RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कुछ देर बाद कविता ने मेरे आँसू सॉफ किए और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले गयी.,,,कामिनी
भाभी भी गेट बंद करके अंदर आ गयी,,,सूरज भी अंदर सोफे पर बैठा हुआ था और कामिनी
भी जाके सूरज के पास बैठ गयी,,,,,लेकिन कविता वहाँ नही रुकी और मेरा हाथ पकड़ कर
मुझे अपने रूम मे ले गयी और अंदर जाके दरवाजा बंद कर लिया,,,,
कविता ने मुझे बेड पर बिठा दिया और खुद भी मेरे पास आके बैठ गयी,,,,,
क्या हुआ सन्नी,,,,कुछ तो बोल,,,,,,झगड़ा हुआ क्या सोनिया के साथ,,,,घर पे कुछ हुआ क्या,,
कुछ बोल ना सन्नी,,,,देख मेरी जान निकल रही है,,,,ऐसे चुप मत रह,,,,,
फिर मैने बोलना शुरू किया और कविता को वो सब कुछ बता दिया जो भी आज घर मे हुआ,,जो
भी मामा ने बताया ,,,जो भी घर वालो का सच था,,,,
कविता कुछ देर चुप रही फिर बोली,,,,,,,मुझे माफ़ कर्दे सन्नी,,,मैने तुझे कुछ नही
बताया क्यूकी सोनिया ने मना किया था,,,
मैं उसकी बात से परेशान हो गया,,,,,क्या मतलब सोनिया ने मना किया था,,,,तुझे ये सब
पता था क्या,,,,
हां सन्नी,,,,सोनिया ने मुझे बता दिया था,,,,,और सोनिया को ये सब बताया था गीता भुआ ने
,,,,,मैने तेरे से झूठ बोला था कि पुष्पा देवी ने सोनिया को सब कुछ बताया था तेरी माँ
सीमा के बारे मे ,,,लेकिन मैं ग़लत थी,,,,वो सब गीता ने बताया था सोनिया को,,,,जब गीता
ने भी सोनिया को उस हवस के खेल मे शामिल करने की बात की सोनिया से तो सोनिया ने उसको
मना कर दिया और कस कर थप्पड़ लगा दिया था ,,,,,इसी बात पर गीता ने सोनिया से माफी
भी माँगी और सोनिया को सब कुछ सच सच बता दिया,,,,
सोनिया तेरे से बचपन से प्यार करती थी वो भी हवस के खेल मे शामिल होना चाहती थी लेकिन
वो किसी और के साथ नही बस तेरे साथ हवस पूरी करना चाहती थी,,,,क्यूकी वो चाहती थी
कि उसके जिस्म पर सिर्फ़ तेरा ही हक़ हो,,किसी और का नही,,,,वो तो खुद भी अपने जिस्म के साथ
कभी नही खेलती थी,,,
( तभी मुझे याद आया उस दिन जब सोनिया मुझे और कविता को सेक्स करते देख रही थी तब भी
वो चुप चाप से बस हम दोनो की तरफ देख ही रही थी कुछ कर नही रही थी ,,अपने जिस्म
को छू भी नही रही थी )
सोनिया को सब पता चल गया था,,,,तेरे और तेरे परिवार के बारे मे ,,,उस हवस के खेल के
बारे मे जो तुम सब मिलकर खेल रहे थे,,,,,,वो भी खेल मे शामिल होने का सोच रही थी
लेकिन जब उसको गीता से सब सच पता चल गया तो उसके कदम पीछे हटने लगे क्यूकी वो तेरी
सग़ी बहन थी,,,,
उसकी सोच थी कि शोभा तेरी सग़ी बहन नही है,,,हालाकी उसका और तेरा कोई ना कोई रिश्ता
ज़रूर था क्यूकी वो अशोक और सरिता की बेटी थी,,,,,,गीता भी तेरी भुआ थी लेकिन फिर
भी गीता और तेरा खून का रिश्ता नही था,,,,वैसे ही सरिता तेरी माँ ज़रूर थी लेकिन
फिर भी तेरा और सरिता का कोई रिश्ता नही था,,,,वो जानती थी कि सरिता ने तुम दोनो को
जनम नही दिया लेकिन फिर भी सरिता ने तुम दोनो को पल पोश कर बड़ा ज़रूर किया था
और जनम देने वाली माँ से पाल पोश कर बड़ा करने वाली माँ ज़्यादा बड़ी होती है लेकिन फिर
भी सोनिया सोचती थी कि सरिता और तेरा खून का रिश्ता नही है ,,तू जो भी उन लोगो के
साथ करता था उन सबसे तेरा कोई रिश्ता नही था लेकिन सोनिया के साथ तेरा खून का रिश्ता
था,,,,,जैसे भी हो तूने और सोनिया ने एक ही माँ की कोख से जनम लिया था,,,वो तेरी सग़ी
बहन थी बस यही बात उसको तेरे पास आने से रोक रही थी,,,,वो चाह कर भी तेरे पास
नही आ सकती थी,,,,चाह कर भी तुझे हाँसिल नही कर सकती थी,,,
कविता की बात से अब मैं सब कुछ समझ गया क्यूँ सोनिया मेरे करीब आके भी मेरे से इतनी
दूर थी,,,क्यूँ वो मुझे हाँसिल करने से डरती थी,,,, क्यूकी वो मेरी सग़ी बहन थी,,हम
लोगो का अशोक और उसके परिवार से कोई रिश्ता नही था लेकिन फिर भी एक रिश्ता बन गया था
हम लोगो मे,,,परिवार का रिश्ता,,,प्यार का रिश्ता,,,,उस परिवार ने हम दोनो को अपने परिवार
मे शामिल किया था ये बात सोनिया नही भूल सकती थी ,,उन लोगो ने हम दोनो को बहुत प्यार
दिया था ,,उस परिवार क प्यार की वजह से सोनिया अपने प्यार की क़ुर्बानी देने को तैयार हो गयी
थी,,,,,,,,,
तभी कविता का फोन बजने लगा,,,,,,,कविता ने ज़्यादा बात नही की फिर फोन बंद करके
मेरे पास आ गयी बोली,,सोनिया का फोन था सन्नी,,,तेरी वजह से परेशान थी,,बोल रही थी
तू गुस्से मे घर से निकल गया है,,,,मैने उसको बता दिया कि तुम यहाँ हो मेरे पास,,
फिर कुछ देर हम दोनो मे से किसी ने कोई बात नही की,,रात हो चुकी थी लेकिन मेरा दिल
नही कर रहा था घर जाने को,,,,कविता ने खाना खाने को बोला लेकिन मुझे भूख न्ही
थी ,,,,कविता ने भी ज़्यादा ज़िद नही की उसको पता था इस हालत मे मैं खाना नही खाउन्गा
,,,,,फिर उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद मेरे साथ लेट गयी,,,,,,मैं अभी भी हल्के
'हल्के आँसू बहा रहा था,,,,,,वो मेरे पास लेट कर मेरे आँसू सॉफ करने लगी और मेरे
सर पे हाथ फिराने लगी,,,उसने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और अपने बहुत करीब कर
लिया,,,मैं उसके आगोश मे जाके कुछ राहत महसूस कर रहा था,,,,उसी राहत की वजह से
दिल को थोड़ा सकून मिला और आँख लग गयी,,,,नींद आ गयी,,,,और मैं सो गया,,,,,
सुबह उठा और कविता के साथ ही कॉलेज चला गया,,,अभी डॉक्टर ने रेस्ट करने को बोला था
लेकिन दिल को जब आराम नही था तो जिस्म को क्या आराम देना था मैने,,,,,कॉलेज मे सोनिया मिल
गयी लेकिन मैने उस से कोई बात नही की ना ही उसने मेरे से कोई बात की,,,उसका चेहरा बहुत
उदास था,,,,आँखें सूज गयी थी रो-रो कर,,,,वही हाल मेरा था,,,,हम दोनो एक दूसरे की
हालत पर तरस गये थे,,,,लेकिन फिर भी हम दोनो बात नही कर रहे थे,,,,,पूरे
कॉलेज मे अमित की सज़ा की बात चल रही थी पूरा कॉलेज खुश था लेकिन हम 3 लोग थे
जो बहुत उदास थे,,,,,,मैं सोनिया और कविता,,,,,,
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