RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
माँ को यह सब बताने मे रात हो गयी. मैं सुन सुनकर पागल हो जाता था तो
मा की गान्ड मारने लगता था. मा की बुर की हालत देखकर मैने उसे चोदा
नही, हाँ रात भर गान्ड मारी और बीच बीच मे चूत चूसी. मन मे मुझे
बहुत संतोष था कि आख़िर मा को अपनी पूरी वासना पूरी करने का खूबसूरत
साधन मिल गया.
मा के दिन अब बड़े मस्ती मे गुजरने लगे. शशिकला ने उसे पर्सनल अस्सिटेंट
बना लिया. अब वह मा को हर जगह अपने साथ रखती. बिज़नेस के लिए जब बाहर
जाती तो मा को भी ले जाती. दोनों साथ साथ होटल मे रुकती, दो अलग कमरे लेती
पर रात एक ही कमरे मे गुज़ारती. शनिवार रविवार को तो अक्सर मा गायब
रहती.
एक मायने मे मेरा बुरा हाल हुआ, मा अब आधे दिन घर मे नही होती. उसके
रूप का दीवाना मैं उसके शरीर को तरस कर रह जाता. रोज रति की आदत पड़ गयी थी,
एक दिन भी खलल पड़ जाने पर मेरी हालत खराब हो जाती. वैसे मा यह कसर
पूरी कर देती थी जब यहाँ होती. स्त्री स्त्री संभोग के बाद अपने बेटे से स्त्री
पुरुष संभोग के लिए वह आतुर रहती और मुझे ऐसे अपने आगोश मे लेती
जैसे बिछड़ी नायिका अपने प्रेमी से चिपट जाती है. और मुझे किस्से सुनाती कि
शशिकला के साथ क्या क्या किया.
यह सब ज़्यादा दिन ऐसे . चलना संभव नही था. एक दिन रात को मा थोड़ी
गंभीर लगी. शशिकला काम से दो दिन को बाहर गयी थी, इस बार मा को बिना
लिए. मैं खुश था कि अब दो तीन दिन मा सिर्फ़ मेरी है. वैसे मा से उसकी और
शशिकला की चुदाई के किस्से सुन सुन कर मेरा भी मन मचल उठता था कि उस
मादक युवती के उस जवान शरीर को भोगने मिले तो क्या बात है.
मा को मैने पूछा कि क्या बात है, क्या सोच रही हो?
मा बोली "बेटे, शशिकला कह रही थी कि शायद समय आ गया है कि हमारे
दो परिवार आपस मे मेल जोल बढ़ा ले."
"कौन से दो परिवार मा? तुम्हारा मतलब है शशिकला और माथुर साहब का
परिवार और अपना परिवार?" मैने पूछा.
"हा बेटे, देख, इन दोनों परिवारों मे बहुत सेम है. यहाँ एक मा और बेटे
का आपस मे इश्क है, वहाँ एक बाप और बेटी का है, भले ही सौतेले हों. अब
तक दोनों परिवारों को जोड़ने वाली कड़ी सिर्फ़ मैं और शशिकला हू. वह कह
रही थी कि अब अनिल और उसके डॅडी अशोकजी भी इसमे शामिल हो जाएँ तो अच्छा
है. दोनों को मालूम है ही. तुझे मालूम है कि मेरा और शशिकला का आपस
मे चलता है और माथुर साहब को भी मालूम है. फरक सिर्फ़ इतना है कि तूने
अभी तक उन दोनों को देखा नही है, सिर्फ़ फोटो देखा है. तेरी फोटो भी मैने
शशिकला को दिखाई है"
"माथुर साहब को मालूम है याने माँ? वे तुझसे कैसे पेश आते है? और
शशिकला क्या बोली" मैने उत्सुकता से पूछा.
"वे मुस्काराकर निकल जाते है, बड़े अदब से पेश आते है, और कुछ नही बोलते.
पर शशिकला बोल रही थी कि ...... " मा का चेहरा लाल हो गया और वह चुप हो
गयी. फिर बोली "शशिकला तो तुझपर फिदा है, कहती है मा, मेरे छोटे भाई से
मेरी पहचान करा दो, अपनी मा की इतनी सेवा करता है, बहुत अच्छा बेटा है,
शायद बड़ी बहन की भी इतनी ही अच्छी सेवा करेगा. कह रही थी कि कितना
चिकना लड़का है"
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