RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
माँ का दुलारा पार्ट--5
गतान्क से आगे...............
"अरे तू जाग गया! मैं तुझे जगाना नही चाहती थी पर क्या करूँ बेटे, सुबहा जागी तो तेरा लंड इतना कस कर खड़ा था कि मुझसे रहा नही गया." मैंने मोम को बाँहों मे भरा और नीचे से ही धक्के मारने लगा. मोम पलट कर मुझे उपर लेने की कोशिश करने लगी तो मैंने कहा
"ममी, ऐसे ही चोद ना मुझ पर चढ़. कर, बहुत मज़ा आ रहा है" मोम मुझपर चढ़े चढ़े अब ज़ोर से मुझे चोदने लगी. मुझे चूमने के लिए उसे नीचे झुकना पड़. रहा था. उसके लटकते स्तन मेरी छाती पर अपनी घुंडियाँ चूबो रहे थे. मैंने मोम को पास खींचकर उसका निपल मुँह मे ले लिया और हल्के हल्के चबाते हुए चूसने लगा.
मोम ने मन भर कर मुझे चोदा और झाड़. कर लास्ट मुझपर पड़ी रही. मेरा ज़ोर से खड़ा लंड अब भी प्यासा था इसलिए मैंने अब उसे नीचे पटककर उसपर चढ़ कर. चोद डाला और झाड़. कर ही रुका.
तृप्त होकर मोम उठी और गाउन पहनकर घर का काम करने की तैयारी करने लगी. मुझे बोली की सोया रहूं, कोई जल्दी नही है. मैं फिर सो गया. नींद खुली तो दस बज गये थे.
उस सुबहा को सब कुछ बदला बदला लग रहा था. ऐसा लगता था कि स्वर्ग ज़मीन पर उतर आया है. मों भी बहुत खुश थी. बार बार मुझे चूमा लेती. वह नहा चुकी थी. मैं नहा कर वापस आया तो मेरे लिए मेरी पसंद की डिशस बना रही थी. पहले उसने मुझे ग्लास भर कर बदाम डला दूध दिया. मैंने उसे देखा तो थोड़ी शरमा गयी
"अब तुझे रोज दो ग्लास दूध पीना चाहिए बेटे." मैंने कहा
"मोम मैं तो चार ग्लास पी लूँ अगर तुम अपना दूध पिलाओ." और गाउन के उपर से ही उसके स्तनों को चूमने लगा.
"चल बदमाश, बचपन मे पिया वह काफ़ी नही था क्या!" मों ने कहा. मैं उससे लिपट गया. मुझे उससे दूर रहा ही नही जा रहा था, एक दीवानापन सा सवार हो गया था मुझपर.
"अभी नही बेटे, दिन मे ढेर से काम करने हैं. कोई कभी भी आ सकता है. अभी काम वाली बाई आती होगी. अब लाड. दुलार रात को. और ज़रा सब्र कर, तू आदमी है कि घोड़.आ, इतनी बार करके भी तेरा मन नही भरा" मोम ने मुझे दूर धकेलकर कहा.
"दोपहर को माँ?" मैंने बड़ी आशा से पूछा. मोम ने सिर हलाकर मना किया. हँस रही थी जैसे मुझे चिढ़ा रही हो. फिर भी मैं मोम के पीछे पीछे दुम हिलाता घूमता रहा. बार बार उससे पीछे से चिपक जाता. कल उसके नितंबों को देखा था पर मन भर कर उन्हे छू नही पाया था. इसलिए पीछे से छिपताकर उनपर मैं अपना खड़ा लंड रगड़.आता और मोम को पीछे से बाँहों मे भरकर उसकी चुचियाँ दबाने लगता. वह बार बार मुझे झिड़कती पर मैं फिर आकर चिपेट जाता.
उसे अच्छा लग रहा था पर दिन मे यहा करते हुए शायद वह सकुचा रही थी. अंत मे मेरे कान पकड़कर उसने मुझे अपने कमरे मे बंद कर दिया.
दोपहर को खाना खाने के बाद हमने कुछ देर टीवी देखा. मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैं मोम की गोद मे सिर रखकर सो गया. बहुत सालों के बाद मैं यह कर रहा था. मोम भी प्यार से मेरे बालों मे उंगलियाँ चला रही थी.
पर मेरा लंड मुझे चुप रहने दे तब ना. मोम के बदन से आती खुशबू ने मुझे उत्तेजित कर दिया. मैंने पलट कर गाउन के उपर से ही अपना मुँह मोम की जांघों के बीच दबा दिया. मोम की सुगंध मुझे मस्त कर रही थे. ज़रूर उसकी बुर की खुशबू थी. मोम भी तो उत्तेजित थी. मैने अपना सिर और दबा कर मोम की गोद मे रगड़ने लगा. मोम को गुदगुदी हुई तो वह हँसने लगी.
"छोड़. अनिल, मैंने कहा ना अभी नहीं, कैसा उतावला लड़का है" बेल बजी तो मोम ने मुझे ज़बरदस्ती अलग किया. आँखे दिखाकर बोली
"अब जा और सो जा. शाम को घूमने जाएँगे" मैं कमरे मे गया पर सोया नहीं. लंड खड़ा था. मोम का इंतजार करता रहा. पर लंड को हाथ भी नही लगाया. अब मूठ मारना पाप था मेरे लिए, मेरी प्यारी मोम जो थी.
बाई जाने के बाद आधे घंटे बाद मोम आई. मेरी हालत देखकर मुझे डाँटने लगी. पर यहा झूठ मूठ का डांटना था. उसकी भी हालत वही थी जो मेरी थी. पर वह तैयार नही हो रही थी.
"अभी नही अनिल, कोई आ जाएगा तो? कपड़े पहनना मुश्किल हो जाएगा." मैंने कहा
"मामी, कपड़े मत उतारो, बस पैंटी उतार दो. मैं तुम्हारी चूत चुसूँगा. कल से तरस रहा हू." मोम ने कहा
"तू मानेगा नहीं, चल जल्दी से कर ले जो करना हो" और गाउन उपर करके अपनी पैंटी उतार दी. उतारते समय उसकी गोरी चिकनी बुर मुझे दिखी. मोम फिर पलंग पर मेरे साथ लेट गयी. मैंने उठ कर मोम का गाउन उपर किया और उसकी जांघे चूमने लगा. फिर उसकी टांगे अलग करा के पास से उसके बर को देखने लगा. मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था, अपनी जननी की चूत मैं पहली बार ठीक से देख रहा था.
मोम की बुर से पानी बहाना शुरू हो गया था. जांघे भी गीली थीं. मुझे इतनी देर से तरसा रही थी पर खुद भी मस्ती मे थी. मैंने मोम की बुर के पपोते अलग किए और अंदर की लाल रसती म्यान को देखा. मेरी उंगली गीली हो गयी थी. मैंने उसे चखा. उस चिपचिपे रस ने मुझ पर ऐसा जादू किया कि मैं मोम की टाँगों के बीच लेट कर उसकी बुर चाटने लगा. मोम सिसकने लगी
"बहुत अच्छा लगता है बेटे, और चाट ना, ज़रा उपर, दाने के पास" याने क्लिट पर जीभ चलाने को कह रही थी. मुझे क्लिट दिखा नही तो मैंने फिर मोम की बुर उंगलियों से खोली. उपर दो मांसल पपोतों के बीच छिपा ज़रा सा मकई का दाना मुझे दिखा. उसपर मैं जीभ चलाने लगा. एकदम हीरे जैसा कड़ा दाना था. मोम अब पैर फेंकने लगी.
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