RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मा इतराती हुई बोली "अशोक, ये तो तुम्हे एक तीर से दो शिकार मिल गये. मेरे पीछे
पड़े थे, अब मेरे बेटे पर भी हाथ साफ करना चाहते हो. वैसे चीज़ ही ऐसी
है, मैं तो कब से जानती हू कि कितना खूबसूरत बेटा है मेरा. पर मुझे ये नही
मालूम था कि तुम्हारा झुकाव इस तरह भी है. वैसे मैं तो बहुत खुश हू कि
मेरे बच्चे को हर तरह का सुख मिले जैसे मुझे शशिकला के साथ मिला"
शशिकला बोली "मम्मी, डॅडी तो परसों से फिदा है उसपर. आपको और उसे एक
साथ देखा तो मुझे कान मे बोले कि मा बेटे, दोनों को साथ साथ लिटा कर उनसे
इश्क करूँगा. पर मैने जता दिया था कि अनिल को हाँ कहने दो पहले. क्यो रे
अनिल, डॅडी पसंद आए? कल से लंड को हाथ लगाया तब से तू इनके इस मूसल का
दीवाना हो गया है, है ना?"
मैने अंकल से लिपट कर कहा "हाँ दीदी, अशोक अंकल सच मे बहुत हॅंडसम
है, हम तीनों को प्यार करने वाला इतना सजीला मर्द घर मे ही हो इससे खुशी
की बात और क्या सकती है"
अंकल मुझे पकड़कर सोफे पर बिठाते हुए बोले "अनिल यार, अब नही तरसा, मैं
तेरी मलाई चखे बिना नही रह सकता. मम्मी, आप सच कहती है, अनिल को हर
तरह का सुख मिलना चाहिए. मैं तो यही विश्वास करता हू कि कभी मन को
पिंजरे मे नही डालना चाहिए, जिस पर दिल आ जाए चाहे वह स्त्री हो या पुरुष,
जवान हो या उमर मे ज़्यादा, बस उससे प्यार कर लेना चाहिए, उसके शरीर को
भोग लेना चाहिए. आ अनिल, तेरा स्वाद देखु" और मेरे लंड को पकड़कर उसकी ओर
झुके.
शशिकला ने खीच कर अपने डॅडी को मुझसे अलग किया "डॅडी, मैं मना कर
रही हू फिर भी आप सुन नही रहे है! अभी आप को और अनिल को राह देखनी पड़ेगी.
अरे कुछ तो छोड़िए सुहागरात के लिए. मम्मी की गान्ड तो अपने मार ली. अब कम
से कम अनिल के साथ अभी मैं आप को कुछ नही करने दूँगी. सुहागरात की राह
देखिए"
"अरे पर सुहागरात तो मेरी और रीमाजी की होगी" अशोक अंकल बोले.
"नही, सुहागरात होगी हमारे परिवारों की, सब शरीर आपस मे ऐसे मिल जाएँगे
कि एक हो जाएँगे. मैने प्लान बनाए है, आप बस देखिएगा" शशिकला ने जवाब
दिया.
तभी बेल बजी. मैं और अंकल नंगे थे इसलिए अंदर चले गये. शशिकला ने
दरवाजा खोला. कुछ बात करने की आवाज़ आई. फिर दरवाजा बंद होने की आवाज़ आई तो
हम बाहर आए. देखा कि दो बड़े पैकेट पड़े थे, सूटकेस की साइज़ के. शायद
अभी अभी कोई डिलीवरी दे गया था.
मैने मा और शशिकला की ओर देखा. वे हँसने लगी. "अरे ये हमारी आज की
शापिंग है."
"दिखाओ ना मा" मैने कहा. अंकल भी बोले "हन भाई, हम भी तो देखे"
शशिकला धकेल कर हमे अंदर ले गयी "तुम दोनों के देखने लायक चीज़े
नही है. वैसे है तुम दोनों के लिए ही, तुम दोनों मर्दों के लिए यह
हनीमून एकदम मतवाला और न भूलने वाला मौका बनने का समान है,
समझ लो हम दोनों अप्सरए है जो उसे दिन तुम दोनों को स्वर्ग मे ले जाएँगी.
अप्सराओं के सजने धजने का समान है. और भी बहुत कुछ है पर बच्चों
के लायक नही है" मा हँसने लगी.
अशोक अंकल बोले "तो क्या हम बच्चे है? माना अनिल छोटा है पर बच्चा तो
नही है, कल से प्रूव कर रहा है. और मैं, मैं तो बच्चा नही हू"
"तुम दोनों जिस तरह से हमे देखकर बहक जाते हो, उससे तो यही लगता है कि
एकदम बच्चे हो. और हमे पसंद भी है ऐसे बच्चे. इसीलिए खास तैयारी की
है. अब यह बाते बंद करो, बस समझ लो कि आज ये चीज़े आप लोग नही देख
सकते" शशिकला उँचे स्वर मे बोली. अब वह अपनी साड़ी उतार रही थी.
बाकी बचे उस दिन और रात को हमारी रति मे जो मिठास और उत्तेजना थी उसने
हमे रात भर जगाया. तरह तरह से हमने एक दूसरे को भोगा. सब एक दूसरे
से लिपट कर चुदाई करते रहे. मुझे और अंकल को शशिकला ने कुछ नही
करने दिया, बस मेरे हट करने पर एक दो बार किस करने दिया. न रहा जाता तो
हम मौका मिलते ही एक दूसरे के लंड पकड़ लेते.
अंकल जब मा को चोद रहे थे तो मैं मा के बाजू मे बैठकर उंगली से उसके
क्लिट को सहलाने लगा. अंकल का लंड जब मा की बुर के अंदर बाहर होता तो मेरी
उंगली से घिसता. बीच मे झुक कर मैने जब मा के क्लिट पर अपनी जीभ रख दी
तो शशिकला जो मा को अपनी बुर चुसवा रही थी चिल्लाई "क्या हो रहा है अनिल,
दूर हट"
अंकल बोले "अरे बेटी, वह अपनी मा के क्लिट को चूम रहा है उसकी
मस्ती बढ़ाने को, करने दो उसे."
शशिकला मुस्करा कर बोली "ठीक है ठीक है, बनो मत, मैं जानती हू क्या हो
रहा है, पर चल अनिल, जीभ लगाकर रख मा के क्लिट पर, देख कैसे चूस रही
है मेरी बुर को, झड़ने को है. पर डॅडी के लंड से दूर रहना." मैं मा के
क्लिट पर जीभ लगाकर बैठ गया. जैसे अंकल का लंड अंदर बाहर होता, वैसे मा
की बुर से रस निकल निकल कर मेरी जीभ पर आता. बीच मे मैं शशिकला की नज़र
बचाकर अंकल के लंड पर जीभ लगा देता. अशोक अंकल भी मुझे आँखों मे
शाबासी देते कि मज़ा करो, मेरी जीभ लगने से उनके लंड मे भी सनसनाहट
दौड़ जाती.
अंकल मा को चोद कर उठे तब मैं मा की चूत चूस रहा था. इसके पहले कि
अंकल के वीर्य का स्वाद ले सकु, शशिकला ने कान पकड़कर मुझे अलग कर
दिया. वह एकदम तैयार बैठी थी "चल हट बड़ा आया, मम्मी की बुर के इस
खजाने पर आज मेरा हक है, तुझे रुकना पड़ेगा. अब शादी दो दिन बाद ही तो है
है." और झुक कर मा की बुर पर टूट पड़ी.
मम्मी और मैं दोनों चौंक गये. "इतनी जल्दी शादी! अभी तो तैयारी भी नही
हुई"
"तुम्हे कुछ करने की ज़रूरत नही है अनिल. शादी एकदम प्राइवेट होगी, बस हम
लोग ही होंगे. किसी को अभी बताने की ज़रूरत नही है. रजिस्टर्ड मैरिज करेंगे पर
अभी यह गुप्त रखी जाएगी. कारण बात मे बताउन्गा. अनिल, तुम्हारी मा के नाम मैं
यहाँ बाजू का फ्लैट किराए पर देने का एग्रीमेट बना रहा हू, किराया कंपनी
देगी. वैसे है यह फ्लैट हमारा ही पर लोगों को दिखाना है कि तुम लोग यहाँ
अलग से रहते हो. दोनों फ्लॅटो के बीच एक दरवाजा है इस वार्डरोब के अंदर
से. इस तरह से हम अलग अलग रहने का नाटक करेंगे पर रहोगे तुम लोग यही,
हमारे साथ. मैं रीमाजी के नाम से बीस लाख रुपये उसके ऐकाउन्त मे रख रहा
हू. परसों शादी होगी और शुक्रवार को हम सब एक हफ्ते के हनीमून के लिए
गोआ चलंगे. वहाँ हमारा एक बंगला है, एकदम प्राइवेट" अशोक अंकल
बोले.
"अंकल, मा की नौकरी? वह क्या अब भी आफ़िस जाएगी?" मैने पूछा.
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