RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
"बहुत अच्छा कर रहा है रे मेरे लाल, और कर ना, खूब देर कर" मोम की बुर मैंने मन भर कर चॅटी, पूरी जीभ निकालकर उपर से नीचे तक . बीच बीच मे उसके क्लिट को चाटता और फिर उसके रस को चूसने लगता. बीच मे एक दो बार उसकी बुर मे अपनी जीभ डाल कर भी चोदा. मोम की बुर का कसैला खारा रस मेरे होशोहवास उड़ा रहा था. मैं बार बार सोचता
"यही है वह प्यारी गुफा जिससे मैं निकाला था" दस मिनिट मे मोम झाड़. गयी. मेरे मुँह मे उसने ऐसी रस की धार छोड़ी कि मज़ा आ गया. जब मैं उसकी चूत और जांघे अपनी जीभ से पूरी सॉफ करके उठा तो उसने मुझे अपनेसे चिपटा लिया. वह हांफ रही थी. फिर बोली
"अनिल, कैसा करता है बेटे, मुझे पागल कर देगा. तुझे अच्छा लगा बेटे? गंदा तो नही लगा?" मैंने कहा
"माँ, तुम्हारी चूत मे से तो अमृत निकलता है" मोम खुश हो गयी
"सच? या सिर्फ़ मेरा मन रखने को कह रहा है"
"सच माँ, अब मैं रोज कई बार ये रस पीने वाला हू. तुम ही देख लो कि मेरा क्या हाल है तुम्हारा शहद चाट कर" मोम ने टटोल कर मेरा लंड पकड़ा.
"अरे यह तो बेकाबू हो गया है. इस बेचारे का तो मैंने कुछ किया ही नही अनिल. चल तू उलटी ओर से आ जा. मेरा मन नही भरा अभी. तू मेरा रस पी, मैं इस मस्त बदमाश की मलाई निकालती हू. कल से तरस रही हू." मैं मा के पैरों की ओर मुँह करके लेट गया. मोम ने टांगे फैला दी कि मैं ठीक से उसे चाट सकूँ. मैं मों की जांघे पकड़कर उसकी बुर मे मुँह मारने लगा. मोम मेरे लंड से खेल रही थी. बार बार उसे चूमती, अपने गालों पर रगदती और कहती
"कितना जवान हो गया है रे तू, गन्ने जैसा रसीला है मेरे मुन्ने का मुन्ना, लगता है खा कर निगल जाउ" और मुँह मे पूरा भरकर चूसने लगी. मैं धक्के मारता हुआ मोम का मुँह चोदते हुए उसकी बुर चूसने लगा.
मोम बस मेरे लंड से खेलती रही, उसे तरह तरह से चुसती रही, उसपर अपनी जीभ रगड़ कर मुझे सताती रही. आख़िर जब वह दो बार झाड़. चुकी तब मोम ने मेरे लंड को ज़ोर से गन्ने की तरह चूस कर मुझे भी झाड़ा दिया. मुझे लगा था कि वह शायद मेरा लंड मुँह से निकाल दे पर उसने मेरे वीर्य की आखरी बूँद निचोड़. कर ही दम लिया.
मैं मोम से चिपेट कर लेट गया. वह कुछ बोली नही पर उसके चेहरे के भाव से सॉफ था कि वह बहुत खुश है. मुझे फिर झपकी लग गयी और शाम को ही खुली जब मोम ने मुझे हिलाकर जगाया. वह साज धज कर तैयार थी.
"चल उठ, बाहर नही जाना है क्या घूमने?" मैं अंगड़ाई लेकर बोला.
"माँ, बाहर जाकर क्या करेंगे? यही घर मे रहो ना, मेरा मन नही भरा अब तक" मोम बोली
"अरे कुछ तो सब्र कर. कल से लगा हुआ है. चल अब बाहर" उसने आज एक हल्की नीली साड़ी और मैचिंग हाफ़ स्लिव ब्लओज़ पहना था. बालों को जुड़े मे बाँध लिया था. बहुत खूबसूरत लग रही थी.
2
मैं तैयार हुआ. बाहर आया तो मोम सोफे पर बैठी पैर क्रास करके हिलाते हुए मेरा इंतजार कर रही थी. उसकी बाथरुम स्लीपर उसकी उंगलियों से लटक कर हिल रही थी. यहा देखकर मुझसे रहा नही गया. मों के पास मैं नीचे बैठ गया और उसका पैर हाथ मे भर लिया. फिर चूमने लगा. पैरों के साथ साथ मैंने उसकी चप्पल के भी चुममे ले लिए. उसके दोनों पाव मैंने छाती से लगा लिए.
"अरे यहा क्या कर रहे हो बेटे? छी, मैली है मेरी चप्पल, दो तीन दिन से धोयि भी नहीं." मुझे हटाने की कोशिश करते हुए वह बोली.
"करने दो माँ, अच्छा लगता है." कहकर मैं उसके पैर और चप्पल को चूमता ही रहा.
"चल दूर हट, कैसा पागल है रे तू, करना ही है तो बाद मे करना, ऐसी गंदी चप्पल के साथ नहीं" मोम ने मुझे खींच कर अलग कर ही दिया. वह मेरी ओर अजीब तरह से देख रही थी, जैसे उसे समझ मे ना आ रहा हो कि उसके इस आशिक बेटे के पागलपन का कहाँ ख़ात्मा होगा. वह बाहर जाने के सैंडल पहनने को उठाने लगी तो मैंने पूछा
"माँ, मैं पहना दूं?" वह मेरी ओर देखती रही फिर मुस्काराकर हाँ कर दी. मैं भाग कर उसकी काली हाई हिल सैंडल उठा लाया. मोम की स्लीपर निकालकर मैंने बड़े प्यार से उसे वो सैंडल पहनाए. मोम ने मुझे बाँहों मे भरकर चूमकर कहा
क्रमशः.................
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