RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
रात को और दिन मे भी अकेले मे (कालेज खुलने मे अभी समय था, एडमिशन भी नही हुए थे) उसके रूप को आँखों के सामने को लाकर मैं हस्तमैथुन करता, कल्पना करता की मोम नग्नावस्था मे कैसी लगेगी. मन ही मन अपनी फ़ैंतसी मे उससे तरह तरह की रति करता. मोम को मैं अच्छा लगता हम और वह बड़े अधिकार से मुझसे मन चाहे संभोग करा रही है, यहा मेरी पेट फ़ैंतसी थी.
अब हौसला करके मैंने उसके अंतर्वस्त्रा चुराने शुरू कर दिए थे. उसकी ब्रा और पैंटी मैं चुपचाप उठा लाता और अकेले मे घर मे उनमे लंड लपेट कर मुत्ता मारता. मोम के पास बड़ा अच्छा कलेक्शन था. उनमे से एक लेस वाली सफेद ब्रा और एक नायलाँ की काली ब्रा मेरी ख़ास पसंद की थीं. उन्हे सूँघते हुए मुझे ऐसा लगता जैसे मई मों के आगोश मे उसकी छाती मे सिर छुपाए पद.आ हुआ हम. लंड पर उनका मुलायामा स्पर्श मुझे दीवाना कर देता.
एक दो बार मैं पकड़ा जाता पर बच गया. अक्सर मुत्ता मारने से मेरा वीर्या उनमे लग जाता. तब मैं धो कर दिन मे उन्हे सूखा कर वापस रख देता. एक दिन सुबह मोम परेशान लगी. मैंने पूछा तो बोली कि उसकी काली ब्रा नही मिल रही है. वह काली साड़ी पहन कर आफ़िस जाना चाहती थी. आख़िर झल्ला कर दूसरी साड़ी पहन कर चली गयी. ब्रा मिलती कैसे, रात को मुत्ता मार कर मैंने उस ब्रेसियार को अपने कमरे मे छुपा दिया था. मुझे क्या मालूमा कि आज वह उसे ही पहनेगी! मोम के जाने के बाद उसे धोकर सुखाकर मैंने मोम की अलमारी मे सेडियीओ के बीच छुपा दिया. बाल बाल बचा क्योंकि रात को वापस आकर मोम ने सारी अलमारी ढूँढना शुरू कर दी. जब ब्रा मिली तो वह निश्चिंत हुई. बोली
"अनिल, मैंने भी देखो कहाँ रख दी थी, इसीलिए नही मिल रही थी, मुझे लगा था कि गुम तो नही गयी या बाहर गैलरी से सुखाते समय गिर तो नही गयी."
उसके बाद मैंने उसकी अलमारी से ब्रा चुराना बंद कर दिया. मोम के जाने के बाद धोने को डाली उसकी ब्रा और पैंटी से काम चलाने लगा. यहा और भी मतवाला काम था. उनमे मोम के शरीर की और उसके पसीने की भीनी खुशबू छुपी होती. उसकी पैंटी के क्रेच मे से मोम की चूत की मतवाली महक आती. अब तो मैं मस्त होकर उन्हे मुँहा मे भर लेता और कस कर मूठ मारता. फिर कामवाली बाई आने के पहले उन्हे धोने को रख देता. मेरी दोपहर तो रंगीन हो गयी पर रात को परेशानी होनी लगी.
रात की परेशानी दूर करने के लिए मैंने मोम की चप्पलो का सहारा लेना शुरू कर दिया. जैसा मैंने बताया, मोम के पैर बड़े खूबसूरत हैं. उसके पास सात आठ जोड़ी चप्पले और सैंडल भी हैं, अधिकतर हाई हिल की. रात को मैं मोम के सो जाने के बाद बाहर के शू-रैक से चुपचाप एक जोड़ी उठा लाता. फिर उन्हे लंड से सहलाता, चूमता, चाटता और मूठ मारता. अगर विर्य सैंडल पर छलक जाता तो ठीक से पोंछ कर वापस रख देता. वैसे सबसे अच्छी मुझे मोम की रबर की बाथरुम स्लीपर लगती थी. नाज़ुक सी गुलाबी वा चप्पल जब मोम के पैरों मे देखता और चलते समय होने वाली सपाक सपाक की आवाज़ सुनता जो मोम के तलवं से चप्पल के टकराने से होती थी तो मैं अपना संयम खोने लगता था. दोपहर को वह चप्पल मैं ले आता था पर रात को मोम उसे पहने होती और सोने के बाद उसके बेडरूमा से उन्हे उठाने का मेरा साहस नही था.
इसी चक्कर मे एक दिन आख़िर मैं पकड़.आ गया. एक हिसाब से अच्छा ही हुआ क्योंकि उस घटना ने आख़िर मोम और मेरे बीच की सारी दीवारे हटा दी
क्रमशः......................
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