RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
दो साल पहले ललिता की एक दुर्घटना मे मृत्यु हो गयी थी, मा की नौकरी
लगने के कुछ दिन पहले. सही मायने मे शशिकला कंपनी की मालकिन थी
पर शशिकला ने मॅनेजिंग डाइरेक्टर बनने से इनकार कर दिया था और अपने
सौतेले डॅडी को वह पद दे दिया था. बाप बेटी मे काफ़ी प्यार था, सौतेले होने
के बावजूद. वैसे असली पावर सब शशिकला के ही हाथ मे थी. उससे पूछे बिना
अशोक माथुर कुछ नही करते थे.
मा ने ये सब बताया पर मुझे अब भी समझ मे नही आ रहा था. मैने फिर
पूछा कि शशिकला का क्या प्राब्लम है? मा ने आख़िर असली बात बताई. वह अब
शरमा भी गयी थी.
"अरे वो लड़की शशिकला मेरे पीछे पड़ी है एक महीने से" मा ने कहा "अब
तक मैं दूसरे डिविषन मे थी इसलिए मेरा उससे लेना देना नही था. पर अब तो
वह मेरी बॉस है. वह पिछले एक महीने से अजीब अजीब हरकते करती है मेरे
साथ."
"याने क्या करती है मा" अब मुझे भी उत्सुकता होने लगी थी. मैं कुछ समझ
भी रहा था और मेरा लंड यह सोच कर ही कुलबुलाने लगा था.
"मुझे लगता है कि वह लेस्बियान है. पहले तो बस मुझे घुरति थी, मेरी
नज़र बचा कर. अब सीधे मेरी ओर टक लगाकर देखती है. मुझे बार बार अपने
कमरे मे बुलाती है काम से. मैं पास खड़ी होती हू तो मेरे बदन को अनजाने
मे छू लेने का नाटक करती है. पिछले हफ्ते तो उसने एक बार बात बात मे मेरे
स्तन को छू लिया था. मैं पीछे हट गयी तो लगता है उसे गुस्सा आ गया. एक दो
दिन रूठी सी रही फिर मुझे जान बुझ कर ज़्यादा काम देने लगी कि मुझे रात को
रुकना पड़े"
मैने कहा "मा, लगता है तुम्हारी सुंदरता का जादू सिर्फ़ मर्दों पर ही नही,
औरतों पर भी होने लगा है. हो ही तुम इतनी सेक्सी. पर इसमे नौकरी छोड़ने
की क्या बात है?"
मा बोली "बेटे, मैने कभी उसे एंकरेज नही किया फिर भी वह मेरे पीछे पड़ी
है. मुझसे मीठा मीठा बोलती है, कभी मुझे अकेले मे दीदी कहती है, नज़र
गढ़ाकर मुझे अकेले मे देखती है जब मैं उसके सामने होती हू, मेरी छाती
और पेट को घुरति रहती है. अपना आकर्षण अब मुझसे छुपाने की भी
कोशिश नही करती. आज बोली कि बहुत काम है, इस शनिवार और रविवार को भी
करना पड़ेगा. फिर साजेस्ट करने लगी कि मैं शनिवार को सुबह उसके घर पर
आ जाउ और रविवार तक वही रहू. मैने पूछा कि अशोक माथुर भी होंगे तो
बोली कि वे महीने भर को अमेरिका जा रहे है. फिर उसने अचानक खेल खेल मे
मेरे गाल को छुआ और फिर अपने मूह को, मानो मुझे फ्लाइयिंग किस कर रही हो.
जब मैं चुपचाप खड़ी रही तो बदमाश ने मेरे गाल को चूम लिया और
हँसते हुए मीटिंग मे चली गयी"
कुछ देर चुप रह कर मा बोली "मुझे उसकी नियत ठीक नही लगती. मुझे
मालूम है कि वह वीकेंड मे क्या काम करना चाहती है, अब नौकरी
छोड़ने के अलावा मैं क्या कर सकती हू, आख़िर कंपनी उसी की है और वो बड़ी
जिद्दी किस्म की लड़की है, एक बार सोच ले तो ठान लेती है. और उसे भी न जाने क्या
पड़ी है कि ऑफीस की बाकी सब सुंदर जवान लड़कियों को छोड़कर मेरे पीछे
पड़ी है, सब एक से एक चालू लड़कियाँ है, उनमे से कई तैयार हो जाएँगी उसके
साथ मज़ा करने को"
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