Maa ki Chudai माँ का दुलारा
10-30-2018, 06:14 PM,
#50
RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
जब दोनों औरतों का हाफना बंद हुआ और उनकी सांस मे सांस आई तो वे भी
उठ बैठी. मा अंगड़ाई ले कर बोली "शशि बेटी, लगता है हमारा रस इन्हे
बहुत रास आया है, देखो दोनों, फिर तन कर तैयार है हमारी सेवा मे" अशोक
अंकल के लंड को पकड़कर मा बोली "क्यों अशोकजी ..."

अंकल तड़प कर बोले "प्लीज़ दीदी, मेरी इंसल्ट मत कीजिए, मैं आप का गुलाम हू,
उमर मे भी आप से बहुत छोटा हू, मुझे अशोक ही कहिए" अपने लंड पर मा
के हाथ के दबाव से वे बहुत गरमा गये थे. मा की चूंची पकड़कर दबा
रहे थे.

"अच्छा अशोक, अब क्या करना है बोलो? मेरा तो मन हो रहा है कि फिर चूस लू
इसे, कितना रसीला गन्ना है! क्यों शशि, तू क्या करती है इसके साथ? मेरा बस
चले तो इस जवान को बाँध कर रखू और बस खूब चुसू, सारी मलाई खा
जाउ."

शशि मेरे लंड को अपनी छातियों के बीच रगड़ती हुई बोली "अरे नही मम्मी,
ऐसा ज़ुल्म न करो डॅडी पर, वैसे तुम्हारा हक है, मेरी तो ये सुनते नही,
पटककर शुरू हो जाते है, अलत पलट कर मेरा रेकार्ड बजाते रहते है"

मुझे रोमाच हो आया. अलत पलट कर याने! इतने मोटे लंड से इस दुबली पतली
नाज़ुक कन्या की गांद भी मारते है अंकल? और शशिकला सह लेती है! मेरी
आँखों मे देखकर शशिकला बोली "तुझे क्यों अचरज हो रहा है? तुझे
भी तो शौक है अपनी मा का रेकार्ड दूसरी तरफ से बजाने मे! सब मर्दों का
यही शौक होता है. अच्छा चलो, आगे का काम करो. सब लोग पलंग पर चलो.
मम्मी हम दोनों ने बहुत मेहनत कर ली, अब इन्हे करने दो, आख़िर गुलाम
होते किस लिए है!"

हम सब उस बड़े पलंग पर आ गये. शशिकला ने मा को एक तरफ लिटाया और
उसके नितंबों के नीचे तकिया रखा. अपने डॅडी के लंड को पकड़कर
खींच कर उन्हे उसने मा की टाँगों के बीच बैठाया. "चलिए डॅडी, शुरू
हो जाइए. और ज़रा ठीक से मेरी मम्मी को चोदिये, मेरी इज़्ज़त का सवाल है, नही
तो आप धासद पसद बहुत करते है. जब तक रीमाजी बस न बोले, आप इन्हे
चोदेन्गे, बिना झाडे, ठीक है ना?"

अंकल तो रह ही देख रहे थे. कानों को पकड़कर बोले "कसम ख़ाता हू, मैं
तो गुलाम हू इनका, मालकिन जैसे कहेंगी मैं वैसा ही करूँगा"

मा ने शशिकला से कहा "तू नही चुदवायेगि अनिल से बेटी? लगे हाथ तू भी
इससे सेवा करवा ले. बहुत प्यारा बेटा है मेरा, तेरे उपर मर मिटेगा. मुझे
इतना प्यार करता है, देखो कितना खुश है अपनी मा की सेवा के लिए तैयार इस
भारी भरकम हथियार को देखकर" अशोक अंकल के लंड को पकड़कर मा
बोली.

शशिकला बोली "बिलकुल मम्मी, तुम्हारी और डॅडी की फिट करा दूं, फिर इसे
देखती हू. इसे मैं चोदुन्गि, छोटा है ना, मेरा हक है इसपर चढ़ने का.
अनिल, मज़ा आ रहा है? अपनी मा को चुदवाते देखना कितने बेटों को नसीब
होता है?"

मैने कहा "दीदी, आप सच कहती है, अशोक अंकल के लंड से अच्छा लंड हो ही
नही सकता मेरी मा को सुख देने के लिए"

अंकल मा की टाँगों के बीच बैठते हुए बोले "अनिल यार, चिंता मत करो,
तुम्हारी मा को मैं ऐसा चोदुन्गा कि इन्हे शिकायत का मौका नही मिलेगा"

शशिकला ने अपने डॅडी के लंड को मा की चूत पर रखा. प्यार से मा की
चूत अपनी उंगलियों से चौड़ी की और मा का चुंबन लेती हुई बोली "पेलिए
डॅडी, प्यार से, मम्मी को तकलीफ़ न हो. अब तक वह अनिल के लंड से चुदवाती
रही है, आपका तो डबल है उससे" और अपने मूह से उसने मा का मूह बंद
कर दिया.

अशोक अंकल लंड पेलने लगे. उनका मोटा मूसल मा की बुर मे घुसने लगा.
आधा लंड घुसने पर मा का शरीर कांप उठा. वह शशिकला से चिपट गयी
और अपने बंद मूह से एयेए एयेए करने लगी. अंकल रुक गये. शशिकला ने
इशारा किया कि रूको मत, पेल दो एक बार मे. अंकल ने फिर से ज़ोर लगाया और सट से
पूरा लंड मा की बुर मे उतर गया.

मा का शरीर कड़ा हो गया. वह पैर फटकारने लगी तो अंकल ने उसके पैर
पकड़ लिए. मुझे बोले "क्या चूत है तेरी मा के बेटे, इस उमर मे भी इतनी
मस्त टाइट है. और इतनी गीली और गरमागरम, मखमल से कोमल" शशिकला अब
मा के मूह को अपने मुँह से चुसते हुए धीरे धीरे उसके स्तन भी सहला
रही थी, उसके निपल उंगली मे लेकर रोल कर रही थी.

मा शांत हो गयी तो शशिकला ने मा का मूह छोड़ा "क्यों मम्मी, मज़ा
आया? दर्द हुआ क्या? वैसे मेरे डॅडी का ऐसा है कि अच्छी अच्छी खेली हुई
औरतों के छक्के छुड़ा दे. पर मैने सोचा बार बार के दर्द से अच्छा है कि
एक बार मे ले लो, फिर मज़े ही मज़े है"

मा सिसक कर बोली "हाँ बेटी, दर्द हुआ पर बड़ा मीठा दर्द था, मैं तो भूल ही
गयी थी सुहागरात के दर्द को, अशोक ने मुझे उसका आनंद दे दिया. सच मे
कितना बड़ा है अशोक का, ऐसा लगता है मेरे पेट मे घुस गया है. पर बहुत
अच्छा लग रहा है मेरी रानी"

शशिकला हट कर अशोक अंकल को बोली "चलिए डॅडी, शुरू कीजिए, मेरी बात
याद है ना!"

अशोक अंकल धीरे धीरे लंड मा की बर मे अंदर बाहर करने लगे. "ठीक है
ना रीमा जी? कि और धीरे करूँ"

मा को अब मज़ा आ रहा था. "नही नही, और ज़ोर से करो अशोक, ऐसे नही, आख़िर
चोद रहे हो, मालिश थोड़े कर रहे हो कि धीरे धीरे की जाए, कस के चोदो.
मेरे बेटे को भी देखने दो कि उसकी मा कैसे चुदति है ऐसे मतवाले लंड
से" और मा ने अपनी टाँगे उठाकर अशोक अंकल की कमर के इर्द गिर्द जाकड़ ली.
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