RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मुझे बड़ा अजीब लगा उसने मामा को सुरिंदर बोला था जबकि माँ को ओर चाची को वो मालकिन
बोलती थी,,,,,,,,,,
तभी मामा बोल पड़ा,,,,,,,,,,,,,हाँ हाँ ये सन्नी है ना इसको ले जाओ ऑर मोटर ठीक करवा लाओ,,
इसके पास कार है तुम लोग जल्दी चले जाओगे तो जल्दी वापिस भी आ जाओगे इसलिए अभी चले जाओ
सुबह चारा काटने मे मुश्किल होगी,,,,मामा ने तो जैसे अपना फैंसला सुना दिया था,,,,,
तभी चाचा जो बोल पड़े,,,,,,,,जाओ सन्नी बेटा तुम रेखा के साथ जाओ ऑर मोटर ठीक करवा लाओ
वर्ना सुबह मुश्किल होगी,,इसी बहाने थोड़ा घूम फिर भी लेना,,,,
मैने कोई बात नही की ओर रेखा के साथ चल पड़ा,,,,,,,मैने कार स्टार्ट की ऑर वो भाग कर मोटर
लेके आ गई ऑर हम लोग वहाँ से चल पड़े ,,,टाइम कोई 1 या 1:30 बजे का था ऑर गर्मी भी थी
लेकिन कार मे एसी ऑन था,,,,,
मैं--किस तरफ जाना है मुझे रास्ता बता देना,,,,,,,,
रेखा--रास्ता तो बात दूँगी लेकिन चलना खुद पड़ेगा,,,,,,,उसने हसके मेरी बात का जवाब दिया,,,
लेकिन मैं कुछ समझा नही,,,,,,,,
वो रास्ता बताने लगी ऑर मैं ड्राइव करता रहा,,,गाँव की सड़कें बहुत खराब थी बार बार कोई
ना कोई खड्डा आ जाता था ऑर जब भी खड्डा आता मेरा ध्यान रेखा की तरफ चला जाता क्यूकी
उसने घाघरा ऑर ब्लाउस पहना हुआ था,,,उसपे ना कोई साड़ी थी ऑर ना ही दुपपत्ता,,,,उसके बड़े
बड़े बूब्स जो कम से कम 40 के थे या उस से भी बड़े,,,वो बार बार खड्डा आने से उछल
रहे थे,,उसने भी मुझे उसको बूब्स की तरफ घूरते देख लिया लेकिन कुछ कहा नही बस
हँसने लगी थी,,,,,
करीब 15-20 मिनट बाद यानी 5 किलोमीटर बाद उसने एक पुराने घर के सामने मुझे
रुकने को बोला,,,,,,,उस घर के पास कोई घर नही था ,,वैसे भी इतने रास्ते मे मैने मुश्किल
से कोई 20 घर ही देखे थे,,,,,ये गाँव बहुत बड़ा था लेकिन लोग बहुत कम थे,,,एक घर से
दूसरा घर करीब 300-400 मीटर दूर था,,,,,,,
रेखा--बस यहीं रोक दो कार सन्नी,,,,,,,,,,
मैने कार रोकी,,,,,,,,,,,,,,लेकिन हमे तो शहर जाना था यहाँक्यू रोका तुमने,,,,,,,,,,,,,,
रेखा--शहर जाने की ज़रूरत नही मोटर ठीक करने वाला यही आएगा कुछ
देर मे,,,,वो हँसने लगी ऑर मोटर को कार मे ही छोड़ कर खुद उतर कर घर मे चली गई ऑर
मैं भी उसके पीछे चला गया फिर उसने घर का दरवाजा बंद कर दिया ऑर मुझे उसके
पीछे चलने का इशारा किया ऑर मैं भी उसके पीछे चल दिया वो आगे चल रही थी जबकि मैं
पीछे से उसकी मटकती गान्ड को देखते हुए चल रहा था वो अपने घर के पीछे वाले दरवाजे
से बाहर निकली ऑर खेतों की बीच चलने लगी,,,,,,,,
मैं--ये कहाँ लेके जा रही हो मुझे,,,,,
रेखा--जन्नत की तरफ ,,बोलो मत बस मेरे पीछे आते रहो,,,,उसने हसके मुझे देखा ऑर मेरी
बात का जवाब देके फिर से गान्ड को मटकाते हुए आगे चलने लगी,,
कुछ कदम चलके हम खेतो के बीच-ओ- बीच एक पेड़ के नीचे पहुँच गये जो बहुत
बड़ा था,,,,वो जल्दी से पेड़ के नीचे बैठ गई ऑर मुझे भी वहीं आके बैठने को बोला,,,,
यहाँ क्यू लेके आई हो मुझे,,,,,,,,,,मैने फिर से उसको पूछा,,,,
रेखा--तू सवाल बहुत करता है तेरा मामा तो चुप चाप आ जाता है यहाँ ऑर वो भी आता था पहले,,
मैं--वो ,,वो कॉन,,,,,,
रेखा--तेरा भाई विशाल,,,,,,,,,,,यहीं आके मस्त चुदाई करते थे दोनो मिलकर ,,तेरा मामा तेरी माँ की
ऑर विशाल मेरी,,,,,इतना बोलकर वो फिर से हँसने लगी,,,,,ऑर मुझे हाथ पकड़ कर नीचे ज़मीन
पर लेटा दिया,,,,
मैं नीचे लेट तो गया लेकिन हैरान रह गया ,,,,,,तुम ये क्या बोल रही हो ,,मेरे मामा ऑर माँ
के बारे मे ऑर विशाल कब आया था यहाँ,,,,,,,,
रेखा--मैं सब जानती हूँ सन्नी तेरे मामा माँ ऑर विशाल के बारे मे,,,,,तूने लगता है मुझे
पहचाना नही,,,,,,,,,
मैने हैरान होके उसकी तरफ देखा ऑर फिर से पूछा,,क्या बोल रही हो तुम मैं कुछ समझ नही
पा रहा,,,ऑर तुमको पहचान लिया है मैने तुम रेखा हो चाचा जी के घर काम करती हो
रेखा--हां ये तो ठीक है लेकिन तुमको पता है मैं कॉन हूँ,,,,,,उसने हँसते हुए बोला
मैं परेशान हो गया कि ये बोल क्या रही है,,,,,इस से पहले कि मैं कोई ओर सवाल करता उसने
मेरे लंड को पयज़ामे से बाहर निकाल लिया ऑर सर झुका कर मेरे लंड को मुँह मे भर लिया
रेखा--अब ज़्यादा परेशान मत हो ,,ऑर मेरे बारे मे अपनी माँ से पूछना,,,,बाप से ,,,या फिर गीता
से,,,,,,,,,,,,,
मैं कुछ नही समझ पा रहा था ऑर उपर से उसने लंड को इतने प्यार से चूसना शुरू कर
दिया कि मस्ती मे दिमाग़ ने काम करना ही बंद कर दिया,,, ऑर मैं मस्ती मे डूबता चला
गया ऑर मुझे उन बातों की भी कोई फिकर नही थी जो अभी कुछ देर पहले बोल रही थी वो,,,
आख़िर कॉन थी वो,,,,जो मेरी माँ ऑर मामा के बारे मे सब जानती थी,,,ऑर विशाल भाई के साथ भी
चुदाई कर चुकी थी,,वो भी माँ ऑर मामा के साथ मिलकर,,,,,इन्ही बातों ने मुझे परेशान
कर दिया था,,,,,,लेकिन अब मैं मस्ती मे खो चुका था ऑर लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा
था,,,,,,,,,,,
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