RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मेरे चेहरे को देखकर अंकल बोले "घबरा मत अनिल, दर्द नही होगा. तभी तो
आज ही कर रहा हू, अब तक तीन बार झड़कर लंड भी काफ़ी नरम हो गया है, तुझे
तकलीफ़ नही होगी." वे अब मेरे लंड को प्यार से मुठिया रहे थे. अच्छा लग रहा
था.
मा ने पूछा " क्यो बेटे, क्या कहता है? वैसे मेरी मान तो डॅडी की यह
इच्छा पूरी कर दे देख कितना प्यार करते है तुझे"
मैं मान गया, सोचा जो होगा देखा जाएगा. "हाँ मम्मी, मैं जानता हू. मैने
भी तो डॅडी की गान्ड मारी है, बहुत मज़ा आया. अब वे मार ले, मैं मना नही
करूँगा."
"चलो सब एक बार नहा लेते है, ज़रा फ्रेश हो जाएँगे. फिर आज का यह आखरी पर
सबसे प्यारा, डॅडी के लिए खास आसन करेंगे." शशिकला बोली.
हमसब जाकर फ्रेश हुए, साथ साथ नाहया, हँसी मज़ाक किया. नहाते समय
मैने और डॅडी ने मिलकर मा और दीदी की बुर चूसी, बेचारी बहुत देर से सिर्फ़
हमे सुख देने के लिए आसन कर रही थी. डॅडी मम्मी को बोले "डार्लिंग, कल
सिर्फ़ तुम्हारा होगा. तुम्हे कल इतना चोदुन्गा की छोड़ने की मिन्नत करने लगोगी.
एक बार भी गान्ड नही मारूँगा.और शशि, तू कल अनिल को संभाल, मन भर कर
गुलामी करवा ले उससे. और कल पहनने वाली ब्रा और पैंटी आज ही सेलेक्ट कर लो, आज
सोने के पहले पहन भी लेना, ज़रा स्वाद तो लगे उनमे हमारी इन दोनो खूबसूरत
परियों के बदन का"
बाथरूम से वापस आकर हमने काफ़ी पी. अब तक मेरे और डॅडी के लंड फिर से तन
गये थे. वे बस मुझसे चिपटे थे. बार बार मेरे नितंब सहलाते और गुदा को
एक उंगली से टटोलते. मैने भी उनके लंड को हथेली मे ले लिया था. लंड
खड़ा था पर वैसा सख़्त नही जैसा हमेशा होता था, किसी रसीले कच्चे केले
जैसा आधा नरम और आधा कड़ा था.
"शशि बेटी, अनिल की गान्ड मे खूब सा मख्खन लगा दो, मैं नही चाहता कि
उसे ज़रा सी भी तकलीफ़ हो. और रीमा डार्लिंग, तुम ज़रा अपने इस गुलाम के लंड को
मख्खन चुपड दो. आख़िर तुम्हारे प्यारे बेटे की उस प्यारी गान्ड मे घुसने
वाला है, जितना मख्खन लगओगि, उतना उसे कम दर्द होगा."
मख्खन लगाने के बाद डॅडी एक आराम कुर्सी मे बैठ गये. उनका लंड तन कर
खड़ा था. "आजा बेटे, डॅडी की गोद मे आ जा."
"अच्छा तो यह आसान कर रहे है डॅडी" शशिकला चहकि."
हाँ, तेरी तो अच्छी पहचान का है, आख़िर बचपन से बैठती है तू ऐसे मेरी
गोद मे. अनिल को तकलीफ़ नही होगी, आराम से मेरी गोद मे बैठेगा. नही तो अगर मैं
इस पर चढ़ा तो मेरा वजन सहना पड़ेगा. वह बाद मे कर लेंगे, अब तो समय
ही समय है हमारे पास" अंकल बोले.
उन्होने टांगे फैला दी. मैं जाकर उनकी ओर पीठ करके उनकी टाँगो के बीच
खड़ा हो गया. डॅडी ने झुक कर मेरे नितंब चूम लिए, फिर मूह लगाकर मेरी
गान्ड का छेद चूसने लगे मानों सारा पिघला मख्खन निगल जाना चाहते
हों. "क्या गान्ड है मेरी जान तुम्हारे बेटे की, तुम्हारे जितनी ही खूबसूरत है"
वे मम्मी को बोले.
मा बोली "मुझसे भी अच्छी है, मेरी तो अब उमर हो चली है, मेरा बच्चा तो
एकदम ताज़ा जवान है"
"अनिल बेटे, ज़रा झुक और बैठ मेरी गोद मे, एक मिनिट... बस ... ऐसे .. शाबास, अब
बैठ" डॅडी मेरे गुदा पर अपना सुपाडा जमाकर बोले.
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