RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
"क्या हुआ मा, बता ना?" मैने अनुरोध किया. मा और शशिकला के वीकेंड
के बार मे सुनने को मैं बेचैन था. लंड भी खड़ा था. मा को खींच कर
मैने पलंग पर लिटा दिया और उसकी साड़ी खोलने लगा.
"रुक बेटे, अभी नही. सब बताउन्गि तेरे को, नहा तो लेने दे. आज तो शशिकला ने
मुझे ऑफ दे दिया है ऑफीस से" मा ने मेरा हाथ अलग करते हुए कहा.
मैं उसकी बुर टटोल रहा था. मैं न माना और मा की चूत मे उंगली डाल दी. चूत
एकदम गीली थी फिर भी मा को दर्द हुआ और वह सिसक उठी, मेरा हाथ
ज़बरदस्ती बाजू मे करती हुई बोली "मत कर राजा, मेरी ये बुर दो दिन मे ऐसी
हो गयी है कि छूने पर भी कसकती है. एक मिनिट चैन नही मिला है बेचारी
को, उस शशि की बच्ची ने हालत कर दी है निचोड़ निचोड़ कर, छोड़ती ही नही
थी"
मैं मस्त हो गया. "मा, तुम्हारी रसीली और हरदम चुदने को तैयार रहने
वाली चूत की ऐसी हालत की है उसने तो बड़ी चालू चीज़ होगी वो"
"हाँ बेटे, क्या गजब की लड़की है, जितना सुख उसने मुझे दिया इन दो दिनों
मे, मैं तो सोच भी नही सकती थी कि कोई औरत दूसरी औरत को दे सकती है. पर
अब रुक बेटे, सच कहती हू, मेरी बुर को दिन भर आराम कर लेने दे. मैं तेरा
हाल जानती हू, चल मेरे साथ नहाने चल, मैं तुझे अभी खुश कर देती हू"
हम साथ साथ नहाने गये. मा ने कपड़े उतारे. उसका गोरा शरीर कई जगह से
लाल हो गया था. ख़ासकर चुचियाँ, नितंब और झांघे. मेरी नज़र को
देखकर मा मुस्काराई और बोली "बहुत मसला है मुझे उसने, उसका मन ही
नही भरता था, मेरे पूरे शरीर को भोगना चाहती थी. तू अब यहाँ दीवाल से
टिक कर खड़ा हो जा और मुझे अपना काम करने दे."
मा मेरे सामने बैठ गयी और मेरा लंड चूस डाला. इतनी देर के खड़े लंड
को राहत मिली. मा ने भी मज़े से मेरा वीर्य निगला. ख़तम करके उठाते हुए
बोली "तेरे वीर्य से स्वाद तो बदला, दो दिन तक तो बस मुझे दूसरा ही स्वाद मिलता
था, पर था वो भी गजब का."
मैने फिर मा से कहा कि बता तो कि क्या हुआ. मा ने बताना शुरू किया. उस दिन
भर उसने एक एक करके मुझे सब बताया. दोपहर को वो सो गयी और मैं भी
सो लिया. शाम को वह उठी तो काफ़ी संभाल गयी थी. हमने घर मे ही आराम
किया, मा कही नही जाना चाहती थी.
उस रात भी हम जल्दी बेडरूम मे आ गये. मा ने अब भी मुझे चोदने नही
दिया, बस एक बार बर चूसने दी. एक ही चम्मच रस निकाला, हमेशा तो कितना
निकलता था, लगता है मा की बुर के रस को किसीने ख़तम कर दिया था. उसकी
बुर के प्रसाद को पाकर मैं खुश हो गया. मुझे समझाते हुए मा बोली "आज
की रात और आराम कर लेने दे मेरी बुर रानी को, कल से तेरी मा अपने बेटे को
पूरा रस देगी अपने शरीर का"
"मा, मैं क्या करूँ? मेरा लंड तो पागल कर देगा मुझे. फिर चुसोगी क्या?
मुझे हचक हचक कर चोदना है अब, तुमपर चढ़ कर चोदना है"
मैने मचल कर कहा.
"बड़ा आया चोदने वाला, तेरी मा के पास और अंग भी है ना? जैसे तू सिर्फ़ मेरी
चूत चोदता है, और कुछ नही करता" मा पेट के बल लेटते हुए अपने
नितंब हिला कर बोली. मैं समझ गया. मा कितनी कामुक हो गयी थी इसका भी
यह संकेत था, खुद ही मुझे कह रही थी कि उस की गान्ड मार लू. मन मस्त हो
गया. मैं तुरंत मा पर चढ़ गया और उसकी गान्ड मे लंड उतार दिया.
उस रात मैने मा की तीन बार मारी. गान्ड मरवाते मरवाते मा ने उस मतवाले
वीकेंड की बची हुई पूरी कहानी सुनाई. वही कहानी नीचे पेश है.
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