RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
"मम्मी को नौकरी की अब क्या ज़रूरत है, अब वह तो मालकिन है. वैसे मैं अब
मम्मी को एक अलग केबिन देने वाली हू. वह हमारी, याने मेरी और डॅडी की खास
कन्सल्टेंट हो कर रहेगी. जब भी हमे सलाह की ज़रूरत होगी तब हम उसके केबिन
मे चले जाया करेंगे. मम्मी जैसी खूबसूरत औरत की कन्सलटेन्सी की ज़रूरत तो
हमे दिन भर पड़ेगी" शशिकला ने मुझे आँख मारते हुए कहा.
शादी के पहले की उस आखरी रात सोने से पहले हमने एक घंटे की एक पिक्चर
देखी. उसमे बहुत पिक्चरो के सीन थे, एक से एक बढ़कर अश्लील, हर तरह के
जायज़ और नाजायज़ संभोग से भरे हुए. तब अंकल ने कहा "मम्मी और अनिल, आओ
अब तुम्हे मेरा प्रिय आसान दिखाऊ. पिक्चर देखने के लिए हम दोनों इसका
उपयोग करते है. अब आगे दो जोड़ी बनाकर देखा करेंगे, तुम लोग भी देख कर
रखो"
उन्होने शशिकला को अपने सामने खड़ा किया और उसके गुदा पर अपना लंड
टीका कर उसकी कमर पकड़ी और खींच कर गोद मे बिठा लिया. शशिकला अपने
डॅडी का पूरा लॉडा गान्ड मे लेती हुई उनकी गोद मे बैठ गयी. पिक्चर भर वे
शशिकला को गोद मे लिए बैठे रहे और उपर नीचे होते रहे. शशिकला भी
आराम से अपनी गान्ड मे अंकल का मूसल घुसाए बैठी थी और मूड मूड कर उन्हे
किस कर रही थी. अंकल ने अपने एक बाजू मे मा को बिठा लिया और एक बाजू मे
मुझे. हम सब पिक्चर देखने लगे.
मैं बार बार शशिकला को चूमता और उसके मम्मे दबाता. उसकी बुर मे
उंगली करता. मा और अंकल चुमचाटी कर रहे थे. अंकल मा की चूंची
मूह मे लिए थे. इतनी गंदी पिक्चर के बावजूद अंकल एक घंटे नही झाडे, बस
उपर नीचे होकर शशिकला की गान्ड मारते रहे. हमे भी उन्होने नही झड़ने
दिया.
पिक्चर ख़तम होते होते हम सब मस्ती मे डूब गये थे. पिक्चर ख़तम होते
ही मा झट से अंकल के सामने नीचे बैठ गयी और शशिकला की बुर चूसने
लगी. शशिकला ने मुझे सामने खड़ा कर लिया और मेरा लंड चूसने लगी.
शशिकला को हम सब तीनों तरफ से चोदने मे लग गये. उसे बहुत मज़ा आया.
वह इतनी बार झड़ी कि मा को उसने अपनी बुर से आधा कटोरी रस तो पिला ही दिया
होगा. मेरा लंड चूस कर शशिकला ने मुझे झड़ाया और मेरा सारा रस पी गयी.
शशिकला जब पूरी तृप्त होकर लस्त पड़ गयी तो अंकल ने उसकी गान्ड मे से अपना
लंड खींचकर शशिकला को चूम कर कहा "मज़ा आया बेटी? आज कितने दिनों
बाद ऐसा आसान किया है, अकेले मे तो यह ठीक से होता नही, आज अनिल और मम्मी थे
तो आख़िर एक साथ तेरे तीनों अंगों को आनंद मिला."
शशिकला कुछ बोलने की स्थिति मे नही थी, बस सोफे पर लुढ़क गयी. मैं भी आज
इतनी बार झाड़ा था कि वही फर्श पर ढेर हो गया.
अंकल का अब भी खड़ा था और कस के खड़ा था. उनकी वासना चरम सीमा पर थी
जो शायद उन्होने मा के लिए बचा कर रखी थी. मा भी तब से सिर्फ़ शशिकला
की वासना पूर्ति मे जुटी थी, खुद को बस अपनी बुर को सहला सहला कर गरम
रखे हुए थी.
मा अशोक अंकल को बोली "बच्चे तो लुढ़क गये अशोक, बस हम दोनों बचे
है. आओ, आते हो मैदान मे? आज हो ही जाए मेरी तुम्हारी जुगलबंदी, देखे हम
मियाँ बीबी की कैसी जमती है." और वही फर्श पर अपनी टांगे पसारकर कर
चूत को अशोक अंकल के सामने खोल कर लेट गयी. उसकी आँखों मे बड़ी
मादक छटा थी, चेहरे पर भी ऐसे भाव थे जैसे रंडियों के होते है
अपने ग्राहकों को रिझाने या उकसाने के लिए.
अंकल उठे और मा पर चढ़ गये. एक बार मे ही उन्होने अपना लंड मा की बुर
मे उतार दिया और मा पर सो कर उसे चोदने लगे. "आइए रीमाजी, आइए, आज आपको
दिखाता हू की आपका यह होने वाला दास, आपका पति क्या चीज़ है. अब तक तो मैं
आपको चोदते समय आपकी सुंदरता और शालीनता का लिहाज कर रहा था, आज अब
दिखाता हू कि असली चुदाई क्या होती है, आप जैसी मतवाली नारी मिल जाए तो उसे कैसे
चोदा जाता है. अनिल देख ले बेटे, तेरी मा को मैं आज ऐसे चोदुन्गा जैसा तूने अब
तक नही चोदा होगा"
मा चूतड़ उछल उछल कर चुदवाते हुए बोली "बिलकुल चोदो अशोक, ऐसे चोदो
कि मैं कल उठने के लायक न रहू. और मुझे अब डार्लिंग भी कहा करो प्लीज़, ये
आप आप क्या लगा रखी है. मैं अब तुम्हारी पत्नी होने वाली हू, मेरे शरीर पर अब
तुम्हारा पूरा हक है कि कैसे भी इसे भोगो."
धुआँधार चुदाई शुरू हो गयी. अंकल ने पहले तो मा को सधी लय मे चोदा,
धीरे धीरे पूरा लंड अंदर बाहर करते हुए. जब मा दो बार झाड़ गयी तब वे
अपने रंग मे आए. मा को बाहों मे दबोचा, उसके होंठों को अपने
होंठों मे दबाया, अपनी छाती से मा की छातियाँ पिचका दी और हचक
हचक कर चोदने लगे. मा की बुर इतनी गीली थी कि फ़चक फ़चक फ़चक आवाज़
आने लगी.
अंकल ने अगले बीस मिनित मा को चोदा. एक पल भी नही रुके. गजब का स्टेमिना
था उनमे. पसीने पसीने हो गये पर उनकी कमर लगातार उपर नीचे होती रही.
कभी मा का मूह वे पल भर को चोदते तो मा वासना से कराह उठती. वह इस
जंगली किस्म की रति मे उनका पूरा सहयोग दे रही थी. अपनी कमर और चूतड़
उचका उचका कर चुदवा रही थी. अपनी बाहों मे अशोक अंकल को जकाड़कर
उनकी पीठ खरोंच रही थी.
आख़िर जब अंकल झड़ने के करीब आए तो हाँफने लगे. मा ने उन्हे शाबासी दी.
"बहुत अच्छे अशोक, बस ऐसे ही चोदो, और ज़ोर से धक्के नही लगा सकते क्या?
मेरी कमर नही तोड़ी अब तक! अरे मुझे लगा था कि तुम ऐसे पेलोगे कि मेरी कमर
लचका दोगे. प्लीज़, लगाओ ना ज़ोर से और" मुझे बड़ा गर्व हो रहा था. मा आज
अपने पूरे अंदाज मे थी. आज मुझे पता चल रहा था कि मा की वासना कितनी
गहरी थी. अशोक अंकल के हर वार का उसने मुकाबला किया था.
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