RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मैं देख रहा था कि अंकल बार बार मा से लिपटकर उसे चूमते और खास कर
उसकी चुचियों के पीछे लग जाते. उनके हाथ सदा मा के मोटे नितंबों पर
होते जिन्हे वे बड़े प्यार से सहलाते और दबाते. जब मा और शशिकला पलंग
पर आजू बाजू लेट कर सिक्सटी नाइन कर रही थी तब हम दोनों सोफे पर बैठ कर
देख रहे थे. दोनों औरतों के गोल मटोल गोरे नितंब देख देख कर उनके
पीछे चिपकने का मन हो रहा था.
अंकल ने मुझे आँख मारी. जब मैं अपना सिर उनके पास लाया तो कान मे बोले
"यार अनिल, यही मौका है, इन औरतों की इस मतवाली गान्ड को प्यार कर लेने का.
मैं तो मरा जा रहा हू तुम्हारी मम्मी की इस गोरी गुदाज गान्ड मे मूह मारने
को. तुम भी शशि के इन गोरे चूतडो का मज़ा ले लो. बहुत प्यारे है. वैसे
एक बात बताओ, नाराज़ मत होना पर तुमने अपनी मा को पीछे से ... याने मेरा
मतलब है ..."
मैं समझ गया. फुसफुसा कर बोला "बिल्कुल अंकल, मैं तो दीवाना हू उसका. मा की
गान्ड मारने मे मुझे जो आनंद आता है वो मैं बयान नही कर सकता. वह भी
मरवा लेती है पर हफ्ते मे बस दो तिन बार. क्या आपने कभी शशिकला दीदी
...?"
"हाँ, वह तो बड़े चाव से मरवाती है. छोटी थी तब से मारता हू ना, उसकी मा
ने ही पहली बार अपने सामने मुझसे अपनी बेटी की गान्ड मरवाई थी. कुछ
औरतों को यह बहुत पसंद है, शशिकला की मा और शशिकला दोनों को
यह शौक था" अंकल बोले.
मैं आश्चर्य से बोला "आपका इतना बड़ा यह लंड, कैसे उसकी नाज़ुक गान्ड मे
जाता है? उसे दुखता नही है?"
अंकल अपना लंड सहला रहे थे. गान्ड मारने की बात से ही उनका खड़ा होने
लगा था. "आराम से लेती है. तू भी मार कर देख, क्या मुलायम छेद है मेरी बेटी
का. पर यार, तुम्हारी मा को मनाना पड़ेगा. मैं तो गुलाम हो जाउ उनका, अगर
मुझे अपनी वह मोटी फूली गान्ड मारने दे."
पलंग पर लिपटे उन दोनों गोरे शरीरों को देखकर वे बोले "चलो ट्राइ
करते है. कम से कम इन मतवाले चूतडो का स्वाद तो ले ले, फिर गान्ड
मारने को भी मनवा लेंगे. शशि जानती है मैं रीमाजी की गान्ड का कितना
मतवाला हू. ऑफीस मे ही साड़ी के नीचे से दिखते उन चौड़े कुल्हों को
देखकर मेरा खड़ा हो जाता था. शशि मेरा बहुत मज़ाक उड़ाती थी, वह मदद
करेगी. अभी ऐसा करो तुम शशि से चिपक जाओ और मैं तुम्हारी मा के नितंबों की पूजा करता हू. अभी वो दोनों मस्ती मे है, कुछ नही कहेंगी."
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