RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
माँ का दुलारा पार्ट--4
गतान्क से आगे...............
"अनिल, पहले मुझे तुझ पर पहुत गुस्सा आया था, आख़िर मेरा प्यारा बेटा ऐसी गंदी हरकते कैसे कर सकता है पर फिर मेरी भी हालत बुरी हो गयी थी. लगता था कि तू यहा सब ऐसे ही तो नही करता? क्या सच मे मैं तुझे अच्छी लगती हू? तू भी इतना जवान और सुंदर है, मेरे मन मे भी कैसे कैसे विचार आने लगे थे. खुद पर ही गुस्सा आया जो तुझपर निकाला. तू नही समझ सकता, एक मॉं पर क्या गुजराती होगी, जो इतनी प्यासी है इतने सालों से और खुद उसका जवान लड़का उसे भाने लगे. बार बार मन मे लगता कि कैसी पाप की बाते सोच रही है. फिर सोचा कि आख़िर तुझसे दो टुक बाते करूँ. मुझे यही लगा था कि मेरे शरीर को देखकर तू आख़िर समझ जाएगा और मेरी परेशानी कम से कम एक तरफ से तो कम हो जाएगी" मैंने मोम से पूछा
"मामी, सच बताओ, अगर मैं भी कह देता कि हाँ, मैं अब कुछ नही करूँगा तो तुम क्या करती? तुम्हे अच्छा लगता?" मोम ने मुझे पास खींचते हुए बोला
"नही बेटे, सच बतओं तो इतना संतोष भर होता कि मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया, तुझे सही रास्ते पर ले आई. पर अच्छा नही लगता. एक तो मुझपर पहाड़. टूट पड़ता कि मैं सच मे मोटी और बेडौल हू. दूसरे तुझे मैं बेटे के रूप मे फिर पा लेती पर तेरे जैसे सुंदर जवान से प्यार करने का मौका हमेशा के लिए खो देती." मैंने मोम की छाती मे सिर छिपा कर कहा
"माँ, तुम तो कितने साल से मुझे अच्छा लगती हो, जब से जवान हुआ हू, तभी से तुम्हारे सपने देख रहा हू. होस्टल मे भी तुम्हारे सपने देखा करता. पर आज मुझे गुस्सा आ रहा है, मैं पहले ही तुमसे कहा देता तो तुम्हे कब का पा चुका होता. वैसे मैंने आज बहुत जल्दी की माँ, पाँच मिनिट मे ख़तम हो गया, मुझे और सब्र करना चाहिए था" मों हँस कर बोली
"और क्या करना था अनिल? मन नही भरा"
"नही माँ, तुमने मुझे स्वर्ग मे पहुँचा दिया. माँ, तुम्हे अच्छा लगा? कि मैंने तुम्हे प्यासा छोड़. दिया?" मैंने पूछा.
"तू नही समझेगा मेरे लाल, मुझे कितना अच्छा लगा. तुझे और क्या करना था मेरे साथ, बता तो" मोम ने फिर पूछा. वह मंद मंद मुस्करा रही थी.
"मैं तुम्हारी शरीर को हर जगहा चूमना और उसका रस चूसना चाहता था. कब से इसका सपना है मेरे दिमाग़ में" मैंने आख़िर अपनी इच्छा कह डाली.
मोम मुझे चूमा कर बोली
"कल कर लेना बेटे, जो चाहे वह कर लेना, अब मैं कही भाग थोड़े ही रही हू? कल और परसों छुट्टी है, मैं अपने बेटे को बहुत सा प्यार दूँगी. चल अब सो जा"
मैं उठ बैठा
"इतनी जल्दी थोड़े छोड़ूँगा मोम मैं तुम्हें. इतनी मुश्किल से हाथ आई हो. आज रात भर प्यार करूँगा तुम्हें" अब हमारे बीच की झिझक पूरी समाप्त हो गयी थी. आग दोनों तरफ से लगी थी. अब मोम और मैं ऐसे बाते कर रहे थे जैसे दो प्रेमी करते हैं. मोम शैतानी के लहजे मे मेरी आँखों मे आँखे डाल कर बोली
"प्यार करेगा, याने क्या करेगा बेटे? चूमेगा? बोल ना?" मैं क्या कहता. मोम शरारत पर उतर आई थी. मेरी परीक्षा ले रही थी शायद. मैंने आख़िर कह ही डाला
"हाँ माँ, चुम्मा लूँगा, तुम्हारी जीभ चुसूँगा, तुम्हारे मुँह की इस चाशनी का स्वाद लूँगा और फिर माँ, मैं तुम्हे रात भर चोदुन्गा. इतना सब करने का मन होता है मेरा तुम्हारे साथ" मोम ने मुस्कराते हुए पूछा
"अब बोला ना सॉफ सॉफ, मैं यही सुनना चाहती थी. और क्या क्या मन होता है, मैं भी तो सुनूँ. आख़िर पता तो चले की मेरे इस पागल बेटे को अपनी मोम के साथ क्या क्या करना है" मैंने कहा
"तुम्हाई मम्मों को खूब दबाने और चूसने का मन होता है. उन्हे चबा चबा कर खा जाने का दिल करता है, उनके बीच की खाई मे अपना लंड डाल कर रगड़ने का मन होता है."
"और?" मैं अब मोम की जांघों के बीच मे नज़र लगाए बैठा था. मोम ने अब टांगे आपस मे सटा ली थी इसलिए उसकी चूत पूरी नही दिख रही थी. पर उस शेव की हुई बुर का मांसल उभार और उसके बीच की गहरी लकीर सॉफ दिख रही थी. मेरा वीर्य और मोम की चूत का पानी उसकी जांघों पर बह आया था. मोम की टांगे अलग करने की कोशिश करता हुआ मैं बोला
"तुम्हारी यह रसीली चूत चूसने का मन होता है. लगता है कि इसका चुंबन लूँ, इसमे जीभ डालूं और तुम्हारा सारा रस पी लूँ. ममी, प्लीज़, देखने दो ना" मैं मोम की बुर की गहरी लकीर मे उंगली चलाने लगा. मोम वैसे ही रही, अपनी टांगे और सिमटाकर बोली
अच्छा ये बता तूने इतनी सारी बाते कहाँ से सीखी
मैने कहा मोम नेट पर राज शर्मा का एक हिन्दी सेक्सी कहानियो का ब्लॉग है कामुक-कहानियाँडॉटब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम मैं उसी ब्लॉग मे सेक्सी कहानियाँ पढ़ता था वही से मुझे इन बातो का पता चला मोम उस ब्लॉग पर सेक्स से संबंधित सभी तरह की जानकारी है मैने मोम को बताया
मोम कहा अनिल मैं भी ओफिस मे नेट पर अक्सर कामुक-कहानियाँब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम पर राज शर्मा की कहानिया पढ़ती रहती हू सच मे उस ब्लॉग जितनी सेक्सी कहानिया मैने कही भी नही देखी
मोम एक बार और करने दो ना मैने मोम से कहा
मोम ने कहा बेटा "आज नहीं, सब एक दिन मे कर लेगा क्या? आगे बोल, और क्या करेगा मेरे साथ"
"माँ, तुम्हारे पैर इतने खूबसूरत हैं, उनकी पूजा करूँगा, खूब चुंबन लूँगा उनके, तुम्हारे तलवे चाटूंगा. तुम्हारा चरणामृत पियुंगा" मोम भाव विभोर हो गयी. मुझे पट से चुम लिया.
"मेरे पैर अच्छे लगते है तुझे? तभी बदमाश मेरी चप्पालों से खेलता था, और पिछले साल से बार बार मेरे पैर छूने की फिराक मे रहता था नालायक कही का! वैसे मेरे पैर सुंदर है ये मुझे मालुम है, मेरी सहेलियाँ भी मुझे बचपन मे कहती थी कि रीमा तुझे तो फैशन की सैंडालों का मेनमॉडल होना चाहिए. पर तेरे मुँह से ये सुनकर कितना अच्छा लगता है तू नही समझेगा. बचपन मे भी तुझे मेरी चप्पालों से खेलने का बहुत शौक था, रेंगते हुए पहुँच जाता था जहाँ भी रखी हों" मोम कुछ देर खामोश रही, बस मुझे चूमती रही और मेरी पीठ पर हाथ फेरती रही. फिर मेरे पीछे लग गयी.
"और क्या करेगा, बता ना" अब मैं क्या कहता. बची थी उसके उन भारी भरकामा नितंबों को प्यार करने की बात, पर आख़िर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी. मैं कैसे पहली ही रात को कहता की मोम तुम्हारी गांद भी मारने का मन करता है
मेरे चेहरे पर के भावों से मोम शायद समझ गयी. मुझे चिढ़ाना छोड़. कर मुझे अपने उपर खींच कर फिर लेट गयी. मेरे लंड को पकड़.आकर हौले हौले मुठियाते हुए बोली
"और अनिल, मेरा क्या मन होता है मालुम है? मैं अपने बेटे को बाँहों मे भर लूँ, उसे खूब प्यार दूं, उससे खूब चुदवाउ, उसकी हर इच्छा पूरी करूँ अपने शरीर से, उसे अपना दूध पिलाउ और फिर उसके इस प्यारे शिश्न को चूस कर उसकी गाढ़ी मलाई पी लूँ. जब तू अपने कमरे मे अभी स्खलित हुआ था, मुझे ऐसा लगा था कि उसे मुँहा मे ले लूँ. कितनी मादक सुगंध आ रही थी उसमेंसे. चल, अब तो तू मेरा ही है, कहाँ जाएगा मोम को छोड़कर"
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