RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
,,डॅड सोफे पर थे जबकि बुआ उनकी गोद मे थी अभी तक,,,इधर शोबा ने मेरे लंड को मुँह मे भरके चूसना
शुरू कर दिया था ऑर हम लोग फिर से मस्ती मे खोने लगे थे लेकिन तभी हमारी मस्ती को किसी की नज़र लग गई ऑर
शोबा दीदी का फोन बजने लगा,,,,पहले तो दीदी ने फोन नही लेना था लेकिन जब फोन लगातार बजने लगा तो बुआ
ने फोन उठाकर दीदी को दिया,,,,,,,,,,,
शोबा लो बात करो,,,,सोनिया का फोन है,,,,
दीदी ने हल्के गुस्से से मेरे लंड को मुँह से निकाला ऑर बुआ के हाथ से फोन लेके बात करने लगी,,,,फिर शोबा बात
करते करते सोफे से उठी ओर हमसे थोड़ा दूर चली गई,,,,,,करीब 2-3 मिनट बात करने के बाद वो मेरे पास आई,,,
चल उठ सन्नी तैयार हो जा ऑर मेरे साथ कविता के घर चल,,,,,,बुआ कार की चाबी देना ज़रा,,,
क्या हुआ बेटी सब ठीक तो है ना,,,कोई प्राब्लम तो नही,,,,,डॅड ने दीदी से पूछा,,,,,
नही डॅड कोई प्राब्लम नही है,,,सब कुछ ठीक है,,,,,
इतने मे बुआ उपर चली गई कार की चाबी लेने ऑर पीछे पीछे दीदी भी चली गई,,,,मैं भी उठा ऑर अपने रूम मे
चला गया,,,,अब मुझे सोनिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था,,,,,,,,,,साली खुद कुछ नही करने देती ऑर जब मैं करता हूँ
खेल खराब कर देती है,,,,,ऐसी क्या मौत आन पड़ी थी जो अभी बुला लिया हमे कविता के घर पे,,,,,ऑर दीदी अकेली क्यूँ
नही चली जाती भला मुझे क्यूँ साथ लेके जा रही थी,,,,,खैर मैं तैयार हुआ ऑर नीचे चला गया,,दिल तो नही था पर क्या
करता,,,,,,,,,,,मजबूरी थी,,,,,,
नीचे दीदी पहले से तैयार होके बैठी हुई थी,,,,,,,,,बुआ ऑर डॅड अभी तक नंगे थे,,,,वो दोनो दीदी से पूछ रहे थे
कि कविता के घर मे क्या प्राब्लम है लेकिन दीदी उन लोगो को कुछ भी नही बता रही थी,,,,,मुझे बताना तो दूर की
बात थी,,,,,,,
दीदी आप अकेली क्यूँ नही चली जाती कविता के घर ,,,,,,,मेरा जाना ज़रूरी है क्या,,,,,,,,,,,,,,
तेरा जाना ज़रूरी है ऑर ज़रूरी नही भी है,,,क्यूकी मेरी एक्टिवा सर्विस के लिए गई है ऑर मुझे कार ड्राइव करनी नही आती
मेन रोड पर इसलिए तेरे को लेके जा रही हूँ साथ मे ,,,,,इस से पहले मैं कुछ ऑर बोलता या कोई कुछ बोलता दीदी
मे मेरा हाथ पकड़ा ऑर हम लोग घर से बाहर चले गये,,,,,मैने कार चलानी शुरू की ऑर हम लोग कविता के घर की
तरफ चल पड़े,,,रास्ते मे मैने दीदी से नही पूछा कि कविता के घर क्या प्राब्लम है ऑर अगर पूछता भी तो शायद
वो मेरे को कुछ नही बताती,,,,,,
हम लोग कविता के घर के बाहर पहुँचे ,,,,,,,,,दीदी कार से उतरी ऑर बेल बजाने लगी तब तक मैं कार को एक साइड मे
पार्क करके गेट तक आ गया,,,,
नीलम आंटी ने गेट खोला तो दीदी को गेट पर देख कर थोड़ा डर गई,,,,,
नमस्ते आंटी जी,.,,,,दीदी ने आंटी को नमस्ते बोला,,,,,,,,,,
आंटी ने भी थोड़ी हल्की आवाज़ मे दीदी की नमस्ते की रिप्लाइ दिया ऑर गेट को ऑर ज़्यादा खोल दिया,,,दीदी घर के अंदर
चली गई ऑर जाते टाइम मुझे बाहर रुकने को बोलती गई,,,,
लेकिन दीदी के जाने एक बाद जब नीलम आंटी घर के अंदर गई तो वो गेट बंद करके नही गई,,मेरे दिल मे एक
बेचैनी थी इसलिए मोका देख कर मैं भी घर के अंदर चला गया,,,,मैने दरवाजा खोला ऑर ड्रॉयिंग रूम मे
एंटर हो गया ,,,,वहाँ सोनिया कविता ऑर कामिनी भाभी एक सोफे पर एक साथ बैठी हुई थी,,,एक साइड सिंगल सोफे पर
कविता का भाई सूरज था जबकि एक सिंगल सोफे पर दीदी जाके बैठ गई थी ,,,,नीलम आंटी किचन मे पानी लेने चली
गई थी,,,,,,मेरे अंदर आते ही सब लोगो का ध्यान एक बार मेरी तरफ आया,,,,कविता ऑर उसकी भाभी कामिनी ने तो मुझे
देख कर जल्दी से अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया लेकिन सोनिया मुझे गुस्से से देखने लगी थी,,,,ऑर साथ ही कविता
का भाई सूरज भी मुझे अजीब नज़रो से देखने लगा हालाकी वो भी थोड़ा गुस्से मे लग रहा था,,,,तभी शोबा दीदी ने
मुझे बाहर जाने को बोला,,,,,,,,,,,
सन्नी तुम बाहर मेरा वेट करो मैं अभी आती हूँ थोड़ी देर मे,,,,,दीदी ने मुझे एक तरह से ऑर्डर दिया था इसलिए
मैं वहाँ से बाहर जाने लगा ,,,,तभी मैने एक बार फिर से कविता ऑर उसकी भाभी कामिनी की तरफ देखा तो मुझे
कुछ ठीक नही लगा ,,,उनके चहरे बहुत उदास थे ऑर वो अभी भी रो रही थी ऑर देखने से ऐसा लग रहा था जैसे
उनको मारा भी गया था क्यूकी उनके गाल बहुत लाल हो गये थे ऑर उनके गोरे रंग पर मांर पीट के निशान सॉफ-सॉफ
नज़र आ रहे थे,,,,मैं समझ गया कि इनके घर मे कोई सीरीयस प्राब्लम चल रही है मैं जानना तो चाहता था
लेकिन दीदी ने मुझे बाहर जाने को बोल दिया था इसलिए मुझे कुछ ख़ास पता नही चल सका,,,,मैं गुस्से मे घर से
बाहर चला गया,,,अगर शोबा को मुझे घर से बाहर ही रखना था तो अपने साथ क्यू लेके आई,,,कार ड्राइव करने के लिए
अपना ड्राइवर बनाने के लिए,,,,,मैं गुस्से मे था लेकिन थोड़ी टेन्षन भी थी ,,,,,
खैर मैं घर से बाहर निकला ,,,गर्मी बहुत थी इसलिए कार स्टार्ट करके एसी ऑन करके आराम से बैठ गया लेकिन आराम कहाँथा मेरे को दिल मे तो बेचैनी बढ़ने लगी थी इस बता को लेके कि आख़िर मसला क्या है कविता के घर मे ,,,,जब देखो वोरोती ही रहती है ऑर आज तो उसकी भाभी भी रो रही थी,,,मैं अभी यही सब सोच रहा था कि कविता के घर का गेट
खुला ऑर उसका भाई सूरज बाहर निकला वो बड़े गुस्से मे लग रहा था ऑर बड़ी तेज़ी से चलता हुआ मेरी कार के पास से
गुजर कर सामने खड़ी एक कार मे बैठ कर वहाँ से चला गया ,,,,,,,लेकिन जाते टाइम वो गुस्से ऑर अजीब नज़रो से मुझे
देखता हुआ गया,,,लगता है घर का महॉल ठीक नही है ,,,,,,,,,,,
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