RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
शशिकला सिर उठाकर बोली "हाँ मम्मी, डॅडी को बहुत अच्छा लगता है.
उनकी गान्ड बहुत सेन्सिटिव है. मैं हमेशा मूह लगाकर चाट्ती हू, वे
एकदम बहक जाते है. इसी तरीके के बल पर मैं रात रात भर उनसे अपनी सेवा
करवाती हू. वैसे डॅडी की गान्ड काफ़ी प्यारी सी है, गोरी चिकनी और भरी हुई, कोई
गान्ड का पुजारी हो तो झूम उठेगा इसे पाकर"
अब डॅडी का लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैं उस आठ इंची लंड को पूरा नही
निगल पाया. थोड़ा निकालकर आधा मूह मे लेकर चूसता रहा. उसका सुपाडा अब
फूल कर थिरक रहा था. "बहुत अच्छा चूस रहा है मेरे लाल. चूस, जैसा चाहे
चूस, पूरा लेकर चूसता तो मैं निहाल हो जाता पर अभी तू छोटा है, पहली बार
है, मैं सिखा दूँगा, या फिर तेरी ये मा या दीदी सिखा देंगी कैसे लंड चूसा जाता
है, ये दोनों तो पहुँची हुई है" डॅडी बोले.
मा ने उन्हे अपनी ओर खींचा और अपनी चूंची उनके मूह मे दे दी. "बहुत
पाटर पाटर कर रहे हो अशोक, चलो मेरा स्तन पान करो. ब्रा के उपर से ही करो,
ब्रा पतली है, निपल को आराम से महसूस होगा तुम्हारे मूह का दबाव."
अगले कुछ मिनिट मस्ती मे गये. मैं मा को चोदते हुए अशोक अंकल का लंड
चूस रहा था. अशोक अंकल ... डॅडी ... मा के उरोज को उस ब्रा के उपर से ही चूस
रहे थे और मेरे सिर को अपने पेट पर दबाते हुए कमर हिला हिला कर हौले
हौले मेरे मूह को चोद रहे थे. उनकी बेटी उनके पीछे से उन्हे चिपटी थी
और उनके चुतडो को पकड़कर अलग करके बड़े प्यार से अपनी जीभ अंदर डाल
डाल कर उनका गुदा चूस रही थी.
बीच मे डॅडी ने मा की चूंची से मूह उठाकर उसके कान मे कुछ कहा. मा
मुस्काराकर बोली "हाँ ठीक है पर उसे वैसे भी अच्छा लगेगा"
उसके बाद मा ने मुझे चोदने की रफ़्तार कम कर दी. मैं धक्के लगाता तो
टाँगो मे मेरी कमर पकड़कर रोक देती. डॅडी मन लगाकर मेरे मूह मे
लंड पेल रहे थे. मैं भी प्यार से चूस रहा था. अब डॅडी का लंड सख़्त होकर
थरथराने लगा था. जब डॅडी का शरीर अचानक तन सा गया तो शशिकला ने
तुरंत उनकी गान्ड मे उंगली डाल दी और ज़ोर से अंदर बाहर करने लगी. "अनिल,
तैयार रहना, डॅडी अब तुझे अपनी क्रीम खिलाने वाले है"
डॅडी एकाएक मेरे मूह मे झाड़ गये. मैं इतनी मस्ती मे था की लपलप वह
गाढ़ा गरम गरम वीर्य पी गया, एक दो घूँट के बाद मैने उसे निगलना बंद
करके मूह मे भरके जीभ पर घूमाकर स्वाद लेना शुरू कर दिया. पहली बार
डॅडी का वीर्य मैने डायरेक्ट पिया था, बहुत अच्छा लगा. जिस तरह से अपने बंद
मूह से वे सिसकारियाँ निकाल रहे थे उससे साफ था कि उन्हे भी कितना आनंद आया
होगा. मुझे बहुत अच्छा लगा कि मैने उन्हे इतना सुख दिया. मा ने मेरी
कमर से टांगे हटा ली और मैने फटाफट उसे चोद डाला और झाड़ गया.
मा बोली "अच्छी लगी बेटे डॅडी के लंड की क्रीम?"
मैने हाँ कहा. मा बोली "डॅडी चाहते थे कि उनके झड़ने के पहले तू न
झाडे जिससे उनके लंड का पूरा स्वाद ले सके मस्ती से. मेरे कान मे बोले कि अनिल
को अभी मत झड़ने दो. अगर तू पहले झाड़ जाता तो शायद उतने चाव से वीर्य
नही पीता. है ना?"
मैने जोश से मना किया. "नही मा, मैं तब भी मन लगाकर स्वाद लेता. अंकल ...
याने डॅडी की मलाई बहुत अच्छी है. तुम्हारी चूत भी तो मैं झड़ने के बाद
भी चूसता हू. असल मे मुझे स्वाद ही बहुत पसंद है."
डॅडी खुश होकर बोले "मेरा बेटा है असली रसिक फिर भी मैने सोचा कि पहली
बार है, ज़रा मस्ती मे रहने दो. अच्छा डार्लिंग, अब ज़रा टांगे अलग करो तो
अपने बेटे की मलाई मैं तुम्हारी बुर मे से चख लू"
शशिकला तैश मे आकर बोली "बिलकुल नही डॅडी. अब मेरी बारी है, आप और अनिल
तब से मज़ा ले रहे है क्रीम का, ये सब मेरी है" और उसने चाट चाट कर मा की
बुर पूरी साफ कर दी.
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