RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मा ने अशोक अंकल को इतना सस्ते मे नही छोड़ा , दस मिनिट उनसे खेलती
रही. एक बार पूरा लंड मूह से निकालकर खड़ी हो गयी और जाकर उनके सिर को
हाथों मे पकड़कर उनका किस लेने लगी. अशोक अंकल ने मा के होंठ ऐसे
चूसे जैसे जनम जनम के भूखे हों. मा ने अपनी जीभ जब उन्हे दी तो
मुझे ऐसा लगा कि वे उसे खा जाएँगे, इतनी उत्तेजना से उन्होने मा की जीभ को
मूह मे लेकर चूसा. मा ने फिर उनका सिर अपनी स्तनों पर दबा लिया. मा के
मोटे मोटे स्तनों मे सिर छुपाकर अशोक अंकल मानों एक बच्चे जैसे हो
गये, उसके निपल बारी बारी से चूसने लगे.
पाँच मिनिट उन्हे मस्त करके मा फिर उनके लंड पर जुट गयी. इस बार अपनी
हथेली उनके सुपाडे पर रखकर इधर उधर घुमा कर रगड़ने लगी. अशोक
अंकल कुर्सी मे ऐसे उछलने लगे जैसे कोई हलाल कर रहा हो. मुझे पता था
अंकल पर क्या बीत रही होगी, आज कल मा मुझे कई बार ऐसा करता था जब सताने
के मूड मे होती थी. जब उनकी हिचकियाँ निकलने लगी, तो मा ने उनके लंड
को अपने उरोजो के बीच दबा लिया और अपने स्तन उपर नीचे करके उनके लंड
को स्तनों से ही चोदने लगी. जब अंकल अपना सिर उधर उधर हिलाने लगे तो
मा ने फिर से उनका लंड मूह मे ले लिया.
अशोक अंकल जब झाडे तो उनके मूह से ऐसी ज़ोर सी हिचकी निकली जैसे जान निकल
गयी हो. तब मा का मूह खुला था और सुपाडा मा की जीभ पर टिका था. इतना
सफेद और गाढ़ा वीर्य मा की जीभ पर निकला जिसके बारे मे मैं सोच भी नही
सकता था कि कोई लंड इतना सारा वीर्य निकाल सकता है. बड़े बड़े सफेद मलाई
जैसे लौंदे मा की जीभ पर उगलने लगे. मा ने पूरा वीर्य मूह मे भर जाने
दिया. चुपचाप मूह खोले बैठी रही. जब लंड लस्त हुआ तब तक मा का मूह
पूरा सफेद मलाई से भर गया था जैसे किसीने कटोरी उडेल दी हो. मा फिर उसे
निगलने लगी. उसकी आँखों मे एक अजीब तृप्ति थी.
शशिकला तुरंत उठकर उसके पास गयी और उसके गाल चूमने लगी. मा ने
आधा वीर्य निगल कर शशिकला के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. काफ़ी वीर्य
उसने शशिकला के मूह मे दे दिया. बाकी का खुद निगल गयी. दोनों औरते एक
गहरे आलिंगन और चुंबन मे बँध गयी. दो मिनिट बाद जब वे अलग हुई तो
हँसते हुए शशिकला बोली "थैक्स मम्मी मलाई शेयर करने के लिए पर आज
वह पूरी तुम्हारे लिए निकली थी डॅडी, इतने दिन हो गये जब इतनी सारी मलाई
निकली है, तुम्हारे रूप का जादू चल गया है डॅडी पर लगता है"
मा अब भी चटखारे ले रही थी "हाँ शशि पर सोचा अब तो बहुत मलाई मिलेगी
मुझे, मेरी बेटी को क्यों तरसाऊ, तेरे प्यारे मीठे मूह का भी स्वाद ले लू ऐसा
लगा मुझे. तेरे डॅडी का लंड सचमे बहुत जानदार है. और मेरे बेटे ने
तुझे कुछ खिलाया या नही?"
"एकदम अमृत मम्मी, जवान लड़कपन का स्वाद लिए अमृत. अब इसे मैं ऐसा
निचोड़ूँगी की बस .... तुम कुछ कहना नही मम्मी."
"अरे नही, तेरा ही भाई है, कुछ भी कर, तेरा हक है, तू दीदी है उसकी." मा ने
शशिकला से कहा.
अशोक अंकल ने हाफते हुए कहा "रीमा जी आप जादूगरनी है, आप का जवाब नही,
मैं पागल हो जाउन्गा आप के साथ रहकर. पर मुझे मंजूर है"
"कैसी मम्मी चुनी है मैने डॅडी, मान गये ना? आख़िर मेरी चाइस है,
उसकी दाद देनी पड़ेगी" शशिकला ने इठलाते हुए कहा.
"अरे पर अब ज़रा मेरी भी सुनो प्लीज़, मुझे और अनिल को भी अपना रस
चखाओगि या नही, या प्यासा ही रखोगी?" अशोक अंकल अपनी बेटी से मिन्नत
करते हुए बोले.
"बस अब चलो, आप की ही बारी है. बस एक शर्त है डॅडी, आपके हाथ पैर हम
खोल देते है पर जैसा मम्मी कहेगी वैसा ही करना, वे जब तक नही कहे
उन्हे चोदने की कोशिश नही करना. आप के लंड को इसी लिए चूसा है कि अब तीन
चार घंटे बिना झाडे मम्मी की सेवा करे. और तूने भी सुना ना मुन्ना. अब ये
दीदी कहेगी तभी मुझपर चढ़ना. तब तक चुपचाप हमारी बुर रानी की
पूजा करना." शशिकला शोख अंदाज मे मुझसे बोली.
मेरे और अशोक अंकल के हाथ पैर खोल दिए गये. शशिकला और मा सोफे पर
एक दूसरे से चिपट कर बैठ गयी और अपनी टाँगे फैला दी "आ जाओ दोनों बच्चो,
आओ और अपनी देवियों की पूजा करो. उनका प्रसाद लो. देवियों ने देख लिया है
कि उनके बेचारे भक्त कितनी देर से तरस रहे है" मा ने खिलखीलाकर कहा.
|