RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
अगले कुछ मिनिट इस मदहोशी की अवस्था मे गुज़रे कि मैं कह भी नही सकता. सोच कर देखें, वह मोम जिससे आप इतना प्यार करते हैं, जिसके आगोश मे आप ने कितने दिन गुज़ारे हुए हैं, उसी मोम के आगोश मे आप फिर से हों, पर इस बार उसके नग्न शरीर का आभास आप को हो रहा हो और वह भी एक प्रेयसी की तरह आप पर प्रेम की वर्षा कर रही हो तो आपकी क्या हालत होगी!
मैं मोम से लिपटकर उसे चूमता हुआ उस पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था. उसके स्तनों को मैने ब्रसियार के उपर से ही हाथ मे भर लिया था. मुलायम स्पंज के गोलों जैसी उन गेंदों को दबाकर जब मुझे संतोष नही हुआ तो मैं हाथ उसकी पीठ के पीछे करके मोम की ब्रा के हुक खोलने की कोशिश करने लगा. मुझ अनाड़ी को वह कुछ जमा नही और दो मिनिट मेरी इस कोशिश का आनंद लेने के बाद प्यार से मोम ने कहा.
"चल दूर हो, अनाड़ी कही का, आज मैं निकाल देती हू. पर सीख ले अब, आगे से तू ही निकालना." मोम ने फिर अपने हाथों से अपनी ब्रा खोली और ब्रा के कप बाजू मे कर दिए. मैं मोम की घुंडी मुँह मे लेकर चूसने लगा. मुझे वह भूरी मोटी घुंडी जानी पहचानी सी लगी. निपल के आजू बाजू बड़ा सा भूरा गोला था, पुराने एक रुपये के सिक्के जैसा. मैं आँखे बंद करके मोम की चुचि चूसने लगा.
मों ने हाथ उपर करके अपनी ब्रा पूरी निकाल दी और फिर मुझे छाती से चिपटा कर मुझे अपनी गोद मे लेकर लेट गयी. मुझे स्तन पान कराती हुई भाव विभोर होकर बोली.
"अनिल, कितने दिन बाद तुझे निपल चुसवा रही हू बेटे, जानता है, तू तीन साल का होने तक मेरा दूध पीता था, छोड़ने को तैयार ही नही था, बड़ी मुश्किल से तेरी यह आदत मैंने छुडवाई थी. मुझे क्या पता था कि बड़ा होकर फिर यही करूँगी? पर अब ये मैं नही बंद होने दूँगी बेटा, तुझे जब चाहे जितना चाहे तू मेरे स्तन चूस सकता है मेरे राजा"
एक हाथ से मोम का उरोज दबाकर मैं उसे चूस रहा था और दूसरे से दूसरा स्तन दबा रहा था. बार बार स्तन बदल बदल कर मैं चूस रहा था. लंड अब तन कर मोम के पेट पर रगड़. रहा था और मैं आगे पीछे होकर उसे चोदने सी हरकत करता हुआ मोम के पेट पर रगड़. रहा था. एक हाथ मोम की पैंटी की इलास्टिक मे डाल कर मैं उसे उतारने की कोशिश करने लगा. मोम का भी हाल बहाल था. वह भी सिसकारियाँ भर भर कर अपनी जांघे रगड़ती हुई मुझे छाती से चिपटा कर पलंग पर लुढ़क रही थी. उसके स्तनों की घुंडियाँ अब कड़ी हो गयी थीं. उन चमदिली मूँगफलियों को चूसने और हल्के हल्के चबाने मे बड़ा आनंद आ रहा था. अगर उनमे दूध बस और होता तो मैं स्वर्ग पहुँच गया होता!
आख़िर उससे ही रहा नही गया. उसने अपनी पैंटी निकाली और टांगे फैलाकर मुझे अपने उपर लेकर लेट गयी. फिर अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सटाकर उसे अंदर डालने लगी.
लंड पर लगती मुलायम टच से ही मैं समझ गया की मोम ने नीचे शेव किया है. मेरी फॅंटेसी मे मैं हमेशा कल्पना करता था की मोम की चूत को पास से देख रहा हू, उसे चूम रहा हू, उसके रस को पी रहा हू और आज जब यह असल मे करने का मौका मिला तो यह सब करने के लिए अब हम दोनों मे सबर नही था. मैने एक हल्का धक्का दिया और मेरा लंड एक ही बार मे पूरा मोम की तपती गीली बुर मे समा गया. मोम की चूत ऐसी गीली थी जैसे अंदर क्रीम भर दी हो. मोम ने मुझे अपनी जांघों और बाँहों मे भर लिया और नीचे से ही धक्के दे देकर चुदवाने लगी.
मुझे इसका विश्वास ही नही हो रहा था कि आख़िर मैं अपनी मोम को चोद रहा हू. मेरा पहला संभोग, पहली बार किसी नारी से काम क्रीड़ा और वह भी मेरी जान से प्यारी ममी के साथ! मैं कुछ कहना चाहता था पर मोम ने अपनी चुचि मेरे मुँह मे ठूंस दी थी और छोड़. ही नही रही थी. मैंने तड़प कर मोम को अपनी बाहों मे कसा और उसे हचक हचक कर चोदने लगा.
हमारा यहा पहला संभोग बिलकुल जानवरों जैसा था. हमा इतने प्यासे थे कि एक दूसरे को बस पूरे ज़ोर से चोद रहे थे, बिना किसी की परवाह के. चार पाँच मिनिट की धुआँधार चुदाई के बाद जब मैं आख़िर झाड़ा तो जान सी निकल गयी. इतनी तृप्ति महसूस हो रही थी जैसी कभी नही हुई. लगता है कि मोम भी झाड़. चुकी थी क्योंकि मुझे बाँहों मे भरके मेरे बालों मे हाथ चलाती हुई बस यही कहा रही थी "मेरे बेटे, मेरे लाल, मेरे बच्चे"
मैंने मोम का निपल मुँह मे से निकाला और उसके स्तनों की खाई को चूमकर मोम से बोला
"सॉरी मम्मी, मैं अपने आप को रोक नही पाया, इसलिए इतनी जल्दी की" मोम ने प्यार से कहा
"जानती हू बेटे, बस कुछ मत बोल, ऐसे ही पड़ा रह. कुछ कहने की ज़रूरत नही है. मेरे दिल का हाल तू जानता है और तेरे दिल की बात मैं जानती हू." हम खामोश अपने स्खलित होने के आनंद मे भिगते पड़े रहे. मुझे विश्वास ही नही हो रहा था कि मैंने अपनी मोम से, अपनी जननी से अभी अभी संभोग किया है, वह भी उसकी इच्छानुसार और उसे वह बहुत अच्छा लगा है. मोम ने कुछ देर बाद कहा
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