RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मा ने बात बदलने की कोशिश कि "अरे शशि, सब है यहाँ, इतनी ब्ल्यू फ़िल्मे
भी है पर डिल्डो नही है. क्यों, तुझे मज़ा नही आता फेकिंग मे, चूत मे लंड
डालकर मस्त चुदवाने का मज़ा ही और है, और तेरी जैसी जवान गरम कन्या
इसका मज़ा न ले ये मैं मान ही नही सकती."
"बहुत मज़ा आता है मा ... मेरा मतलब है दीदी, पर असली लंड से, इन रबर के
लन्डो से नही, वैसे है मेरे पास, अंदर रखे है, दो तीन तरह के, आज या कल
रात को दिखाउन्गि. उनका उपयोग मैं चुदवाने के बजाय चोदने मे ज़्यादा
करती हू. पर अब बताओ, बात बदलो नही, कौन है तेरा चाहने वाला?"
मा शरमाती हुई चुप रही तो हँसती हुई शशिकला बोली "मुझे मालूम है,
मैं बताती हू, तुम्हारा वो खूबसूरत बेटा. बोलो सच है या नही?"
मा को शक लगा. "तुझे कैसे मालूम?"
"मैने गेस कर लिया दीदी, सीधी बात है, तू हमेशा इतनी तृप्त दिखती है, खूब
सेक्स का मज़ा लेती होगी यह साफ है, चेहरे की यह चमक सिर्फ़ सेक्स से ही आती है.
बेटे पर बहुत प्यार है, ऑफीस मे अक्सर उसका ज़िक्र करती है, उसका फोटो तेरे
पर्स मे है, कही घूमने नही जाती बेटे के सिवाय, मुझे सब मालूम है, तुझे
घर बुलाने के पहले मैने पूरी जानकारी निकाली है, आख़िर जो औरत मेरी मा की
जगह ले रही है, उसके बारे मे पूरा मालूम करना ज़रूरी है मेरे लिए"
मा भोंचक्की हो कर चुप हो गयी. एक तो उसका चेहरा अब भी लाल था की
शशिकला को उसके और मेरे बारे मे पता चल गया है. अब मा की जगह वाली
बात से वह और अचरज मे पड़ गयी. फिर उसे कुछ कुछ समझ मे आया, क्यों
अचानक शशिकला ने उसे दीदी की बजाय मा कहा था अभी अभी; उसकी बुर मे
अजीब सी गुदगुदी होने लगी.
मा का चेहरा देख कर शैतानी से हँसती हुई शशिकला बोली "क्यों दीदी, जब
मा बेटे मे प्यार हो सकता है तो मा बेटी मे क्यों नही?" मा की शरमाई
बौखलाई हालत पर तरस खा कर फिर शशिकला बोली "चलो दीदी, लंच कर
लो और मुझे सब बताओ अपने बेटे के बारे मे. फिर मैं सब बताती हू, मा के बारे
मे और डॅडी के भी!"
"डॅडी के बारे मे? याने माथुर साहब? क्या कह रही है शशि?" मा ने पूछा.
"तो और क्या? मा और मेरे प्यार के बारे मे भी बताउन्गि और डॅडी और मेरे
भी, क्या दीदी, तुम बहुत भोली हो, जब मैं कह रही थी कि मुझे डिल्डो नही, सच
के लंड से चुदवाना अच्छा लगता है तो तुझे क्या लगा किस के लंड के बारे मे
बोल रही थी? वे मेरे सौतेले डॅडी है, वैसे असली होते तो भी मुझे फरक नही
पड़ता, बल्कि और मज़ा आता. अब चलो, मैं बेताब हू मा बेटे के प्यार की कहानी
सुनने को"
मा ने खाना खाते हुए मेरे और उसके बारे मे सब बताया. मेरी चप्पल फेटिश
के बारे मे भी बताया.
सुनकर शशिकला की आँखे चमकने लगी "बड़ा रसिक
लड़का लगता है, मालूम है डॅडी को भी इसका शौक है कुछ कुछ. मेरी
चाइस कितनी सही निकली दीदी, कैसे मैने तुझे ढूढ़ निकाला, है ना कमाल? अब
तू बैठ, मेरा खाना हो गया है पर स्वीट डिश बाकी है, वो मैं ले लेती हू" और
टेबल के नीचे घुस कर वह मा की बुर पर टूट पड़ी.
मा ने जब तक खाना ख़तम किया, शशिकला ने अपनी स्वीट डिश हासिल कर ली.
आख़िर मा ने उसे पकड़कर टेबल के नीचे से निकाला. "चल, कितना चुसेगी, अब
मुझे बता क्या बताने वाली थी. ऐसा कर, मेरी गोद मे आ जा, और आराम से बता"
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