RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मैं झट से शशिकला के आगे बैठ गया और उसकी टाँगों के बीच घुस गया.
मा ने जब से शशिकला की चिकनी बुर का वर्णन किया था, उसके दर्शन के
लिए मैं व्याकुल था. आज वह खूबसूरत चूत मेरे सामने थी. एकदम गोरी, एक
भी बाल नही, बालों की जड़े तक नही दिख रही थी. गोरी फूली बुर के बीच की गहरी
लकीर मे से चिपचिपा पानी बाहर आ रहा था. मैने उंगलियों से बुर खोली तो
मज़ा आ गया, उसकी बुर का छेद एकदम गुलाबी था, मखमल सा कोमल.
भगोश्ठ छोटे थे, मा से काफ़ी छोटे पर एकदम गोरे चिट्टे. और क्लिटॉरिस,
उसकी नाज़ुक बुर के हिसाब से उसका क्लिट अच्छा बड़ा था, मा से भी बड़ा. मा का
अनार के दाने जैसा था, शशिकला का क्लिट किसी रसीले अंगूर जैसा था.
"अनिल बेटे, देखता ही रहेगा या स्वाद भी लेगा? इधर देख, शशिकला के डॅडी
तो अंदर घुस गये है मेरे, ऐसे चूस रहे है जैसे कभी औरत का रस पिया न
हो" मा की मीठी झाड़ से मैं होश मे आया. बाजू मे झाका तो अशोकजी ने
अपना मूह मानों मा की बुर मे घुसेड दिया था. ज़ोर ज़ोर से चूसने की आवाज़
आ रही थी. मेरे देखते देखते उन्होने थोड़ा सिर पीछे किया, फिर जीभ से मा की
पूरी बुर उपर से नीचे तक चाटने लगे. उन्हे और कुछ नही सूझ रहा था. मेरी
ओर उन्होने क्षण भर देखा, आँखों मे मुझसे कहा कि यार क्या खजाना है
तेरी मा की चूत और फिर जुट गये.
शशिकला की बुर को चूम कर मैने कहा "मा, इतनी खूबसूरत है दीदी की यह
चूत, मुझे समझ मे ही नही आ रहा है कि कहाँ से चूसना शुरू करूँ"
मैने शशिकला की बर का एक चुम्मा लिया और फिर पपोते फैला कर चाटने
लगा. अंदर झलक रहे रस की एक एक बूँद मैने जीभ से टिप ली, फिर धीरे से उसके
क्लिट को चाटने लगा. शशिकला मस्ती मे "अया अया अया" कर उठी. अपनी
जांघे और फैला कर उसने मेरे सिर को पकड़ लिया. "अच्छा कर रहा है अनिल, और
कर ना"
मैने उसके क्लिट को जीभ से रगड़ा और फिर मूह मे अंगूर की तरह लेकर चूसने
लगा. शशिकला ने सिसक कर मेरे सिर को अपनी बुर पर दबा लिया और मा से
लिपटकर उसके स्तन को चूसने लगी. मा ने उसके बाल चूमते हुए अपनी
चूंची और उसके मूह मे दे दी. अशोक अंकल का सिर पकड़कर मा ने जांघों
मे दबा लिया और धीरे धीरे अपनी जांघे कैंची की तरह उपर नीचे करने
लगी. "चूसीए शशिकला के डॅडी, मेरा रस और चूसीए. आप को आज मैं खुश
कर दूँगी, मेरा बेटा तो दीवाना है इसका"
मैने अपनी जीभ शशिकला की बुर मे डाली और अंदर से चाटने लगा. मानों
चासनी बह रही थी उसमे से! उस मादक स्वाद के रस से मेरा लंड भी फिर से
खड़ा हो गया था. शशिकला ने भी अब मेरे सिर को अपनी जांघों मे भींच
लिया था.
आधे घंटे तक हम दोनों उन खूबसूरत औरतों की बुर के रस को पीते रहे. वे
कई बार झड़ी. लगातार हमारे सिर को अपनी बुर पर दबा दबा कर वे
हस्तमैन्थुन करती जाती और झाड़ झाड़ के अपनी बुर का पानी हमे पिलाती जाती. साथ
मे आपस मे लिपट कर एक दूसरे को प्यार करते हुए, एक दूसरे के मम्मे
चुसते हुए, चूमा चाटी करते हुए मज़ा लेती जाती. दोनों आख़िर झाड़ झाड़ कर
ढेर हो गयी और अपने पैर उठाकर वही सोफे पर एक दूसरे से लिपट कर हाफ़ती
हुई लेट गयी.
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