RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
इतनी देर यह चुदाई चली कि मैं रोने को आ गया. शशिकला माहिर खिलाड़ी थी.
खुद कई बार झड़ी पर मुझे नही झड़ने दिया. मैं झड़ने को आता तो रुक जाती
या लंड को बुर से निकाल डालती.
उधर मा को अंकल ने ऐसे चोदा की मैं उनकी कामकला का कायल हो गया.
शशिकला को उन्हे उलाहना देने की ज़रूरत नही पड़ी. वे लगातार मा को चोद
रहे थे. कभी छोटे धक्के लगाते, बस ज़रा सा लंड मा की बुर मे अंदर बाहर
करते, कभी हचक हचक कर चोदते, पूरा लंड मा की चूत से बाहर
खींचते और सटाक से फिर पेल देते. मा जब ज़्यादा मस्ती मे चिल्लाने लगती तो
उसके मूह को अपने मूह से बंद कर देते. बीच बीच मे मा के मम्मे
पकड़कर प्यार से मसलने लगते.
आख़िर मा झाड़ झाड़ कर लास्ट हो गयी पर अशोक अंकल ने चोदना नही छोड़ा.
मा बोली "बस अब हो गया अशोक, तुमने मेरी कमर तोड़ दी, इतना आज तक नही
चुदि मैं, बिलकुल तृप्त कर दिया तुमने मेरी बुर को, पर अब छोड़ दो, अब मत
चोदो, मैं नही सह पाउन्गी"
अशोक अंकल ने अपनी प्यारी बेटी की ओर देखा. शशिकला पूरे जोश मे थी. उसकी
वासना अब धधक रही थी. मुझे चोदते हुए वह कई बार झड़ी थी पर अब भी
गरमाई हुई थी. शायद मुझे ऐसे तरसा तरसा कर चोदने मे उसे बहुत
मज़ा आ रहा था. उसने अपने डॅडी से कहा "क्या डॅडी आप भी मम्मी की
बातों मे आ गये. उस जैसी गरम औरत की भूख इतने मे कैसे मिटेगी! वो तो
ऐसे ही कह रही है. आप मत सुनिए, चोदिये और, ज़्यादा नखरा करे तो मूह
बंद कर दीजिए, ज़रा ज़ोर से चोदिये, आपका लंड उसके बच्चेदानी मे घुस
जाना चाहिए तब उसे तृप्ति मिलेगी. मैं नही चाहती कि मम्मी मुझे कहे कि
शशिकला, बड़ी उम्मीद से आई थी तेरे घर कि मुझे चोद चोद कर बिलकुल
मस्त कर देंगे तेरे डॅडी पर उन्होने तो आधे मे छोड़ दिया. मुझे देखो,
कितना मज़ा दे रही हू अनिल को. बेचारा मस्ती से पागल होने को है पर मैं इसे
नही छोड़ने वाली. याद रखेगा हमेशा अपनी दीदी की चुदाई"
मा को दबोच कर उसके मूह को अपने होंठों मे पकड़कर चुसते हुए अब
अशोक अंकल ने जैसा मा को चोदा उसकी मैं कल्पना भी नही कर सकता था.
क्या स्टेमिना था उनका. लगातार घचघाच घचघाच उनका लंड मा की
बुर को चीरता रहा. मा अब तड़प तड़प कर उनके चंगुल से निकलने की
कोशिश कर रही थी, हाथों से उनकी पीठ पर वार कर रही थी, उन्हे धकेलने
की कोशिश कर रही थी पर वे थे कि जुटे हुए थे. ऐसा लग रहा था जैसे बलात्कार
कर रहे हों.
दस मिनिट बाद मा ने एक गहरी सांस ली और आँखे बंद करके लुढ़क गयी,
उसका शरीर लास्ट पड़ गया. "लगता है बेहोश हो गयी मम्मी. अब ठीक है, अब
हम कह सकते है कि आपने मम्मी को चोदा है. शाबास डॅडी, आपने मेरी
लाज रख ली. अब आप भी झाड़ ले तो मैं कुछ नही कहुगी" शशिकला ने अपने
डॅडी को शाबासी दी. वे अब मा को ऐसे चोदने लगे जैसे उसके शरीर मे
अपना शरीर घुसा देना चाहते हों. मेरे अंदाज मे लोग रंडियो को पैसे
वसूल करने को ऐसे ही चोदते होंगे. दो मिनिट मे वे झाड़ गये और मा के
शरीर पर लस्त होकर लुढ़क गये.
शशिकला की आँखों मे एक अजीब चमक थी. अब वह भी मुझ पर तरस खा कर
नीचे लेट गयी और मुझे उपर ले लिया. "चोदो अब अनिल, चोद लो दीदी को, कसर
निकाल लो पूरी. काफ़ी तड़पाया है मैने तुझे. पर मज़ा आया ना? सच बोल!" मैं
कुछ बोलने की स्थिति मे नही था, बस कस कर शशिकला को चोदा और झाड़ कर
लस्त हो गया.
हम सभी पाँच मिनिट पड़े रहे. शशिकला मा को चूम चूम कर जगाने
मे लगी थी. मा होश मे आई तो पहला काम यह किया कि अंकल को बाहों मे
लेकर चूम लिया "अशोक, तुम आदमी हो या घोड़ा, कैसे चोदते हो? मार ही
डालोगे मुझे लगता है. और तू शशि, मुझे बचाने के बजाय अपने डॅडी
को शह दे रही थी कि और चोदो!"
"मम्मी, तुम्हारे जैसी सेक्सी सुंदर औरत को ऐसे ही चोदना चाहिए, नही तो
यह तुम्हारे रूप का अपमान होगा. ऐसे हचक हचक कर अगर तुम्हे नही
चोदा तो डॅडी के इस लंड का क्या फ़ायदा? वैसे नाराज़ मत हो, तुम हो भी इतनी
सुंदर कि मैं कहती तो भी डॅडी नही छोड़ते" शशिकला बोली.
"सच है शशि, इतना गुदाज नरम बदन कभी बाहों मे लेने को नही मिला.
मेरे लंड को आज जैसा नशा चढ़ा है वो बरसों बाद नसीब हुआ है. असल
मे मेरा लंड भी आज पूरी खुमारी मे था, झड़ने के मूड मे नही था,
मम्मी के सुंदर बदन का पूरा रस लेना चाहता था" अशोक अंकल मा को
चूमते हुए बोले. फिर मुझे पूछा "अनिल, कुछ मज़ा आया तेरी चुदाई मे? वैसे
मेरी ये बेटी काफ़ी दुष्ट है, बहुत तरसाती है पर स्वर्ग पहुँचा देती है"
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