RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
शाम को हम सब तैयार हो कर बाहर गये. फ़ोर्ट अग्वाडा मे खाना खाया, कुछ
वाइन ली, गप्पे लगाई. हम सादे कपड़ों मे ही थे, कोई कह नही सकता था कि
हनीमून पर आए है.
आठ बजे हम वापस आए. नौकर बंगले के गेट के पास बने अपने घर मे
चला गया था. हम आकर बड़े बेडरूम मे बैठ गये. शशिकला ने अंगड़ाई ले
कर कहा "चलो, अब काम की बात शुरू करे. ऐसा करो, तुम दोनों उन दोनों
कमरों मे जाओ, नहा लो और कपड़े बदल लो. तुम्हारे कपड़े वही रखे है.
मैं और मम्मी इस बेडरूम मे कपड़े बदलेंगे. जब मैं आवाज़ दूं तो आ जाना.
और ज़रा संभालना अपने आप को, आज तो मुरदों की रात है"
मैने जाकर नहाया. बाहर आया तो कपड़ों के नाम पर सिर्फ़ एक सफेद एकदम तंग
जंघिया रखा था, और कुछ नही. जंघिया बहुत अच्छी क्वालिटी का था और
खास मेल माडल्स पहनते है वैसा था. मैने खूब ढूँढा, और कोई कपड़े
नही दिखे. मैं समझ गया कि शशिकला यही चाहती है. मेरा लंड अब तन
गया था. बड़ी मुश्किल से मैने वह जंघिया पहना, अपना लंड उसके अंदर
खोंसा. जंघीए की क्रैच मे टाइट इलेस्तिक था जिसने लंड को दबा कर रखा
था. फिर भी जंघीए मे तंबू दिख रहा था. कसे जंघीए के मुलायममेटिरियल
के स्पर्श से लंड और उत्तेजित हो गया था. मुझे समझ मे नही आ
रहा था कि कपड़ा है, कि नायालन या रबड़ है! मैं शशिकला के बुलाने की राह
देखने लगा. दिल उत्तेजना से धड़क रहा था. मैं जानता था कि आज की रात सेक्स के
सारे बंधन टूट जाएँगे.
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शशिकला ने आवाज़ दी तो मैं बड़े बेडरूम की ओर चल दिया. करीडार मे अंकल मिले.
वे भी मेरे जैसा ही जंघिया पहने थे. वे बेचारे और तकलीफ़ मे थे, उनका
बड़ा लंड तो अंदर समा ही नही रहा था. जांघिया नीचे से तन गया था और
लंड बड़ा होकर उसे स्त्रेच कर रहा था. अंकल बहुत हॅंडसम दिख रहे थे.
उनका वह नहाया हुआ दमकता सुडौल गोरा शरीर देखकर मुझे अजीब सा
लगने लगा. मुझे अंदाज़ा होने लगा था कि मा को भी वे कितने अच्छे लगते
होंगे.
मुझे देखकर . "अनिल, तू इतना चिकना लग रहा है कि अगर ये दोनों
अप्सराएँ हमारी राह न देखती होती तो तुझे मैं उठाकर सीधे अपने बेडरूम मे
ले जाता और खूब प्यार करता." मैं थोड़ा शरमा गया, समझ मे नही आ रहा
था कि क्या जवाब दूं.
हम जब बड़े बेडरूम मे पहुँचे तो हमारी आँखे चौंधिया गयी. मा और
शशिकला सज धज कर वहाँ खड़ी हमारी राह देख रही थी. आज दोनों ने
अर्धनग्न रूप सजाया था. मा हल्के गुलाबी रंग की पैंटी और ब्रा पहने थी.
दोनों बिकिनी मे थी याने एकदम छोटी. ब्रा के कप सिर्फ़ मा के निपलो और
नीचे के आधे स्तनों को ढके थे. उपर के स्तन खुले थे. ब्रा पुशप
होने से मा के गदराए उरोज तन गये थे और उसकी ब्रा मे से उफान कर बाहर आ रहे थे.
पैंटी भी तंग स्टाइल की थी, बस एक पतली पत्ती थी जिससे मा की बुर की लकीर
भर छिप गयी थी. बाकी मा की बुर के बाल दोनों तरफ से दिख रहे थे. मा के
गोरे विशाल नितंब भी करीब करीब पूरे खुले थे. मा ने एक गुलाबी रंग की ही
है हील स्लिपर पहन रखी थी. स्लिपर भी बहुत नाज़ुक थी, एकदम पतले सोल और
पतले पत्तों वाली, हिल भी एकदम पतली थी, गुलाब के पौधे की छड़ी जैसी!
शशिकला का भी यही रूप था. बस उसने गहरे आसमानी रंग की ब्रा और पैंटी
पहनी थी. सॅंडल एकदम सफेद रंग के थे. शशिकला ने मुस्काराकर मुझे
पास बुलाया. मैं उसके पास गया तो उसने मुझे बाहों मे भर लिया और मेरी
आँखों मे आँखे डालकर मुझे चूमने लगी. "मेरा छोटा भाई! अपनी दीदी की
सेवा करेगा ना अब जिंदगी भर?" मैं क्या कहता, मेरी आँखों से उसे पता चल
गया होगा कि उसके गुलामी करूँगा जीवन भर!
अंकल मा के आगे घुटने टेक कर बैठ गये. "दीदी, मम्मी, आप जैसी अप्सरा
मेरी पत्नी बनी है मुझे विश्वास ही नही हो रहा है. आज तो मैं मर जाउन्गा, इतना
आपका रूप मुझे सता रहा है. इस गुलाम को आज प्लीज़ पूरी छूट दीजिए कि वह
आपके रूप का चाहे जैसे पान करे." और मा की कमर मे बाहे डालकर अपना
चेहरा उसकी बुर मे दबा दिया.
मा ने उन्हे उठाया और गले मे बाहे डाल दी. "आज से तुम मेरे पति हो अशोक,
तुम्हारी हर इच्छा को पूरा करना मेरा फ़र्ज़ है. मेरे शरीर का हर भाग
तुम्हारा है, भोगो जैसे चाहे, मैं नही रोकूंगी"
शशिकला मुझे चूमकर उनके पास ले गयी "मम्मी, आपके शरीर का एक और
भाग है जो डॅडी को बहुत पसंद है, बल्कि मरते है उसपर. अब तक बोलते
नही थे, आज से उसे भी वे प्यार करना चाहते है. वो भाग आपके शरीर का है पर
अब अलग है आपसे"
मा बोली "मैं समझी नही बेटी"
शशिकला मुझे आगे करते हुए बोली "अनिल. अनिल की बात कर रही हू मैं, डॅडी आज
तुम दोनों से प्यार करना चाहते है"
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