RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
आख़िर जब झाड़ कर दोनों अलग हुई तब हम चिपके ही हुए थे. गान्ड से ऐसे
लगे थे जैसे घुस जाना चाहते हों. मा की गान्ड का तो मैं दीवाना था ही,
खूब जानता था कि अशोक अंकल की क्या हालत है. शशिकला की गान्ड भी बहुत
प्यारी थी, मा जितनी मोटी ताजी भले ही न हो, पर बहुत मीठी थी.
शशि हँसने लगी "अब आए ये दोनों असली रास्ते पर, मम्मी ये हमारी गान्ड
मारना चाहते है"
मा बोल पड़ी "ना बाबा ना, मैं नही मराउन्गि. ये मेरा बेटा भी ना जाने क्यों
पागल रहता है इसके पीछे, मैं दो तीन दिन मे इसे दे देती हू, बेचारा बहुत
प्यार करता है मुझे, इसका तो मैं सह लेती हू, पर अशोक का यह सोंटा! ना बाबा
ना! मार डालेगा मुझे. अशोक, तुम बस चुपचाप मेरी बुर रानी की सेवा करते
रहो, उसके लिए मैं तुम्हे कभी नही नही रोकूंगी"
शशिकला बोली "नही दीदी ऐसा न करो, मेरे डॅडी आस लगाए बैठे है, वे पागल
हो जाएँगे, मैं जानती हू कितने दीवाने है तुम्हारे इन गोल मटोल चूतडो के.
पर ऐसे ही नही मिलेगी यह अनमोल चीज़ इन्हे. कीमत देनी पड़ेगी. कीमत मैं तय
कर लुगी. मम्मी तुम मान जाओ प्लीज़, बाकी मुझ पर छोड़ दो"
मा ना नुकुर करती रही पर शशि ने उसे प्यार से मानना शुरू कर दिया. मा
के कन मे कुछ कहा. मा का चेहरा गुलाबी हो गया. "चल हट, ऐसा कैसे
होगा?"
शशि बोली "ऐसा ही होगा मम्मी, मेरा कब से प्लान है. डॅडी, इतनी अनमोल
चीज़ खास लोगों को ही मिलती है, किसी पास के रिश्ते वाले को, आप को कैसे इतनी
आसानी से मिल जाएगी?"
फिर मेरा और अंकल का लंड पकड़कर बोली "चलो मेरे दोनों मरदाने
मजनुओ, ज़रा मेहनत करो. मम्मी को खुश करना है, मम्मी का एक
सेकंड भी वेस्ट नही होना चाहिए. डॅडी, आप यहा लेटिये. मम्मी, तुम डॅडी
के लंड से मलाई निकाल लो. और तू अनिल, मा को कल से नही चोदा है ना, चल आ जा
, मा की सेवा कर. डॅडी, आप के लिए अब मेरी बुर मे शहद ही शहद है. सब
आराम से मज़ा ले लेकर चोदो, जल्दबाजी की कोई ज़रूरत नही है, अभी पूरी रात
पड़ी है.
अगले आधे घंटे हम चारों के शरीर एक बड़े प्यारे और मतवाले आसान मे
जुड़े रहे. शशिकला अपने डॅडी के मूह पर चूत जमा कर उनके सिर को
जांघों मे जाकड़ कर हल्के हल्के मज़े ले लेकर चोद रही थी. मा झुक कर
अशोक अंकल के लंड को मन लगाकर चूस रही थी. पूरा लंड उसने गन्ने जैसा
मूह मे ले लिया था. उसके चूतड़ हवा मे उठे हुए थे. मैं उसके पीछे
घुटनों के बल बैठकर पीछे से उसे चोद रहा था. पास से मा को अंकल का
महके लंड चुसते हुए देख रहा था. मा की आँखों मे जो तृप्ति थी उसे
देख कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मूह मे अच्छा बड़ा रसीला लंड था
और उसका बेटा पीछे से उसे मन लगाकर चोद रहा था, किसी नारी को इससे ज़्यादा
क्या चाहिए! उस गोरे रसीले लंड को मा के मूह मे देखकर मुझे थोड़ी जलन
भी हुई. क्या मज़ा आ रहा होगा मा को, इतने खूबसूरत लंड बहुत कम लोगों
के होते है.
झड़ने के बाद मैं तो लुढ़क कर सो गया, बहुत थक गया था. लंड और
गोटियाँ भी दुखने लगे थे. मेरे झड़ने के बाद शायद कुछ देर चुदाई
और चली क्योंकि आँख लगाने के बस ज़रा से पहले अंकल के मूह से निकलती
"ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आअहह" आवाज़ मैने सुनी, वे शायद मा के मूह मे झाड़ गये
थे.
--- भाग 2 समाप्त ---
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