RE: Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
ऑफिस जाने पर मुझे पता चला की अगले सप्ताह मुख्यमंत्री जी का दौर होने वाला है ,मतलब साफ था की एक सप्ताह तक गधो की तरह काम करना पड़ेगा,सुबह से ही अधिकारियों के काल आना शुरू हो गया था ,सभी को सभी फ़ाइल कंप्लीट चहहिये थी जो साले कभी काम करते ही नही अचानक किसी नेता या मंत्री के आने से ऐसे कर्तव्यनिष्ट हो जाते है जैसे पूरे देश में काम करने वाले बस यही लोग है….
दिन भर की भागा दौड़ी नई कुछ और सोचने का समय ही नही दिया,आखिरकार जब घर आया तो मानसिक रूप से बहुत थक चुका था,वापस आने पर सीधे सोफे में जा गिरा ,तभी एक कोमल सी आवाज मेरे कानो में आयी ,
“भइया चाय ले आउ”
मैंने चौककर उसे देखा ,सावले रंग की मांसल देह की रेणु बड़ी ही शालीनता से खड़ी थी ,उसने के एक सस्ती सी साड़ी पहने हुए थी पर उसके भराव उस साड़ी का मूल्य बड़ा रहे थे…
“तुम आज से ही काम में लग गयी “
“हा भईया वो दोपहर में ही कह गए थे “
“अच्छा ठीक ही चाय बना लाओ,और प्यारे कहा है “
“काका की तबियत कुछ खराब है,वो सुबह से ही सोए है “
“अरे उसे क्या हो गया,चलो मैं देखता हु तुम वही उसके कमरे में चाय पहुचा देना,उसके लिए भी ले आना “
“जी भैया”
मैं ऐसे तो बहुत ही थक गया था ,पर रेणु के मधुर आवाज ने मुझे एक ताजगी दे दी और साथ ही मेरे मन के सभी ख्वाब फिर से मेरे मन में तैरने लगे…..
वो पलटी और किचन की तरफ जाने लगी और मैं उसकी लचकती हुई कमर को देखने लगा...उसके पिछवाड़े का मांस ऐसे हिल रहा था की मेरी सांसे ही रुक गयी थी ,ऐसे तो मैंने कई बार उसे देखा था पर आज कुछ अलग ही था,पहले से मेरा मन उसको लेकर वासना के हिलोरे मार रहा था ,यही करना था की उसे देखते ही मेरी थकान भी मिट गयी साथ ही मेरे लिंग ने एक झटका मारा…….
लेकिन ये क्या मैं जहा उसके नितंबो में अपनी आंखे गड़ा रखी थी वो पलट गयी और उसकी आंखे मेरे आंखों का पीछा करने लगी,जैसे ही मुझे आभास हुआ की वो मुझे रंगे हाथो पकड़ चुकी है मैं थोड़ा से सकपकाया पर उससे नजर मिलते ही मैं हैरान था,वो मुस्कुरा रही थी उसके चहरे पर एक शरारती सी मुस्कान खिल गयी थी ,मैं शर्म से अपनी नजर नीची किये उठ खड़ा हुआ,
“मैं प्यारे के कमरे में जा रहा हु “
“जी भैया जी”
इस बार रेणु के आवाज में शालीनता नही बल्कि शरारत थी …………………………….
पर अपने कमरे में सोया था वो सच में बीमार दिख रहा था,
“क्यो काका क्या हुआ “
वो मुझे देख कर उठकर बैठ गया ,तभी रघु भी वहां आ गया और साथ ही मेरा माली रवि भी था,सभी मुझे देख दरवाजे में ठिठके,और धीरे से अंदर आये ,
“कुछ नही साहब बस थोड़ी सी तबियत ठीक नही है “
हा साले मेरी बीवी को चोदता था तब तो बहुत ही मस्त था तू अब दे नही रही तो तेरी तबियत ही बिगड़ गयी ...मै मन में सोचा …
सभीआकर वही बैठ गए ,मैं रघु की ओर देखते हुए कहा
“जा के रेणु को कह देना की चाय 2 नही 4 कप कर दे,वो उठकर वहां से चला गया …
हम इधर उधर की बातें करते रहे तबी काजल और रॉकी भी वहां आ गए उन्होंने भी प्यारे की तबियत का हाल जाना और वहां से निकल गए ,...............
अब मैं मेरे सोफे पर काजल के साथ बैठा था साथ ही दूसरे सोफे में रॉकी बैठा था...रेणु उनके लिए चाय बना रही थी ,
“आपने अच्छा किया की रेणु को यहां काम करने के लिए बुला लिया ,और मुझे आपसे एक बात करनी है…”
“हा बोलो ना”
काजल आज बहुत खुस दिख रही थी,
“आप जानते है हमारे होटल का काम अब लगभग पूरा होने को है ,पर भैया ने मुख्यमंत्री से बात कर उन्हें मना लिया है हमारे होटल का उद्घटान करने के लिए ,वो भी अगले ही सप्ताह ….”
मेरी आंखे चौड़ी हो गयी ,
“यार इतनी जल्दी तुम लोग कैसे सब कर पाओगे ,मतलब अभी भी तो बहुत सा काम बचा होगा ना,”
“हाँ बचा तो है पर क्या करे ,,उनके हाथो अगर उद्घाटन हो तो होटल का नाम भी हो जाएगा ,और उनका दौर भी तो है न अगले सप्ताह में ,उसी समय टाइम निकल कर ये काम भी कर देंगे फिर आ पाना मुश्किल होगा,...”
“आप फिकर मत कीजिये सर मैं और काजल पूरी मेहनत से पूरा काम टाइम में खत्म कर देंगे…”इसबार रॉकी ने पूरे जोश में कहा,
‘हा साले तेरी और काजल की मेहनत तो मैं दिन में ही देख चुका हु’मेरे मन ने कहा,वो वही लड़का था जो आज सुबह मेरी प्यारी बीबी को मेरे ही बिस्तर में चोद रहा था,और साले दोनो मेरे सामने तो ऐसे बैठे है जैसे इनसे शरीफ दुनिया में कोई भी ना हो .
मैने बस हा में अपना सर हिलाया…
“यार तुम्हारे मुख्यमंत्री जी के कारण तो अब मुझे भी दिन रात काम करना पड़ेगा,ऊपर से काम का बहुत प्रेसर आ रहा है ,”
मैंने अपना चहरा उतरते हुए कहा,काजल मेरी बांहो में आ गयी और मेरे कंधो पर अपना सर लगा कर लेट गई ,मैंने रॉकी को देखा वो जरूर जल रहा होगा,मै भी मन में कहा देख साले ये मेरी ही बीवी है….काजल ने अपना चहरा मेरे कंधे पर रगड़ा,
“हा जान कोई बात नही जल्दी के ये दिन निकल जाय फिर हम एक लंबी सी छुट्टी लेकर कही घूमने चले जायँगे….”
ऐसे मुझे उसका आयडिया पसंद आया पर मैं यही सोच रहा था की ये 10 दिन कैसे बिताने वाले है……….
रात ने फिर से दस्तक दी और मन का भवरा झूमने को हुआ,रात काम की बात करते करते मैं और काजल एक दूजे के बांहो में समाए हुए थे,धीरे धीरे से प्यार परवाने चढ़ने लगा और दिल मचलनने लगा,
हम दोनो थके होने के कारण बहुत दिनों से ठीक से प्यार में नही उत्तर पा रहे थे,आज मेरा मन बहुत जोर का था और शायद काजल भी गरमाई हुई थी जैसे ही दोनो के होठ मिले हम एक दूजे की बांहो में पिघलते गए,और एक दूसरे में मिलते गए……….
मेरी नींद टूटी तो काजल वहां नही थी बाहर देखा तो प्यारे के कमरे की रोशनी जल रही थी मतलब आज काजल प्यारे से प्यार करने गयी थी ,मैं चुपके से वहां गया और खिड़की से झांकने की नाकाम सी कोसिस की लेकिन खिड़की अंदर इस बन्द थी जैसा मुझे लग ही था की मुझे बस आवाज सुनकर ही अपना काम चलना पड़ेगा…..मैं धयन से सुनने लगा,हल्की से हँसी की आवाजे आई,ये आवाज मैं पहचानता था,ये हँसी मेरी प्यारी काजल का था,जिसका प्यार चहरा देखकर मैं सोया था जिसे मैं अपने जान से ज्यादा प्यार करता था उसी काजल का……..
मैं फिर से सुनने लगा,की आवाजे साफ आनी शूरू हुई..
“बस कुछ ही दिन तो हुए है और आप ने अपनी तबियत बिगड़ ली”
“अरे बाहुरानी तबियत क्या है सुधार जाएगी पर आप मुझसे यू रूठी है की दिल ही नही लगता किसी काम पे,और आप मुझे यू मना क्यो कर रही है,मुझसे क्या गलती हुई वो भी आप नही बताती ,बोलिये तो सही …”
काजल की एक हँसी फिर से गुंजी,
“अरे काका आपसे मैं क्यो नाराज होने लगी भला पर एक बात याद रखना की मैं आपके गुलाम नही हु,मैं अपने मर्जी की मालकिन हु,इसलिये मुझसे ये उम्मीद मत रखना की मैं आपके कहने पर यहां आऊंगी,जब मुझे दिल करेगा तो मैं यहां आऊंगी…..अब मेरा हाथ छोड़ो मुझे जाना है “
“बाहुरानी आज तो कम सेकम कुछ,चलो बस किस ही देदो ..”
“नही का मतलब नही होता है ,और मैंने कहा न की मैं अपने मर्जी की मालकिन हु..चलो छोड़ो अब मेरा हाथ…”
काजल जब बोल रही थो तो उसकी आवाज में एक आज्ञा थी एक दृढ़ता,मैं उसे हमेशा से ही एक कोमल सी लड़की के रूप में देखा था मुझे नही पता था की उसमे इतनी दृढ़ता भी होगी…..
“साली तू मुझे समझती क्या है की मैं तेरे हाथो का खिलौना हु,जब मन चाहे चुदवा लिया अब हाथ भी लगाने नही दे रही ,तेरी तो पूरी करतूत तेरे पति के सामने खोलूंगा साली रंडी...आज भी तू कैसे उस लड़के से चुदवा रही थी सब बताऊंगा तेरे पति को “
मैं सकते में आ गया था लेकिन तभी एक जोर का आवाज मेरे कानो में आया ,वो आवाज एक तेज झापड़ की थी शायद वो प्यारे के गालो में पड़ी थी ,
“मादरचोद बुड्ढे अपनी औकात में रह समझ गया,तू अपना मुह तो खोल फिर तुझे बताती हु ,साले तुझे कहा गायब करवा दूंगी तुझे भी नही पता लगेगा...मेरे पति तेरी बातो का कभी भी भरोषा नही करेंगे,और तूने मुझे रंडी कहा साले तेरी औकात क्या है ,हा मैं रंडी तो हु………...हा हा हा (काजल की जोरो की हँसी से सारा वातावरण गूंज गया)लेकिन तेरी नही ,समझा अपनी अकड़ को अपने पास रख मादरचोद साले,तेरे जैसे कितनो को मैंने निपटा दिया है ,याद रख की मैं मार्सल आर्ट और कराटे में 3रड डिग्री ब्लैक बैल्ट हु,तेरे जैसे तो मुझे छू भी नही सकते तूने मुझे छुआ वो तेरी मर्दानगी नही थी वो मेरी कृपा थी तुझपर,तुझे क्या लगा था की तेरी मर्दानगी की मैं गुलाम बन जाऊंगी अबे चूतिये तेरे जैसे कितनो को मैंने अपनी जांघो के बीच खिलाया है ,तेरी हैसियत क्या रे बुड्ढे…...तू है कौन जो मुझपर अपना अधिकार जाता रहा है…….”
कमरे में एक खामोसी सी छा गयी थी वही मेरे दिल में एक जोर का झटका लगा ,अपनी भोली भाली सी बीवी के बारे में तो मैं ये सोच भी नही सकता था की वो इतनी खतरनाक हो जाएगी ,उसे कोई भी डर नही था की वो उसे बदनाम कर देगा उल्टे वो उसे ऐसे डरा रही थी जैसे वो कोई डॉन हो,...जैसे उसके लिए ये कोई भी नई बात ना हो और ये क्या कहा उसने की वो उसके जैसे कितनो को अपने जांघो के बीच में खिला चुकी थी इसका क्या मतलब था….उसके अतीत के बारे में तो मुझे भी पता चला था पर ये नई बात थी की वो एक ब्लैकबेल्ट भी है वो भी 3rd डिग्री ,मतलब जो मुझे पता था की इसके साथ किसी ने जबर्दति की थी उसकी कितनी सच्चाई थी ये संदेहास्पद था,शायद उसने अपनी मर्जी से ही वो सब होने दिया ,और उसके बाद जो हुआ था वो सब …………..
आखिरकार क्या चीज है ये काजल मुझे तो कुछ भी समझ नही आ रहा था ,मै तो सीधे से यही सोच रहा था की मैं भी उसे चुदते देखकर मजे लूंगा,पर यहां तो बात ही अजीब हो रही थी ,मजे छोड़ो मुझे अब टेंशन होने लगी थी की वो किसी मुसीबत में ना फस जाय ………
हा यही चिंता मुझे सताए जा रही थी की काजल को किसी भी तरह की परेशानी ना हो शायद इसी को प्यार कहते है की कोई आपके लिए कुछ भी करे आप उसका हमेशा ही भला सोचते हो……………
एक भयानक सी खामोशी आखिर काजल के खिलखिलाने की आवाज से ही टूटी,
“क्या हुआ काका जी सांप सूंघ गया क्या….खैर छोड़ो जितना मिलता है उतने में खुश रहो और ज्यादा की सिर्फ फरियाद कर सकते हो हुक्म नही देना समझे तुम्हे फिर से माफ करती हु ...ठीक है अब आराम करो और याद रखना मैं रेणु नही हु जो तुम्हारी सभी बातो में हा में हा मिलाऊँ और तुम्हारे इशारों पर चलु,समझ गए अगर दिमाग खराब किया फिर से तो तुझे तेरी औकात दिखा दूंगी………..”
रेणु नही हु मतलब,......रेणु भी प्यारे से …...साला प्यारे…
“मैं जा रही हु अपनी ताबियत का ख्याल रखो ,बाई काका जी “काजल ने प्यार से उसे चिढ़ाते हुए कहा ,
मैं जल्दी से वहां से भागकर अपने बाथरूम में घुस गया,दौड़ाने की वजह से मेरी सांसे थोड़ी तेज थी इसलिए मैं बाथरूम में चला गया,काजल रूम में आयी और बेड में बैठी थी मैं फ़्लश चला कर अपनी सांसे सम्हालने लगा नार्मल हुआ तो बाहर आया…
“तुम कहा चले गयी थी “
काजल ने मुझे इतने प्यार से देखा की मुझे यकीन नही हो रहा था की ये वही लड़की है जिसे मैंने वो सब कहते हुए सुना था...वही मासूमियत अब भी उसके चहरे पर थी उसे देखते ही मुझसे रहा नही गया और उसके जवाब का इंतजार किये बिना ही मैं उसके होठो को अपने होठो में लेकर चूसने लगा…
जब हम अलग हुए तो हमारी नजरे मिली और वो फिर से कुछ बोलने को अपने होठ खोले तो मैं फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया...मैं उसे इतना चूमता गया की जैसे मैं उसे छोडूंगा ही नही धीरे धीरे हमने अपनी उत्तेजता तो कम किया लेकिन हमारे होठ ना जाने कबतक ऐसे ही एक दूजे से मिले रहे और साथ ही लिपट कर हम अपनी आंखे बंद कर ली…..
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