RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
सब थक गये थे और भूख भी लगी थी. अंकल फिर बोले "अब तो इंतज़ाम करो
शशि, कुछ खाना पीना हो जाए."
शशिकला बोली "आप को तो मालूम है डॅडी, क्यो नखरा करते है? इंतज़ाम
यही है. मैने मम्मी को भी बता दिया था, उसकी भी यह पहली बार है.
बेचारे अनिल को कोई अंदाज़ा नही है. अनिल, तू बता, यहाँ पलंग पर ही हम बिना
उतरे खा सकते है ऐसा कोई स्नैक है?"
मैने इधर उधर देखा. कुछ नज़र नही आया. शशिकला हँसने लगी. "तुझे
नही समझ मे आएगा. हम शुरू करते है, तू भी देख और आ जा. आइए डॅडी,
मम्मी से ही शुरू करते है. सीधे उसके बदन से ही खाएँगे, उतरने की
ज़रूरत नही है, ऐसे ही मज़ा आएगा."
"
हाँ हाँ चलो, मैने तो थोड़ा टेस्ट कर भी लिया" कहकर डॅडी मा के पास
गये और उसकी ब्रा के कप को बाजू से मूह मे भर कर चबाने लगे. मैने
ध्यान से देखा तो मा के स्तन पर चढ़ि ब्रा के एक कप की नोक गायब थी, उसमे
से अब मा का निपल दिखने लगा था. मुझे याद आया कि यह वही चूंची थी जिसे
मूह मे लेकर डॅडी पिछली चुदाई के वक्त चूस रहे थे.
डॅडी ने मा की ब्रा का एक ठुकड़ा दाँतों से काट लिया और चबाने लगे. वहाँ
शशिकला मा की पैंटी पर टूट पड़ी थी. मा की बर को ढकने वाली पत्ती को
मूह मे लेकर उसने एक ठुकड़ा तोड़ा और चबाने लगी.
मैं देखता रह गया. मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था. ये लोग कैसे ब्रा
और पैंटी खा रहे है? शशिकला ने इशारे से मुझे पास बुलाया कि तू भी शुरू
हो जा. मा बस मंद मंद मुस्करा रही थी, प्यार से डॅडी और शशिकला के
बालों मे उंगलियाँ फेर रही थी.
मैं मा के पास गया और उसकी दूसरी चूंची ब्रा के कप सहित मूह मे लेकर
चूसने लगा. एकदम मीठा स्ट्रॉबरी जैसा स्वाद था. मैने दाँत से मा की ब्रा
के कप का एक ठुकड़ा तोड़ा और चबाने लगा. रबर जैसा था पर सात आठ बार
चबाने के बाद मूह मे टूटने लगा. चुइंग गम जैसा था पर बाद मे मूह मे
चॉकलेट जैसा घुल जाता था. उसमे मा के बदन की महक भी थी.
मैने मा की ओर देखा और पूछा "मा तुम्हे मालूम था? पर ये है क्या? किस
चीज़ का बना है? बहुत स्वादिष्ट लगता है"
"बेटे, ये एडाइबॉल अंडरवीअर है, बाहर के देशों मे बहुत चलती है. ब्रा और
पैंटी की फेटिश रखने वाले इसका इस्तेमाल करते है, क्योकि साड़ी कपड़े या
नायालन की ब्रा या पैंटी खाई नही जा सकती ना! ये शशिकला अक्सर ये एदिबल
अंडरवईयर इस्तेमाल करती है, अशोक को पसंद है इसलिए. इसी ने कहा कि अनिल को
सरप्राइज़ देंगे. बता ना शशि ठीक से अनिल को" मा ने मुझे चूमते हुए कहा.
वह उत्तेजित थी. तीनों मिलकर उसकी ब्रा और पैंटी खा रहे थे, ये बात उसे बहुत
मादक लग रही थी.
शशिकला ने मूह मे का ठुकड़ा निगलते हुए कहा "अरे डॅडी के लिए खास ये
चीज़ ढूंढी मैने एक साल पहले. मेरी ब्रा और पैंटी पर बहुत फिदा है ये,
मूह मे लेकर चूसते थे, नायालन के कपड़े को कभी कभी चबा कर फाड़ देते
थे, खा भी नही सकते थे इसलिए झल्लाते थे. एक बार मैं जब न्यूयार्क गयी तब
वहाँ फर्टी सेकंड स्ट्रीट पर ये मिली, बहुत फ्लेवर मे आती है. अब मैं यही
मँगवा लेती हू. डॅडी मुझे ये पहनकर रात भर इश्क करते है और फिर खा
जाते है, उन्हे बहुत मज़ा आता है. फिर मैने भी ट्राई की, डॅडी के लिए भी ऐसी ही
मँगवाई. मुझे भी अच्छी लगने लगी. इसलिए जब हनीमून का प्लान बनाया तो
साथ ये ढेरों ले ली. अब हर रात को एक जोड़ी पहनेंगे."
"
तो ये जो डॅडी और मैने पहनी है वह भी ... ?" मैने भोंचक्का होकर
पूछा. अब मुझे समझ मे आया कि मेरा जंघिया इतना मुलायम और चिकना
क्यो था.
"और क्या, तुझे क्या लगा? अब हम लोग भी खाएँगे" शशिकला बोली. अब तक डॅडी
मा की ब्रा का एक कप खा चुके थे और बाजू के स्ट्रीप पर जुटे थे. मैने भी
जल्दी जल्दी मूह चलाना शुरू किया. पाँच मिनित मे मम्मी की ब्रा और पैंटी
ख़तम हो गयी. खास कर मा की बुर के सामने की पत्ती लाजवाब थी, मा की
चूत के रस से भीग कर उसका स्वाद गजब का हो गया था.
शशिकला ने मुझे पलंग पर गिरा कर कहा "अब तेरी बारी है, आओ मम्मी, आइए
डॅडी, अनिल का स्वाद ले"
डॅडी ने मेरे जंघीए के पिछले भाग मे मूह लगाया और मेरे नितंब पर का
एक ठुकड़ा तोड़ कर मूह मे ले लिया. "वाह" मूह चलते हुए बोले "मेल अंडरवीअर
का अलग स्वाद रखा है इन्होने, थोड़ा पीयर जैसा"
|