RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मा की सांस तेज चल रही थी. उसने शशिकला को सोफे पर लिटाया और उसके सिर के
दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गयी. "मैं मा ही हू तेरी बेटी, मा का तरह प्यार
करूँगी आज से, और मा की तरह हुक्म भी चलाउन्गि. अब अच्छी बच्ची जैसे
अपना मूह खोल और जीभ निकाल. अपनी मा की चूत चूस, उसमे जीभ डाल. मेरे
बेटे का यह फ़ेवरेट आसान है, अब मेरी बेटी से भी करवाती हू. और खबरदार
उठने की कोशिश की तो, जब तक मैं न कहु, चुसते रहना. मा बड़े प्यार से
यह रस दे रही है तुझे, पूरा ख़तम करके ही उठना"
शशिकला मा का यह रूप देखकर खुशी से झूम उठी. उसे ऐसी ही मा
चाहिए थी. मा की चूत मे जीभ डालकर वह मा की बुर से रसते रस को पीने
लगी और मा अपनी कमर हिला हिलाकर उसके मूह को और जीभ को चोदने लगी.
मा ने आधे घंटे शशिकला को नही छोड़ा, लगातार उसके मूह को चोदति
रही. शशिकला ने भी मन लगाकर मा की बुर चूसी. आख़िर मा जब लस्त हो गयी
और सोफे पर लुढ़क गयी तो शशिकला उठकर एक ड्रॉयर से एक कमर मे
बाँधने वाला डिल्डो उठा लाई. डिल्डो के दो भाग थे, छोटा भाग उसने अपनी
बुर मे खोंसा और पट्टे से अपनी कमर मे बाँध लिया. वह अब बहुत मस्त हो
गयी थी.
"मा, अब मेरी बारी है, तू सुबह लंड या डिल्डो के बारे मे पूछ रही थी ना, ले अब
तेरी बेटी का लंड हाजिर है. समझ ले तेरे बेटे का लंड है, तेरा बेटा चोदता है
ना तुझे घंटों? अब मुझसे चुदवा ले, मैं भी अच्छा चोदति हू, मा तो
दीवानी थी मेरे चोदने की"
मा थक गयी थी, बुर भी शांत हो गयी थी, पर अब भी उसमे मीठी मीठी कसक
हो रही थी. सुबह की बातों से उसका सिर घूम गया था, मा बेटी की इस कथा से
उसकी वासना के रहे सहे बंधन भी टूट गये थे. फिर भी उसने हल्का विरोध
किया "अरे शशि बेटी, रुक ना, अभी मत चोद, थक गयी हू"
मा पर चढ़कर उसकी बुर मे डिल्डो घुसेड़ते हुए शशिकला बोली "एकदम
चुप मा, तुमने अपनी कर ली, अब मेरी बारी है. और थक गयी हो तो कौनसी
तुम्हें मेहनत करनी है. आराम से पड़ी रहो और अपनी बेटी से चुदने का लुत्फ़
उठाओ" और मा आगे कुछ कहती इसके पहले उसने मा पर झुक कर अपने
होंठों से मा का मूह बंद कर दिया और चोदने लगी.
इसके बाद तो मानों वहाँ कामुकता का भूचाल सा आ गया. दोनों औरतें
अब वासना के शिखर पर थी. पूरे दिन और रात उनका संभोग चलता रहा, बस
खाना खाने और कुछ देर आराम करने को वे रुकी, उनकी आग शांत होने का नाम
ही नही ले रही थी.
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