RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मा की परेशानी को मैं समझ सकता था. पर मुझे एक अजीब सी गुदगुदी भी
होने लगी थी. मा और एक जवान युवती आपस मे लिपटे है, उन किताबों के
चित्रों जैसे, यह कल्पना ही इतनी मादक थी कि अभी अभी चोदने के बावजूद
मेरा खड़ा हो गया. मा को लिपट कर मैने कहा "मा, नौकरी छोड़ना है तो
छोड़ दो पर एक बात सच बताओ, मेरी कसम, शशिकला दिखने मे कैसी है?"
मा बोली "अच्छी स्मार्ट है, मिस वर्ल्ड भले ना हो पर एकदम अट्रॅक्टिव है. पर
उससे क्या फरक पड़ता है, क्यों पूछ रहा है?" मा का चेहरा अब लाल हो
गया था.
"मा, सच बताओ, तुझे वो अच्छी लगती है क्या, अगर उसने सच मे तेरे साथ
ऐसा किया तो तुझे बुरा लगेगा क्या?" मैने मा के स्तन दबाते हुए पूछा. मा
चुप रही, हा उसकी आँखों मे एक खुमारी सी भर आई थी.
मैं समझ गया. मा को भी वह भा गयी थी. पिछले दो तीन हफ्ते मे मैने
देखा था कि जब हम कभी वे सेक्सी किताबे देखते तो उसका ध्यान लेस्बियन
चित्रों पर ज़्यादा होता था. वैसे आज कल चुदवाने के बजाय अब वह चूत
चुसवाना ज़्यादा पसंद करती थी, आँखे बंद करके सिसकिया भरती रहती,
शायद एक स्त्री से बुर चुसवाने की कल्पना करती हो. शायद मैं क्या कहुगा इस
डर से वह मन की बात नही कह पा रही थी. मैं मा की हालत समझ गया था.
मेरे साथ, अपने सगे जवान बेटे के साथ चुदाई शुरू होने के बाद मा की
वासनाए जो अब तक दबी थी, भड़क उठी थी. मैं चाहता था कि मा मन भर
कर अपनी इच्छाए पूरी कर ले. अगर कोई गैर पुरुष होता तो मैं ज़रूर फिर से
सोचता. वैसे मुझे अब तक यही लग रहा था कि मा का ध्यान अगर बाहर कही
जाएगा तो वो किसी हॅंडसम नौजवान पर. पर यहाँ तो एक जवान सेक्सी और
खानदानी औरत की बात थी. और शायद मा का भी झुकाव था उस तरफ.
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