RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
माँ का दुलारा पार्ट--3
गतान्क से आगे...............
"पकडो ना मम्मी, मत छोड़ो" उसने फिर मेरे लंड को पकड़. लिया और तब तक पकड़े रही जब तक पूरा झाड़. कर वह मुरझा नही गया. मोम ने फिर मुझे गाल पर चूमा
"बिलकुल पागला है तू अनिल, मुझे क्या मालूमा था कि मैं तुझे इस कदर अच्छी लगती हू. देख सब पाजामा गीला हो गया है, चादर भी खराब हो गयी है. चल उठ और निकाल दे. चादर भी डाल दे धोने को. मैं अभी आई. तेरी इस हालत का कोई इलाज करना पड़ेगा मुझे ही"
मुझे एक बार और चूमा कर वह वैसे ही गाउन लेकर कमरे से बाहर चली गयी. मैंने पाजामा निकाला और तावेल बाँध कर चादर बदल दी. मेरा दिल खुशी से धड़क रहा था कि कम से कम अब वह मुझसे नाराज़ तो नही थी, यह मेरे लिए बहुत था. पर मैं सोच रहा था कि आगे क्या होगा, मोम अब क्या करेगी.
इसका जवाब दस मिनिट बाद मिला जब मोम फिर मेरे कमरे मे आई. उसकी काया पलट गयी थी. वह काला स्लीवलेस ब्लाउz और काली शिफान की साड़ी पहने हुए थी. मेकअप भी कर लिया था. बालों का जुड़ा बाँध लिया था जैसे वह बाहर जाते समय करती थी. अंदर की ब्रा बदल ली थी क्योंकि पतले ब्लाउz मे से उसकी वही काली मेरी मनपसंद ब्रा अंदर दिख रही थी. मोम इतनी सुंदर दिख रही थी जैसे औरत नही साक्षात अप्सरा हो. मैंने चकराकर पूछा.
"ये क्या मोम, कही जाना है" मों मुझे बाहों मे लेते हुए बोली
"हाँ बेटे, मेरे कमरे मे जाना है, चल आज से तू वही सोएगा." मैंने मोम की आँखों मे देखा, उसमे अब प्यार, दुलार और एक चाहत की मिली जुली असिम भावना थी. इतने पास से मोम के रसीले लिपस्टिक से रंगे होंठ देखकर अब मुझसे नही रहा गया. धीरे से मैंने उसके होंठ चुम लिए. मोम ने मुझे आलिंगन मे लेकर मेरा गहरा चुंबन लिया. उनके फूल जैसे कोमल स्पर्श से और उसके मुँह की मिठास से मैं सिहर उठा.
अपना चुंबन तोड़. कर मोम ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कमरे मे ले गयी. उसने टेबल लैंप जलाया और उपर की बत्ती बुझा दी. वापस आकर दरवाजा बंद किया और फिर चुपचाप मेरे कपड़े उतारने लगी. मेरा कुरता और बनियान उतारकर उसने मेरा तावेल भी निकाल दिया. नीचे मैंने कुछ नही पहना था इसलिए मैं थोड़ा शरमा रहा था.
"अब क्यों शरमाता है? नादान कही का. बचपन मे जैसे मों के सामने कभी नंगा हुआ ही नही था तू" मुझे नग्न करके वह दूर होकर मुझे निहारने लगी. अब तक मेरा लंड फिर से सिर उठाने लगा था.
"कितना हेंडसम और जवान हो गया है रे तू!" मों ने लाड़. से कहा.
"पर माँ, तुझसा नहीं, तुम तो रूप की परी हो" मैंने मोम से कहा.
"हाँ जानती हू की तुझे मैं कितनी अच्छी लगती हू. और तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है बेटे, तू नही जानता इस हफ्ते भर मेरी क्या हालत रही है" मोम ने कहा और और मुझे पलंग पर लिटा दिया. फिर वह मेरे उपर लेट गयी और मुझपर चुम्बनो की वर्षा करने लगी. उसकी साँसे तेज चल रही थी और अपने हाथों से वह मेरा पूरा शरीर सहला रही थी. मुझे बचपन की याद आ गयी. बहुत बार मुझे मोम गोद मे लेकर चूमती थी. पर तब उसमे सिर्फ़ वात्सल्या होता था, आज उसके साथ एक नारी की प्रखर कामना भी उसके स्पर्श और चुंबानों मे थी.
मैं पड़ा पड़ा मोम के प्यार का आनंद ले रहा था. लगता था कि स्वर्ग मे पहुँच गया हू. मोम ने फिर मेरे होंठों का गहरा चुंबन लिया, मैं भी उसके होंठ चूसने लगा. मोम के मधुर मुखरस का पान करके ऐसा लग रहा था जैसे मैं शहद चख रहा हम. मोम चुंबन तोड़कर अचानक उठा बैठी और नीचे खिसककर मेरा लंड हाथ मे लेकर उसे चूमने लगी.
"हाय, कितना प्यारा है! लगता है खा जाउ!" कहकर मोम उसे अपने गालों और होंठों पर रगाडकर फिर मेरे सुपाड़ा मुँह मे लेकर चूसने लगी. मैं स्तब्ध रहा गया. मोम की वासना इतनी प्रखर हो जाएगी यहा मैंने कभी सोचा नही था. मोम के मुँह का गीला तपता मुलायम स्पर्श इतना जानलेवा था कि मुझे लगा कि मैं फिर झाड़. जाउन्गा. लंड एक मिनिट मे फिर कस के खड़ा हो गया. पर मैं अभी झड़ना नही चाहता था. मोम के दमकते रूप को अब मैं ठीक से देखना चाहता था इसलिए मैंने मोम की साड़ी निकालना शुरू की.
"मम्मी, अब तुम भी कपड़े निकाल दो ना, प्लीज़!" मोम उठ बैठी. कामना और थोड़ी लजजासे उसका चेहरा लाल हो गया था.
"निकालती हू बेटे, तू लेटा रहा. मैंने गाउन निकालकर अपना मोटापा तुझे दिखाया था. अब ये कपड़े निकालकर मेरा कंचन सा बदन तुझे दिखाती हू, यह तेरे ही लिए है मेरे लाल" मोम ने उठकर साड़ी निकाली और फिर पेटीकोत खोल दिया. उसकी मदमस्त जांघे फिर से नग्न हो गयीं. पर अब फरक था. उस पुरानी पैंटी के बजाय एक सुंदर लेस वाली काली तंग पैंटी उसने पहनी थी. उसमे से उसके पेट के नीचे का मांसल उभार निखर कर दिख रहा था. पैंटी की पट्टी के सकरे होने के बावजूद आस पास बस मोम की गोरी त्वचा ही दिख रही थी.
"मोम क्या नीचे भी शेव करती है!" मेरे मन मे आया. तंग पैंटी के तलामा कपड़े मे से मोम की योनि के बीच की गहरी लकीर की भी झलक दिख रही थी.
अब तक मोम ने अपना ब्लओज़ भी निकाल दिया था. मेरी पहचान की उस काली ब्रा मे लिपटे मोम के गोरे बदन को देखकर मुझे रोमांच हो आया. कितनी ही बार मैंने उसमे मूठ मारी थी. मोम के मोटे मोटे स्तनों के उपरी भाग उसके कपड़ो मे से दिख रहे थे. ब्रा शायद पुश अप थी क्योंकि अब वह स्तनों को आधार दे कर उन्हे उठाए हुए थी, इसलिए मोम के स्तन और बड़े और फूले हुए लग रहे थे. बड़े गर्व से वो सीना तान कर खड़े थे मानों कहा रहे हों कि देखो, अपनी मोम की ममता की इस निशानी को देखो, एक बेटे के लिए अपनी मोम के सबसे खूबसूरत अंग को देखो. मुझे घुरता देखकर मोम ने हँस कर कहा.
"अरे कुछ बोल, तब तो खूब चहक रहा था, अब मोम सुंदर लग रही है या नहीं, इन्हे निकाल दूं कि रहने दूं?" मैं कुछ ना बोल पाया. मेरी वह हालत देख कर मोम प्यार से मुसकर्ाई और वैसे ही आकर पलंग पर मेरे पास लेट गयी और मैं उससे लिपट गया.
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