल से अपना माना था..अपना पूरा प्यार उसपर लूटाया था..पर दिल में एक कसक बाकी रह गयी थी..जो हर इंसान में रहती है...मेरा अपना..चाहे वो कुछ भी कर ले ..ये कसक कभी नही मिटती......नज़ाने क्यूँ जब से वो सुनील से मिला था ..उसका वो ख्वाब ..जो अधूरा था..वो उसे पूरा होता हुआ लगा...

शायद कुछ लोगो की शक्सियत ही ऐसी होती है...जो दूसरे के दिल में अपनी एक खांस जगह बना लेती हैं...सुनील भी कुछ ऐसा ही था....चाहे उसमे सागर का खून नही था..पर सुमन का असर बहुत था......तभी तो समर का कोई भी गुण उसमे जाग नही पाया....

आइसीयू में पड़े कोमा में जिंदगी से जूझते हुए सुनेल को देख ...उसके सामने सुनील का ही रूप था..और उसके अंदर गुस्से की वो आग उभर रही थी..जिससे वो खुद भी अंजान था...और ऐसी हालत में सवी की जिद्द ..कि वो सब कुछ खुद कर लेगी उसे और भी चोट पहुँचा रही थी......उसने डॉक्टर्स से फिर बात करी और दनदनाता हुआ...सवी के घर की तरफ निकल पड़ा....

विजय जब सवी के घर पहुँचा तो ...महॉल ऐसा था जैसे मातम हो रहा हो...पूरे घर में बस एक दो लाइट्स ही जल रही थी.......मिनी ने ही दरवाजा खोला था और सम्मान के साथ विजय को हॉल में बिठाया और लाइट्स जला दी...फिर विजय को पानी दे कर वो अंदर चली गयी सवी को बुलाने....

सवी को जब मिनी ने बताया की विजय आया है ...वो बहुत हैरान हुई फिर भी मिलने आगयि ...

सवी...विजय जी आप...कैसे आना हुआ...कुछ ज़रूरी था तो फोन ही कर देते ..इतना कष्ट करने की क्या ज़रूरत थी...

विजय......शम्धन जी...जिसने सुनेल पे अटॅक किया है वो कोई छोटा मोटा इंसान नही पेशेवर कातिल है..और आप लोग तब तक सुरक्षित नही हो...जब तक वो पकड़ा नही जाता...पोलीस और मेरे आदमी लगे हुए हैं..पर तब तक...मैं आपको यहाँ अकेले नही रहने दूँगा.....

सवी कुछ बोलने लगी....विजय ने बोलने ही नही दिया

विजय....दो रास्ते हैं...या तो मैं सुनील को यहाँ बुलाऊ..ताकि वो आप लोगो का ध्यान रख सके...या फिर आप मेरे साथ चलिए .......और मैं कुछ नही सुनूँगा...

कविता जब से हमारे साथ जुड़ी है...आप लोगो की सुरक्षा भी मेरी ज़िम्मेदारी है....अब पिछली बातों को कुरेद कर कुछ हासिल नही होनेवाला ...इसलिए प्लीज़ ज़िद मत कीजिए और अभी इसी वक्त मेरे साथ चलिए...

सवी नही चाहती थी कि सुनील को अभी सुनेल के बारे में पता चले...उसे उस वक़्त का इंतेज़ार था जब सुनेल बिल्कुल ठीक हो जाता ......बात विजय ठीक कर रहा था...अपने ईगो के चक्कर में वो मिनी को भी ख़तरे में डाल रही थी...इसलिए ना चाहते हुए भी वो विजय के साथ चलने को तयार हो गयी...

सवी ने मिनी को दोनो के कपड़े पॅक करने को कहा और फिर दोनो विजय के साथ चल दी......बीच में सब एक बार हॉस्पिटल का चक्कर लगा सुनेल को भी देखने गये..

सवी के आने पे आरती बहुत खुश हुई......उस से गले मिली और दोनो को एक एक कमरा दे दिया ...मिनी ने दोनो के कपड़े कमरे में रखे वॉर्डओब में सेट किए ...और आरती के बार बार मना करने पर भी ..किचन में डिन्नर तयार करने का भार अपने उपर ले लिया..

आरती सवी के साथ उसके कमरे में बैठ गयी...दोनो सुनेल के बारे में बातें करने लगी...आरती सवी के और भी करीब होना चाहती थी ..ताकि वो सवी को फिर से विजय की जिंदगी में ले आए...पर अभी ऐसी कोई बात करना मुनासिब नही था...जब तक सुनेल ठीक नही होता...

वहाँ देल्ही में....सोनल अपने साथ लड़ रही थी कि डोर्र बेल बज गयी थी...उसने दरवाजा खोला तो रेस्टोरेंट से डेलिवरी बॉय आया हुआ था इनका ऑर्डर ले कर...सोनल ने उस से समान लिया और किचन में रख दिया..

फिर वो रूबी को बुलाने चली गयी ...जो बिस्तर पे लेती आँसू बहा रही थी...

सोनल ने मुश्किल से रूबी को खाना खिलाया और फिर उसके कमरे में उसके साथ ही बिस्तर पे लेट गयी...
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