RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
शशिकला ने काले रंग की एकदम छोटी तंग और स्ट्रेप्लेस्स ब्रा पहनी थी,
कांचुकी स्टाइल मे. उसके पुश्ट स्तन बिना स्ट्रॅप के भी शान से सिर उठाए हुए
थे. पैंटी एकदम पतली बिकिनी स्टाइल की थी. उसने काले रंग की चार इंच हील की
पतले पतले पत्तों वाली सॅंडल पहनी थी. उन्हे देखते ही मन होता था कि
उन्हे छाती से लगा लू और चाटने लगू.
मा ने सफेद रंग की साड़ी ब्रा पहनी थी पर उस सादगी का ऐसा जादू था कि मा के
रूप को चार चाँद लग गये थे. सफेद कों जैसे नुकीले कपों मे मा के उरोज
भरे हुए थे और तो पर्वतों जैसे विशाल लग रहे थे. पैंटी एकदम पतले
सफेद नाइलोन की थी और इतनी टाइट थी कि उसमे से मा की बुर की गहरी लकीर और
उसकी घनी झांट दिख रही थी. और मा के सॅंडल, वही सफेद रुपहले सॅंडल
जो आज मैने शशिकला की अलमारी मे देखे थे. उनकी हील कम से कम चार इंच
की थी और उस उँची हील पर बॅलेन्स करते हुए लचक लचक कर चलती हुई मा
जब कमरे मे आई तो मेरा लंड सिर उठाने लगा. अशोक अंकल की भी हालत ऐसी ही
कुछ थी, वे मंत्रमुग्ध होकर मा एक उस रूप को देख रहे थे. मेरे सामने
ही उनका लंड एक इंच और बड़ा हो गया.
शशिकला हंस कर मा से बोली "देखा दीदी, दोनों कैसे पागल हो गये है, अरे
इनकी मैं नस नस पहचानती हू. चलो दीदी थोड़ा डॅन्स करते है, फिर इन्हे
देखेंगे. और सुनो तुम दोनों, इस बार मैने तुम्हे बाँधा नही है पर याद
रखना, अपने लंड को हाथ भी लगाया तो आज रात का प्रोग्राम कैंसल. समझे
ना?" अंकल और मैने सिर हिलाया, उन दोनों अप्सराओं के आगे हमारी क्या चलने
वाली थी.
एक म्यूज़िक की सी डी लगाकर दोनों डॅन्स करने लगी. एक दूसरे से लिपट कर
चुंबनो का आदान प्रदान करते हुए उन्होने ऐसा डॅन्स किया कि हमारी जान
निकाल दी. उँची ऐईडी के संडलों पर अपने आप को संभालते हुए जब वे घूमती
तो उनकी कमर लचक लचक जाती. वे बार बार एक दूसरे के नितंबों को सहलाती,
हमे दिखा दिखा कर अपनी साथिन के चुतडो को दबाती जैसे कह रही हों,
देखो, ये माल देखो!
दस मिनिट के बाद ही हमारा बुरा हाल हो गया. अशोकजी तो एकदम रीरियाने लगे
"रीमा जी प्लीज़, बस अब मत सताइए. बेटी बोलो ना अपनी मम्मी को, अपने दीवाने
को ऐसे न हलाल करे प्लीज़ बेटी दया करो ..." उनका लंड अब तन कर खड़ा हो
गया था.
दो मिनिट के बाद वे दोनों समझ गयी कि हम अब पूरी तरह से मस्त है. मा
बोली "शशि, ये दोनों तो फिर से ऐसे हो गये है कि कोई कह नही सकता कि कल रात
से ये हमारी सेवा मे लगे है"
शशिकला बोली "मम्मी, अभी तो और मतवाला बनाना है इन्हे. मैने बताया था
ना? चलो अब वैसे करते है, देखो कैसे हमारे कदमों मे आ गिरेन्गे"
वे दोनों डॅन्स ख़तम करके हमारे पास आई और एक एक कुर्सी मे बैठ गयी.
मा ने अपनी एक टाँग उठाकर दूसरी पर रख ली और हिलाने लगी. उसका हिलता
सॅंडल बहुत प्यारा लग रहा था. अशोकजी तो उसकी ओर ऐसे देख रहे थे जैसे
भूखा खाने को देखता है.
उनकी ये हालत देखकर शशिकला उन्हे मज़ाक से पुचकार्ते हुए बोली "आइए
पतिदेव, ज़रा अपने होने वाली पत्नी के चरणों की पूजा कीजिए. जैसे चाहिए
कीजिए, घबराईए नही, मन भर कर मज़ा लीजिए. बस झाड़िएगा नही. आपकी पत्नी
की ये गुदाज गान्ड आपको मिलने वाली है एडवांस मे शादी के पहले, उसके लायक
अपने लंड को खड़ा कीजिए" फिर मेरी ओर मुड़कर बोली "और अनिल, उधर कमरे मे
छुप छुप मेरी चप्पल चाट रहा था ना? ले अब खुलकर चाट, मज़ा कर. ऐसे
मामलों मे शरमाया नही करते" और अपनी एक सॅंडल आधी उतारकर वह
अपनी उंगलियों पर नचाने लगी. जो लोग औरतों के पैरों और उनकी
चप्पलो के रसिक होते है उनके लिए इस से ज़्यादा मादक और कोई दृश्य नही
हो सकता कि कोई औरत अपनी चप्पल आधी पंजे से निकालकर अपनी उंगलियों
पर नचाए.
मैं शशिकला के सामने बैठकर बेतहाशा उसके उस खूबसूरत पाव और
सैंडल को चूमने लगा. जीभ से उसे चाटा और शशिकला के पैर की उंगलिया
मूह मे लेकर चूसने लगा. बड़ी गोरी और नाज़ुक उंगलिया थी, मोतिया नेल पालिश
से और सुंदर लग रही थी. उसके सॅंडल के पत्ते मूह मे भर लिए. ऐसा लग
रहा था कि चबा डालु. लंड अब तना तन उछल रहा था.
|