RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
कुछ देर सब पड़े रहे. आख़िर डॅडी उठे और बोले "आज सच मे लग रहा है कि
हमारे दो परिवार एक हो गये है. मुझे तो मज़ा आ गया. मम्मी, मेरा मतलब
है रीमा आंटी ... याने मेरी डार्लिंग वाईफ की ये गुदाज गान्ड मारन को मिली और साथ
साथ इस मतवाले नौजवान बेटे की मलाई मिल गयी चखने को. किसी को और क्या
चाहिए हनीमून की रात मे. डार्लिंग, ये जो अनिल का वीर्य था, याने उसकी क्रीम,
सच मे एकदम स्वाद आ गया, मर्दानी जवानी का यह असली स्वाद बहुत दिनों मे
मिला मुझे. अनिल बेटे, तुझे मज़ा आया या नही"
मैं कुछ नही बोला, बस मुसकाराता रहा. मा बोली "अरे उससे क्या पूछते हो,
उसका चेहरा बता रहा है कि वह कितना खुश है. शशि बेटी, मान गये तेरे
इस आसन की कल्पना को"
शशिकला बोली "इसमे कुछ नही है मम्मी, अब तो मिल जुलकर नये नये तरीके
ढूंढ़ेंगे, चार लोगों मे न जाने कितने कंबिनेशन बन सकते है" उठकर
वह वाइन ले आई. हमने वाइन पी और गप्पे लगाते हुए कुछ देर आराम किया. वाइन के
उस नशे से धीरे धीरे सब को फिर से खुमारी चढ़ गयी.
डॅडी बोले "मेहनत करके कुछ भूख लग आई है शशि, तूने कुछ इंतज़ाम
नही किया" वे शैतानी से मुस्करा रहे थे. मा भी मुस्करा रही थी. शशिकला
ने कनखियों से मेरी ओर देखते हुए कहा "अभी इतनी जल्दी, दो चार और
कुश्तिया हो जाने दीजिए, फिर खाएँगे. खाना थोड़ा और स्पाइसी हो जाएगा" मुझे
लगा कि मेरे सिवाय सब जानते थे कि क्या बाते हो रही है पर मैने नही पूछा.
सोचा वैसे ही पता चल जाएगा.
हम फिर झूठ गये. इस बार डॅडी ने दीदी को चोदा और मैने मा को. चोदते
चोदते आपस मे लिपत कर हम चुमाचाटी करते रहे. कभी डॅडी गर्दन
बढ़ाकर मा को चूम लेते या बारी बारी से मा और शशिकला की चूंची को ब्रा
के उपर से ही चूसने लगते. मैं हाथ बढ़ाकर दीदी के मम्मे दबा रहा था.
बहुत मज़ा आ रहा था, मैने जानबूझ कर अपने आप को लगाम दी कि झाड़ न जाउ.
डॅडी जल्दी झाड़ गये. मैं मा को लगातार चोद रहा था. जब डॅडी शशिकला
पर से अलग हुए तो मैने देखा कि उसकी चूत से डॅडी का सफेद गाढ़ा वीर्य बह
रहा है. अशोक अंकल के लंड पर भी उनका वीर्य और दीदी की बुर का चिपचिपा
पानी लगा हुआ था. मेरा मन हुआ की फिर से दीदी की बुर मे मूह मार दूं. उसके उस
शहद को चाटने का मन तो था ही, साथ मे यह भी आस थी कि फिर से डॅडी का वह
अनोखा वीर्य चखने मिल जाएगा.
मा के मन मे और कुछ था. मेरे कान पकड़कर बोली "चल बड़ा आया. ये मेरे
हिस्से का प्रसाद है, पिछली बार तुम दोनों ने चख लिया, अब मेरी बारी है." और
लेट कर शशिकला की बुर से बह रहे पानी और वीर्य को चाटने लगी. चाटते
चाटते वह मुझसे चुदवा भी रही थी, अपनी कमर हिला हिला कर मेरा लंड
अंदर ले रही थी.
शशिकला मुझे बोली "अनिल, तू फिकर मत कर, डॅडी का लंड चाट ले. मूह मे
लेकर देख, मज़ा आएगा! अब तक तूने लंड मूह मे नही लिया होगा ना? देख ले,
मज़ा आ जाएगा!"
मैं मस्ती मे था. मा की चूत मे मैने लंड पेलना जारी रखा और मूड कर
डॅडी के लंड को हाथ मे ले लिया. अब वह सिकुड कर छोटा हो गया था. मैने उसे
पूरा मूह मे भर लिया. अच्छा लग रहा था, नरम नरम लंड मूह मे लेकर
मन हो रहा था कि चबा कर खा जाउ. मैं चूसता रहा, दीदी और डॅडी के
मिलेजुले स्वाद का लुत्फ़ उठाता रहा.
अशोक अंकल ने मेरा सिर पकड़कर मेरा चेहरा अपने पेट पर दबा लिया. मेरे
बालों मे प्यार से उंगलियाँ फेरते हुए बोले "ओह ओह मेरे राजा, कितना अच्छा लग
रहा है तेरे मूह का यह गरम गीला दबाव मेरे लंड पर. चूस बेटे, चूस ले,
तुझे निराश नही करूँगा मैं"
जल्दी ही उनका लंड कड़ा होने लगा. दो बार झड़कर भी फिर तैयार होते उस लंड को
देख कर मैने मन ही मन डॅडी की दाद दी, क्या रसिक पुरुष है! और इतने
हॅंडसम! मा मुझे अब भी चोद रही थी. उसने डॅडी से लिपटकर
चुमाचाटी शुरू कर दी. बोली "पसंद आया मेरा बेटा अशोक? कैसा लगा अपना
ये बेटा? मैं जानती थी कि तुम दोनों की खूब जमेगी. इसलिए मुझे शादी मे
कोई हिचकिचाहट नही हुई"
"रीमा डार्लिंग, तुम्हार बेटा, हमारा यह बेटा तो हीरा है, अब देखना हमारा
परिवार इस सेक्स के आनंद मे कहाँ से कहाँ जाता है" डॅडी मस्ती भरी आवाज़ मे
बोले.
इस बीच शशिकला उठकर अपने डॅडी के पीछे आकर लेट गयी थी. उसने
अशोक अंकल के चुतडो को प्यार से सहलाया और चूमा. फिर उनकी गान्ड
चाटने लगी. कुछ देर बाद उसने हाथों मे उनके चूतड़ पकड़कर उन्हे अलग
किया और उनके गुदा के छेद पर मूह लगा कर चूसने लगी.
"ओह ओह बेटी, बहुत अच्छा लगता है, और कर ना, जीभ अंदर डाल" वे सिसक कर
बोले. उनका लंड अब फटाफट लंबा होने लगा था.
मा बोली "शशि, तू तो बहुत पहुँची हुई निकली! ये पहली बार नही कर रही है
डॅडी के साथ ऐसा लगता है"
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