RE: Mastram Kahani खिलोना
बारिश रुक चुकी थी & सवेरे के 4 बज रहे थे.रीमा कपड़े पहन अपने हॅंडबॅग मे पेपर्स ले फार्महाउस के दरवाज़े पे ताला लगा रही थी.फिर उसने बहुत धीरे से मेन गेट खोला & फिर शेखर की कार मे बैठ उसे रिवर्स करने लगी.कई दिन बाद कार चला रही थी & इस वजह से उसने कार गियर मे डाल कुच्छ ज़्यादा जल्दी से क्लच छ्चोड़ दिया,कार झटका ख़ाके रुक गयी.
2-3 बार की कोशिसो के बाद वो कार को रिवर्स कार फार्महाउस से बाहर ले आई पर उसी वक़्त उसे 1 खिड़की मे लाइट जलती दिखी,अंदर कोई जाग गया था.गियर बदलते वक़्त घबराहट मे फिर वही ग़लती दोहराई & कार फिर बंद हो गयी.उसने देखा कि हॉल की 1 खिड़की खुली रह गयी थी & उसमे से कूद के शेखर बाहर आ रहा था & उसके पीछे उसके ससुर.
घबराहट के मारे रीमा काँपने लगी,जैसे-तैसे उसने कार स्टार्ट की & गियर मे डाल भाग निकली.थोड़ी देर बाद उसने देखा कि विरेन्द्र जी की कार मे दोनो बड़ी तेज़ी से उसके पीछे आ रहे हैं.रीमा का पूरा बदन पसीने से भीगे गया,उपर से रास्ते मे भी बारिश की वजह से काफ़ी फिसलन थी.उसे याद आया कि पुराना पुल पार करते ही पोलीस पोस्ट है,वो बस 1 बार वाहा पहुँच जाए.
उसके दुश्मन बड़ी तेज़ी से उसके नज़दीक आ रहे थे पर तभी उसे पुल दिखा...बस 1 बार वो इसे पार करले.उसकी कार पुल पे आई & उसने अककलेराटोर पे पैर दबाते हुए कार को टॉप गियर मे डाल दिया.वो बस आगे देखते हुए कार भगा रही थी की तभी पीछे 1 धमाके जैसी आवाज़ आई,उसने पीछे घूम के देखा तो उसके ससुर की कार अब वाहा नही थी & पुल की रेलिंग के पास धूल का गुबार उठ रहा था.तभी उसने वापस सामने देखा उसकी खुद की कार भी रेलिंग की तरफ जा रही थी...उसने जल्दी से ब्रेक लगाया पर कार स्किड करने लगी.ब्रेक दबाए हुए रीमा ने ख़ौफ़ से आँखे बींच ली & कार रुकने पे खोली.
कार रेलिंग से बस2 इंच की दूरी पे रुकी.काँपते हुए कार खोल वो बाहर आई & पीछे गयी,उसके ससुर & जेठ की कार रेलिंग तोड़ते हुए नीचे नाले मे गिर गयी थी.
भगवान ने दोनो हत्यारो कितनी सही सज़ा दी थी!जैसे उन्होने उसके पति को मारा था उन्हे भी ठीक वैसी ही मौत मिली.अब उसकी जान को भी कोई ख़तरा नही था...ये ख़याल आते ही सुकून के मारे उसके अंदर का तनाव आँखो से आँसुओं की शक्ल मे निक्ल पड़ा.थोड़ी देर बाद रीमा ने खुद को संभाला & कार को उस पोलीस पोस्ट पे ले गयी.
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सुबह के 7 बज रहे थे & थाने मे वो इनस्पेक्टर रीमा का बयान सुन रहा था.
"..तो आप इतनी बड़ी जायदाद लेने अवंती पुर जा रही थी?"
"जी.मेरे ससुर को डर था कि कोई इन पैसो के चक्कर मे मुझे नुकसान पहुँचा सकता है,इसलिए मुझे फार्महाउस मे रखा था & पंचमहल मे भी किसी को नही बताया कि मैं असल मे उनके परिवार से मेरा क्या रिश्ता है."
"ठीक है.पर इतनी सुबह फार्महाउस से क्यू निकले आप लोग & दूसरी कार आप क्यू ड्राइव कर रही थी?"
"जी,भाय्या..आइ मीन मेरे जेठ के पैर मे चोट लगी थी & वो दर्द के कारण ड्राइव नही कर पा रहे थे,इसीलिए मैं ड्राइव कर रही थी 7 हमे वकील ने ठीक 9 बजे आवंतिपुर बुलाया था इसलिए हम,यानी मेरे ससुर जी & मैं जेठ जी को पहले घर छ्चोड़ते & फिर वाहा से नाश्ता कर आवंतिपुर चले जाते.",रीमा ने पुल से पोलीस पोस्ट तक आते-2 ये फ़ैसला कर लिया था कि अगर वो अपने ससुर & जेठ की असली कहानी बताती तो कोई भी उसपे विश्वास नही करता-उन्होने अपनी ईमानदारी & नएक्दिली का ऐसा बढ़िया जाल जो फैलाया हुआ था.इसीलिए उसने ये झूठी कहानी इनस्पेक्टर को सुनाई.
"आपके पास क्या सबूत है कि आप सेक्स्ना परिवार की बहू हैं?"
"ये मॅरेज सर्टिफिकेट & ये फोटोग्रॅफ्स",उसने अपने बॅग से वो दस्तावेज़ निकाले जिन्हे वो हमेशा 1 फाइल मे रखती थी & आज फार्महाउस से भागने के पहले भी उसने उन्हे अपने हॅंडबॅग मे डाल लिया था,"..& मेरे ससुर ने वकील को खुद हलफ़नामा दिया था कि मैं उनकी बहू हू."
"ह्म्म."
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