RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
"लकी बस्टर्ड! है ना अनिल, क्या मज़ा आ रहा होगा उसे!" अंकल बोले. उनके स्वर
मे अजीब सी मादकता थी. बड़े सहज ढंग से उन्होने मेरी जाँघ पर हाथ रख
दिया. मैं कुछ नही बोला पर मेरे तन मे एक लहर सी दौड़ गये, रोमाच हो आया.
मेरा लंड खड़ा हो गया और मेरे मूह से एक हल्की से आह निकल पड़ी. अंकल ने
तुरंत मुझे पास खींचा और मेरा गाल चूम लिया. मुझे अजीब सा रोमांच हो
आया. मैने विरोध नही किया. मैं चुपचाप हू देखकर अब अंकल ने सीधे मेरा
सिर अपनी ओर मोड़ा और मेरा चुंबन ले लिया. मेरी आँखों मे वे तक रहे थे.
उनकी आँखों मे ढेर सा प्यार और सेक्स का खुमार था. पहले मैं वैसे ही रहा,
फिर धीरे धीरे उनके चुंबन का जवाब देने लगा. उनकी साँसों मे से आफ्टर शेव
की खुशबू आ रही थी.
अंकल ने मुझे बाहों मे भर लिया और बेतहाशा चूमने लगे. मैने भी
अपनी बाहे उनके गले मे डाल दी. अब मैं होशोहवास खो बैठा था, मुझे कोई
फिकर नही थी कि कोई क्या कहेगा. बस लंड मे होती अटीटिवर गुदगुदी का अहसास था.
"तुम बड़े सेक्सी जवान हो अनिल, तुम्हे जो देखे वो फिदा हो जाए. कोई ताज्जुब नही की
शशि तुमपर भी मर मिटी है" मेरे होंठों को चूसते हुए वे बोले.
मैने उनके जंघीए मे बने तंबू पर हाथ डाला और पकड़ लिया. कल भी मा
की गान्ड मारने के लिए लंड को तैयार करते हुए मैने उसे हाथ मे लिया था पर
तब की बात और थी, तब मैं मा के लिए कर रहा था, आज खुद की प्यास बुझाने को
मैं उस खूबसूरत लंड को पाना चाहता था. मेरी चाहत देखकर अंकल ने
जंघिया नीचे सरकाया और लंड मेरे हाथ मे दे दिया. मेरी जंघिया उतार कर
उन्होने मेरे लंड को मुठ्ठी मे पकड़ लिया.
मेरे लंड को वे बड़े प्यार से सहलाने लगे. साथ मे कुछ इस तरह से मेरे लंड
के निचले भाग को अपनी उंगलियों से सहलाते हुए अपनी हथेली उन्होने मेरे
नंगे सुपाडे पर गोल गोल रगड़ी की मेरे मूह से उत्तेजना से एक सिसकी निकल आई.
उनके हाथ मे जादू था. मैने उनका लंड कस कर पकड़ लिया. बस एक ही इच्छा
थी, उस रसीले लंड को मूह मे ले लू, उसे गन्ने जैसा चूसू, अंकल की सारी मलाई
निकाल लू. अब कुछ कुछ समझ मे आ रहा था की लंड चूसने को मा इतनी
उत्सुक क्यो रहती थी.
मैने उनसे कहा "अंकल ... आप गे भी है क्या? ऐसा सेक्स किया है अपने पहले?"
वे मुझे खींचकर गोद मे लेते हुए बोले "गे होने या न होने की बात नही है
अनिल, मैं उस हर व्यक्ति से प्यार कर सकता हू जो मुझे अच्छा लगता है. तेरी मा
पर तो मैं देखते ही मर मिटा था. उसका एक बेटा है जो उसे चोदता है यह
मुझे शशि ने बताया था पर वह बेटा इतना खूबसूरत और चिकना है यह
मुझे परसों ही पता चला जब तुझे देखा. तब से मुझे लगता था कि अगर
तुझसे भी प्यार मुहब्बत करने को मिले तो सोने मे सुहागा हो जाए. पर मैं
ज़बरदस्ती नही करना चाहता था. जब तुझे मेरे लंड की ओर देखते देखा तो
मैं समझ गया की मेरी दाल गल जाएगी. शशि को भी मालूम है, मेरी आँखों
मे देखकर वह कल ही समझ गयी थी. आज जानबूझकर हमे अकेला छोड़ कर
गयी है, वैसे शापिंग भी ज़रूरी थी. मुझे जता कर गयी है शैतान की डॅडी
सिर्फ़ चख कर देखना, पूरा नही खाना नही तो मैं कभी आप से नही बोलूँगी."
मैं अंकल की गोद मे बैठा था जैसे छोटे बच्चे बड़ों की गोद मे बैठते
है. उनका लंड अब मेरे चुतडो के बीच की लकीर मे धँस कर मेरी पीठ पर
धक्के दे रहा था. अंकल मेरे निपल दबा रहे थे और कस के मेरे होंठ चूस
रहे थे. उनकी जीभ ने मेरे होंठों को खोला और मेरे मूह मे घुस गयी.
मेरे मूह को अंदर से ठठोलती वह गरम गरम जीभ मुझे मदहोश कर
गयी. मैं उसे चूस कर ऐसा मदहोश हुआ कि तड़प कर उनकी गोद मे से उतर
गया.
"क्या हुआ अनिल, अरे ..." वे बोले पर तब तक मैं उनके सामने नीचे बैठकर
उनके लंड को हाथ मे लेकर चूमने लगा. पास से वह लंड इतना रसीला लग रहा
था कि मैने मूह खोला और उनके उसे लाल लाल सेब से सुपाडे को मूह मे लेने की
कोशिश करने लगा.
"नही अनिल, ... रुक जा यार, शशि देखेगी तो ...." "बहुत नाराज़ होगी, हंटर से मारेगी!
ये क्या चल रहा है? मैने मना किया था ना डॅडी?"
शशिकला की आवाज़ सुनकर मैं चौंक कर अलग हो गया. सामने
शशिकला और मा खड़े थे. शशिकला नाराज़ होने का नाटक कर रही थी पर
उसकी आँखे चमक रही थी. मा भी पास खड़े खड़े मुस्करा रही थी, शायद
उसे पहले ही शशिकला ने बता दिया था.
"मैने कहा था ना मम्मी, इन दोनों को अकेले छोड़ना ठीक नही है. देखो
कैसे कबूतरों के जोड़े जैसे गुतरगु कर रहे है. चल अनिल, अलग हो, ये सब
क्या चल रहा था?" शशिकला ने कान पकड़कर मुझे उठाते हुए कहा.
"छोड़ो ना दीदी, दुखता है" मैने शिकायत की "मा और तुम कल से मज़ा ले रही
हो, मैं और अंकल क्यो नही ले सकते?" सब की आँखों मे दबी हँसी देखकर
मेरा उत्साह अब बढ़ गया था.
"हन अनिल ठीक कह रहा है बेटी. तुमने और मम्मी ने कितनी मज़ा की आपस मे,
हमने कुछ नही कहा, अब ज़रा हमे भी करने दो. क्या हॅंडसम छोकरा है
आपका मम्मी, मुझे पूरा घायल कर दिया. कल से मैं तड़प रहा हू" अशोक
अंकल बोले.
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